Advertisement

3000 साल पुराने मगरमच्छ ने क्या खाया था, सीटी स्कैन से हुआ खुलासा

मिस्र में 3000 साल पुरानी मगरमच्छ की एक ममी मिली. ये मगरगमच्छ कैसे मरा और मरने से पहले इसने क्या खाया था? ये पता करने के लिए वैज्ञानिकों ने इस ममी का सीटी स्कैन किया. स्कैन में जो सामने आया वो जानकर वो हैरान रह गए. इस मगरमच्छ को सोबेक देवता के लिए चढ़ावे के तौर पर मारा गया था.

मिस्र में मिले मगरमच्छ की ममी के पेट के अंदर जो चीजें मिली उससे हैरान रह गए वैज्ञानिक. (सभी फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर) मिस्र में मिले मगरमच्छ की ममी के पेट के अंदर जो चीजें मिली उससे हैरान रह गए वैज्ञानिक. (सभी फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर)
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

मिस्र अपने पिरामिड्स और ममी के लिए जाना जाता है. लेकिन इनके पीछे की कहानियों की बात ही अलग है. हर चीज के देवता. हर काम की अलग प्राचीन परंपरा. देवताओं के लिए जानवरों की बलि देने की व्यवस्था. वैज्ञानिकों को मगरमच्छ की तीन हजार साल पुरानी ममी मिली. ये ममी नील नदी के देवता सोबेक को चढ़ाई गई थी. 

ऐसी बात नहीं है कि मिस्र के प्राचीन लोग सिर्फ अपने रिश्तेदारों की ही ममी बनाते थे. बल्कि उन्होंने हजारों जानवरों को भी संरक्षित किया. वो भी ममी बनाकर. अब वैज्ञानिकों को ये पता करना था कि मगरमच्छ मरा कैसे. उसकी ममी बनाने से पहले मगरमच्छ को क्या खिलाया गया था. यानी उसके पेट में आज भी उसका भोजन बचा है क्या. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: कैलिफोर्निया में कई जगहों पर देखे गए UFO ... सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे Videos

उसे कैसे मारा गया आदि. मिस्र में अलग-अलग जानवरों का अलग-अलग देवताओं से कनेक्शन था. जैसे बाज का सूरज के देवता होरस से. क्योंकि वो सूरज के नजदीक उड़ सकता था. बिल्ली का देवी बास्टेट से. क्योंकि वो मां की तरह बहादुर और बच्चों को बचाने वाली होती है. इसलिए इन जानवरों की ममी बनाई जाती थी. 

टोने-टोटके के तौर पर भी इस्तेमाल होते थे पक्षियों, मगरमच्छों के ममी 

उन्हें देवता को ऑफर किया जाता था. ये मिस्र का 750 बीसी से 250 एडी के बीच का समय था. इस समय कुछ ऐसे जानवरों की ममी भी मौजूद हैं, जो अब मिस्र में पाए ही नहीं जाते. जैसे इबिसेस... यह एक लंबे पैरो वाला और मुड़े चोंच वाला शिकारी पक्षी था. इसे टोथ नाम के देवता को चढ़ाया जाता था. अब ये पक्षी मिस्र में नहीं है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: इजरायल के लिए US नेवी ने उतारे 34 जंगी जहाज, मिडिल ईस्ट में नौसेना का 30% हिस्सा

मगरमच्छों के तो कई ममी मिले हैं यहां. ये सबसे बड़ा है. मिस्र में उस समय लोग मगरमच्छ की खाल भी पहनते थे. ताकि शैतानी ताकतों को दूर रखा जा सके. या फिर घरों में मरे हुए मगरमच्छ को दीवारों या दरवाजों पर फेंगशुई की तरह टांगा जाता था. टोटके के तौर पर ताकि निगेटिविटी घर में न घुसे. 

क्या मिला इस मगरमच्छ के पेट के अंदर, सीटी स्कैन का खुलासा

इस मगरमच्छ की लंबाई 2.23 मीटर है. यह बर्मिंघम म्यूजियम और आर्ट गैलरी में रखी गई है. इसे रॉयल मैनचेस्टर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में लाकर इसका रेडियोग्राफिक स्टडी किया गया. मेडिकल यंत्रों के जरिए आप प्रचीन चीजों के अंदर-बाहर दे सकते हैं. बिना उन्हें नुकसान पहुंचाए. इस मगरमच्छ के पेट में गैस्ट्रोलिथ्स मिले. 

यह भी पढ़ें: रूस का दावा- यूक्रेन के निशाने पर न्यूक्लियर पावर प्लांट, 'Dirty Bomb' का होगा इस्तेमाल

गैस्ट्रोलिथ्स छोटे-छोटे पत्थर होते हैं, जो आहार नाल में मिले. कई बार मगरमच्छ छोटे पत्थरों को निगल लेते हैं, ताकि वो खाने को कायदे से पचा सकें. गैस्ट्रोलिथ्स के मिलने से ये बात तो पुष्ट हो गई कि मगरमच्छ की ममी बनाने वाले लोगों ने उसके शरीर के अंदरूनी अंगों को बाहर नहीं निकाला. पेट के अंदर धातु के मछली पकड़ने वाले कांटा और मछली मिली. 

Advertisement

उस समय लोग मगरमच्छ को पकड़ने के लिए कांटे में मछली फंसाकर नदी में डालते थे. जब मगरमच्छ इस मछली को खाने आता था, तो वह जाल में फंस जाता था. ये कहानी ग्रीक इतिहासकार हिरोडोटस के दस्तावेजों में मिलती है. हिरोडोटस ने मिस्र की यात्रा पांचवीं बीसी में किया था. नदी किनारे सुअरों को मारा जाता था, ताकि मगरमच्छ नजदीक आएं और उन्हें पकड़ा जा सके. हुक में फंसी मछलियों का भी इस्तेमाल किया जाता था. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement