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मानव इतिहास का सबसे गर्म साल है 2023, नतीजा... टुकड़ों में आ रहा प्रलय, WMO की रिपोर्ट

2023 ने बदलते जलवायु के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अनचाहे मौसम का सामना करना पड़ा है. तबाही हुई. जानें गईं. सबसे गर्म साल भी यही रहा. ग्रीनहाउस गैसों का स्तर लगातार बढ़ रहा है. समुद्री जलस्तर बढ़ रहा है. अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है. एक्स्ट्रीम वेदर की वजह से आपदाएं आ रही हैं.

साल 2023 में क्लाइमेट से संबंधित कई तरह के रिकॉर्ड टूटे हैं. भयानक आपदाएं आई हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ी है. (सभी फोटोः AP) साल 2023 में क्लाइमेट से संबंधित कई तरह के रिकॉर्ड टूटे हैं. भयानक आपदाएं आई हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ी है. (सभी फोटोः AP)
आजतक साइंस डेस्क
  • जेनेवा/दुबई,
  • 01 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने दुबई में चल रहे COP28 Climate Summit में डराने वाली रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक 2023 मानव इतिहास का सबसे गर्म साल रहा है. इसकी वजह से दुनिया भर में अलग-अलग स्थानों पर प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं. समुद्री जलस्तर और उसका तापमान तेजी से बढ़ता जा रहा है. ऐसा हुआ क्यों? 

अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ तेजी से पिघल रही है. इन बदलावों की वजह से अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरह की आपदाएं आ रही हैं. मौसम तेजी से बदल रहा है. WMO ने स्पष्ट किया है कि 2023 ऑन रिकॉर्ड सबसे गर्म रहा है. यह पिछले 170 सालों में 1.40 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रहा. इससे पहले 2020 और 2016 को सबसे गर्म कहा गया था. 

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इसकी वजह El Nino है. यह साल 2023 में उत्तरी गोलार्ध में तेजी से उभरा और गर्मियों तक फैल गया. यह अगले साल भी यानी 2024 में भी गर्मी बढ़ाएगा. इसकी वजह से पूरी धरती के तापमान में इजाफा हो रहा है. WMO के महासचिव प्रो. पेटेरी टालस ने कहा कि इस समय ग्रीनहाउस गैसों और वैश्विक तापमान की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ी हुई है. 

एक्सट्रीम वेदर से कोई नहीं बच रहा

उन्होंने बताया कि समुद्री जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है. अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ भी तेजी से पिघल रही है. वहां भी रिकॉर्ड बना है. ये सिर्फ आंकड़ों से बढ़कर डरावनी बातें हैं, जो आपको और हमको समझनी होंगी. पाकिस्तान, भारत, चीन, यूरोप और अमेरिका... यानी दुनिया का कोई भी कोना एक्सट्रीम वेदर से बचा नहीं है. सब जूझ रहे हैं इससे. 

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कार्बन डाईऑक्साइड 50% बढ़ गया

प्री-इंड्स्ट्रियल काल (1850-1900) के समय की तुलना में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा 50 फीसदी बढ़ गई है. इसकी वजह से वायुमंडल में गर्मी जमा हो रही है. ज्यादा समय तक CO2 बनने से दुनिया का तापमान बढ़ता है. इससे जमीन, हवा और पानी तीनों गर्म होते हैं. समुद्री जलस्तर 2013-2022 के बीच 1993-2002 की तुलना में दोगुना तेजी से बढ़ा है.

बर्फ की परत तेजी से खत्म हो रही है

अंटार्कटिका में 10 लाख वर्ग किलोमीटर बर्फ पिघल गई. ये फ्रांस और जर्मनी के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर है. उधर अमेरिका और यूरोप के उत्तरी इलाकों में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर पिछले दो साल में 10 फीसदी से भी ज्यादा पिघल चुके हैं. आर्कटिक समुद्र में मौजूद बर्फ भी सामान्य स्थिति से नीचे है. वो भी पिघल रही है. 

तीन ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा तेजी से बढ़ी

साल 2023 में तीन तरह के ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा तेजी से बढ़ी है. ये हैं- कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड. पिछले साल ये अपने रिकॉर्ड स्तर पर थे. कुछ इलाकों पर रियल टाइम डेटा देखने पर पता चलता है कि ये तीनों गैसे इस साल भी तेजी से बढ़े हैं. यानी अगले साल भी ये इसी तरह से डराते रहेंगे. वजह है बढ़ता तापमान. 

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प्राकृतिक आपदाओं का काफिला आता गया

एक्सट्रीम वेदर यानी अनचाही प्राकृतिक आपदा. बिना चेतावनी आने वाली मुसीबत. फ्लैश फ्लड, साइक्लोन, भयानक गर्मी, सूखा और जंगल की आग. साइक्लोन डैनियल ने ग्रीस, बुल्गारिया, तुर्की और लीबिया में तबाही मचाई. फ्रेडी साइक्लोन दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला चक्रवाती तूफान रहा. मैडागास्कर, मोजाम्बीक, मलावी में आफत ले आया. 

बंगाल की खाड़ी में आया साइक्लोन मोचा ने तबाही मचाई. यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में गर्मी ने हालत खराब कर दी. मोरक्को के अगादीर में तापमान 50.4 डिग्री सेल्सियस तक चला गया. कनाडा के जंगलों में भयानक आग लगी. हवाई में लगी आग से 99 लोग मारे गए. अमेरिका के 100 साल के इतिहास में यह सबसे भयावह जंगली आग थी. ग्रेटर हॉर्न ऑफ अफ्रीका में एक के बाद एक करके पांच बार सूखा पड़ा. मध्य और दक्षिण अमेरिका में लंबे समय से सूखे की हालत है. 

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