
येरूसलम (Jerusalam) में पुरातत्वविदों को खनन के दौरान दो प्राचीन टॉयलेट्स मिले हैं. ये 2500 साल पुराने हैं. इनके अंदर मिले प्राचीन मल में पैरासाइट भी मिले हैं. जिनकी जांच करने के बाद पता चला ये पैरासाइट ट्रैवलर डायरिया (Traveler's Diarrhea) नाम की बीमारी पैदा करते थे. यह एक प्रकार का पेचिस यानी डिसेंट्री है.
जो सूक्ष्म पैरासाइट मिला है, वह एक प्रोटोजोअन है. नाम है जियार्डिया ड्युओडेनालिस. इसकी वजह से आंतों में संक्रमण और पेचिस जैसी बीमारियां होती हैं. यह गंभीर खूनी डायरिया पैदा करता है. जिसमें भयानक पेट दर्द होता है. बुखार भी आता है. इसके बारे में 26 मई 2023 को ही पैरासीटोलॉजी जर्नल में एक स्टडी प्रकाशित हुई है.
स्टडी में दावा किया गया है कि यह पैरासाइट 2500 साल पुराना है. इंसानों में प्रोटोजोअन के संक्रमण का इतना पुराना केस पहली बार मिला है. यह पैरासाइट जिस टॉयलेट में मिला है, वह पत्थर से बनाया गया था. सीट पर एक गोलाकार छेद था. ऐसा माना जा रहा है कि ऐसे टॉयलेट्स छठी सदी ईसा पूर्व में रईसों के घर में बनाए जाते थे.
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प्राचीन मल सूख कर पत्थर की तरह सख्त हो गया
इन पत्थरों की सतह हल्की धंसी हुई होती थी. ताकि मल-मूत्र का बहाव केंद्र की तरफ रहे. केंद्र की तरफ एक गोल गड्ढा बनाया जाता था. जिसके नीचे सेसपिट होता था. जिसे समय-समय पर साफ किया जाता रहा होगा. ये टॉयलेट्स अब भी अपनी जगह से हिले नहीं हैं. इसलिए वैज्ञानिकों को लगता है कि इन स्थानों से प्राचीन पैरासाइट खोज सकते हैं. क्योंकि इन स्थानों पर जमा मल अब पत्थर की तरह सख्त हो चुका है.
ELISA तकनीक से खोजा पैरासाइट को
इससे पहले जो भी रिसर्च हुई हैं, उसमें सेसपिट्स से व्हिपवॉर्म, राउंडवॉर्म, पिनवॉर्म और टेपवॉर्म के अंडे ही मिले थे. ये अंडे कई सदियों तक सुरक्षित रह सकते हैं. इसलिए इनमें से सिस्ट को खोजना मुश्किल होता था, जो प्रोटोजोआ पैदा करते हैं. इस टॉयलेट को खोजने में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, तेल अवीव यूनिवर्सिटी और इजरायल एंटीक्वीटीस अथॉरिटी के एक्सपर्ट साथ में आए. उन लोगों ने ELISA तकनकी से डायरिया फैलाने वाले प्राचीन पैरासाइट की खोज की.
येरूसलम की दीवार के पास टॉयलेट
जो टॉयलेट्स मिले हैं, वो येरुसलम की दीवार के पास ही हैं. जिस घर में मिला है, उसे हाउस ऑफ एहिल कहते हैं. इसके अलावा तीन और सैंपल जमा किए गए जो अरमोन हा-नात्जीव के सेसपिट से लिए गए हैं. ये जेरुसलम के दक्षिण में करीब 1.6 किलोमीटर दूर हैं. जब ELISA तकनीक से जांच की तो पैरासाइट द्वारा पैदा किया गया सिस्ट मिल गया. यह सिस्ट एक खास तरह के प्रोटीन दीवार का बना होता है.
आंतों में छेद कर देता है ये पैरासाइट
जियार्डिया ड्युओडेनालिस बेहद छोटा नाशपाती के आकार का पैरासाइट होता है. यह खाने और पानी के साथ शरीर में जाता है. इसके फैलने का मुख्य स्रोत इंसानों और जानवरों का मल होता है. यह पैरासाइट इंसान के आंत के सुरक्षा लेयर को बर्बाद कर देता है. इससे वह शरीर में मौजूद पोषक तत्वों को खाने लगता है. हालांकि, इससे संक्रमित लोगों की तबियत जल्दी सुधर जाती है. लेकिन अगर इसके द्वारा सुरक्षा लेयर को बर्बाद करने के बाद कोई बैक्टीरिया उस रास्ते से शरीर में चला जाए तो दिक्कत बढ़ जाती है.
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के पैलियो-पैरासाइट रिसर्च के एक्सपर्ट डॉ. पीयर्स मिशेल कहते हैं कि हम यह नहीं बता सकते कि छठी सदी ईसा पूर्व में इस पैरासाइट से कितने लोग संक्रमित थे. लेकिन यह पुख्ता है कि उस समय यह पैरासाइट कई लोगों को बीमार करता रहा होगा. यह लौह काल के समय का पैरासाइट है. साथ ही यह बात पुख्ता हो गई है कि जियार्डिया ड्युओडेनालिस पैरासाइट कम से कम 4000 साल से इंसानों को संक्रमित करता आ रहा है.