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उत्तर प्रदेश में कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में स्टेम सेल शोध में अप्रत्याशित सफलता मिली है. यहां जन्मजात और गंभीर बीमारियों के कारण रेटिना खराब होने से आंखों की रोशनी गंवा चुके चार मरीजों में नई उम्मीद जागी है. प्लेसेंटा अवशेषों से निकाली गई स्टेम सेल को आंखों के रेटिना में ट्रांसप्लांट कर रोगियों में दृष्टि बहाल करने में सफल मिली है. चार महीने के शोध की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भेज दी गई है. इसमें शोध परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सुविधाएं और संसाधन जुटाने के लिए अनुदान मांगा गया है.
रिसर्च के कुछ ही महीनों में मिली सफलता
मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में आसपास के 15-20 जिलों सहित अन्य राज्यों से भी मरीज आंखों की रोशनी का इलाज कराने आते हैं. ऐसे मरीजों की परेशानी को देखते हुए साल 2022 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला ने नेत्र रोग विभाग के प्रमुख प्रो. परवेज खान को स्टेम सेल पर शोध के लिए एथिक्स कमेटी से अनुमति लेकर शोध शुरू करने की सलाह दी. यहां कुछ ही महीनों के शोध में बड़ी सफलता मिली है.
ट्रांसप्लांट के चार महीने में दिखे अप्रत्याशित नतीजे
बाराबंकी निवासी एक महिला, मध्य प्रदेश के रीवा का एक मरीज और बिहार के मुजफ्फरपुर का एक अन्य मरीज जन्मजात दृष्टिबाधित के साथा जीएसवीएम कॉलेज आए थे. जब उनकी आंखों के रेटिना की जांच की गई तो वह अच्छी स्थिति में नहीं थे. उन्नाव निवासी सिपाही मो. असीम को रेटिना की लाइलाज बीमारी थी और वह कई सालों से ठीक से देख भी नहीं पा रहे थे. इन सभी मरीजों में इस नए ट्रांसप्लांट के एक से चार महीने में अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिले हैं.
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट क्या है?
दरअसल, मां के गर्भ में शिशु नाल द्वारा सुरक्षित रहता है. डिलीवरी के बाद बच्चे के साथ प्लेसेंटा और उसकी परतें बाहर आ जाती हैं. इन अवशेषों को एकत्र किया जाता है और इससे स्टेम सेल निकाले जाते हैं. इसे सर्जरी के बाद रेटिना पर इम्प्लांट किया जाता है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. परवेज खान बताते हैं कि जुलाई 2022 से वे प्लेसेंटा के अवशेषों से स्टेम सेल निकालकर आंखों के खराब हो चुके रेटिना में ट्रांसप्लांट करने पर शोध कर रहे हैं. अभी तक दुनिया में लगभग अंधे लोगों पर ऐसा कोई शोध नहीं हुआ है. इसकी सफलता को देखते हुए बड़े पैमाने पर शोध के लिए केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी गई है. इसमें सुविधा व संसाधन मुहैया कराने के लिए अनुदान मांगा गया है.