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48 हजार साल बाद जिंदा किया गया प्राचीन Zombie वायरस आज भी कर सकता है बीमार: स्टडी

पिछले साल साइबेरिया से जो 48,500 साल पुराना Zombie Virus खोजा गया था. वह अब भी संक्रमण फैला सकता है. वैज्ञानिकों कई महीनों की स्टडी और जांच के बाद यह खुलासा किया है. यानी अगर ग्लेशियर पिघलेंगे तो ऐसे कई प्राचीन वायरस, बैक्टीरिया और पैथोजेंस नई बीमारी लेकर आ सकते हैं.

ये है साइबेरिया का पर्माफ्रॉस्ट जहां पर सदियों से बर्फ जमी हुई है. (फोटोः गेटी) ये है साइबेरिया का पर्माफ्रॉस्ट जहां पर सदियों से बर्फ जमी हुई है. (फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • लंदन,
  • 10 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

कहानी थोड़ी फिल्मी है. पिछले साल साइबेरिया (Siberia) के पर्माफ्रॉस्ट (Permafrost) से एक प्राचीन वायरस (Ancient Virus) खोजा गया था. इतने कम तापमान में हजारों साल पड़े रहने के बाद भी यह सक्रिय था. इसलिए इसे नाम दिया गया जॉम्बी वायरस (Zombie Virus). अब वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि ये वायरस अब भी संक्रमण फैला सकता है. इस वायरस ने एक कोशिका वाले अमीबा को संक्रमित किया है. 

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यह जॉम्बी वायरस जानवरों और इंसानों को संक्रमित कर पाएगा या नहीं, यह फिलहाल वैज्ञानिक बता नहीं सकते. लेकिन अपनी स्टडी में इस बात का दावा जरूर करते हैं कि पर्माफ्रॉस्ट से निकलने वाले वायरस लोगों के लिए भयानक खतरा बन सकते हैं. पर्माफ्रॉस्ट मिट्टी की ऐसी परत होती है जो सदियों तक बर्फ में जमी रहती है. उत्तरी गोलार्ध का 15 फीसदी हिस्सा पर्माफ्रॉस्ट है. लेकिन जिस हिसाब से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है, उससे पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने का खतरा है. 

रूस के साइबेरिया में ही वैज्ञानिकों ने पिछले साल बर्फ के नीचे खोजे थे कई प्राचीन वायरस. (फोटोः गेटी)

रूस के सुदूर पूर्वी इलाके में स्थित साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट से पांच अलग-अलग प्रजातियों के 13 वायरसों को खोजा गया है. सैंपल कलेक्ट किए गए हैं. इनमें से कुछ वायरस 48,500 साल पुराने हैं. तब से लेकर अब तक ये बर्फ में दबे सो रहे थे. लेकिन अब ये जाग गए हैं. पर्माफ्रॉस्ट में दबे वायरस सदियों से किसी जीव के संपर्क में नहीं आए हैं. ये किसी जीव के संपर्क में आने पर किस तरह से रिएक्ट करेंगे, ये बता पाना मुश्किल है. 

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सभी वायरस पैथोजेनिक, यानी संक्रमण का खतरा

एक्स-मार्सील यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में जीनोमिक्स और बायोइन्फॉरमेटिक्स के प्रोफेसर जीन-मिशेल क्लेवेरी ने कहा कि हमें अभी इन वायरसों पर और बहुत सी स्टडी करनी है. समय रहते इन वायरसों के बारे में स्टडी नहीं की गई तो भविष्य में जब बर्फ पिघलेगी और ये बाहर निकलेंगे. तब खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा. ये पैथोजेनिक वायरस हैं. ये तेजी से इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं. 

पाकिस्तान जैसे कई देशों में कुछ इलाकों में पर्माफ्रॉस्ट जो ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से पिघल सकते हैं. (फोटोः गेटी)

तीन वायरस नए हैं, एक सबसे पुराना

इनमें से तीन वायरस सबसे नए हैं. उनकी उम्र 27 हजार साल है. इन वायरसों को मैमथ के मल से हासिल किया गया था. बर्फ में जमा हुआ था. इन्हें नाम दिया गया है- मेगावायरस मैमथ, पिथोवायरस मैमथ और पैंडोरावायरस मैमथ. इसके अलावा बर्फ में मृत मिले साइबेरियन भेड़िये के पेट से दो नए वायरसों को खोजा गया है. इनका नाम है पैकमैनवायरस लुपुस और पैंडोरावायरस लुपुस. 

ये खतरनाक वायरस हैं 

जब इन वायरसों की जांच की गई तो पता चला कि ये मिट्टी और पानी में मौजूद सिंगल सेल वाले अमीबा को तो संक्रमित करते ही हैं. अगर मौका और सही वातावरण मिले तो ये खतरनाक पैथोजन बन सकते हैं. यानी भविष्य में बड़े स्तर की महामारी या संक्रमण फैला सकते हैं. ये अब भी संक्रमण फैलाने और खुद को रेप्लीकेट करने में सक्षम हैं. 

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ग्लेशियरों के पिघलने से पुरानी मिट्टी और दबे हुए वायरस-बैक्टीरिया बाहर आएंगे जो दुनिया के लिए खतरा बन सकते हैं. (फोटोः गेटी)

सबसे पुराने वायरस का रिकॉर्ड बना!

फ्रांस की एक्स-मार्सील यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च किया है. इन लोगों ने साइबेरिया में इससे पहले 30 हजार साल पुराने वायरसों की खोज की थी. ये बात साल 2014 की है. लेकिन अब 48,500 साल पुराने वायरसों की भी खोज कर ली है. यानी ये धरती पर मौजूद अब तक के सबसे प्राचीन वायरस माने जाएंगे. यह किसी वर्ल्ड रिकॉर्ड से कम नहीं. 

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