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मानव जाति की उत्पत्ति अफ्रीका में नहीं, यूरोप में हुई थी, 72 लाख साल पुराने जीवाश्म से पता चला

डार्विन के बाद से, यही माना गया कि चिम्पांजी और मनुष्यों के अंतिम सामान्य पूर्वज अफ्रीका में रहते थे. लेकिन एक शोध से पता चलता है कि सबसे पहले इंसान अफ्रीका में नहीं, बल्कि यूरोप में विकसित हुए होंगे. ये शोध पिछले सभी सिद्धांतों को चुनौती दे रहा है. अगर ये सही है, तो मानव इतिहास बदल जाएगा.

aajtak.in
  • बर्लिन,
  • 25 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

क्या आप जानते हैं कि इस पृथ्वी पर मानव कहां जन्मे थे? कहा जाता था कि शुरुआती मानव अफ्रीका में जन्मे थे, लेकिन 72 लाख साल पुराने मानव जीवाश्मों से इस बात के सबूत मिले हैं कि मानव जाति की शुरुआत अफ्रीका में नहीं, बल्कि युरोप में हुई.

ये प्राचीन जीवाश्म भूमध्यसागरीय यूरोप से  'एल ग्रेको' (El Graeco) नाम की एक होमिनिन प्रजाति से संबंधित थे. ये शोध सीधे तौर पर पिछले शोधों को चुनौती दे रहा है, इसलिए इसकी ऑब्ज़रवेशन काफी अहम है.

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1944 में जब ग्रीस के पाइरगोस वासिलिसिस (Pyrgos Vassilissis) में एक बेहद पुराने निचले जबड़े की खोज की गई थी, तो ज्यादातर मानवविज्ञानियों ने इस खास जीवाश्म को अनदेखा कर दिया था.

मानव जाति की शुरुआत अफ्रीका में नहीं, युरोप में हुई. (Photo: Getty)

जब आधुनिक मानव की उत्पत्ति की बात आती है, तो दशकों से एक सिद्धांत बना हुआ है कि हर जीवित इंसान अफ्रीका के एक छोटे समूह से निकला है. यह समूह तब पूरी दुनिया में फैल गया और इससे शुरुआती मानव जैसे निएंडरथल (Neanderthals) और डेनिसोवन्स (Denisovans) विस्थापित हो गए.  हालांकि, स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, निचले जबड़े के प्राचीन जीवाश्मों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम का मानना है कि आधुनिक मानव का जन्मस्थान अफ्रीका नहीं, बल्कि पूर्वी भूमध्यसागरीय (Eastern Mediterranean) रहा होगा. 

एल ग्रेको इतिहास का सबसे पुराना ज्ञात पूर्व-मानव 

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2012 में, प्राचीन जबड़े की हड्डी को बुल्गारिया के अज़माका (Azmaka, Bulgaria) में एक प्रीमोलर दांत के जीवाश्म से जोड़ा गया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि अवशेष एक वानर जैसे प्राणी, ग्रेकोपिथेकस फ्रेबर्गी (Graecopithecus freybergi) के थे. इसे अब सबसे पुराना ज्ञात पूर्व-मानव (Pre-Human) माना जाता है, जो 72 लाख साल पुराना है. माइक्रो-कंप्यूटेड टोमोग्राफी, जड़ों के 3D कंस्ट्रक्शन और जीवाश्म दांतों की आंतरिक संरचना की मदद से, शोधकर्ताओं ने समकालीन मनुष्यों और उनके शुरुआती पूर्वजों की खास विशेषताओं की खोज की.

ग्रेकोपिथेकस और मैसेडोनिएन्सिस की रूट मॉर्फोलॉजी​​​​ (Photo: Jochen Fuss,Nikolai Spassov,David R. Begun)

टूबिंगन यूनिवर्सिटी (University of Tubingen) में सेनकेंगबर्ग सेंटर फॉर ह्यूमन इवोल्यूशन एंड पेलियोएनवायरमेंट की प्रोजेक्ट डायरेक्टर मैडेलाइन बोहमे (Madelaine Bohme), बल्गेरियाई एकेडमी ऑफ साइंसेज के निकोलाई स्पैसोव (Nikolai Spassov) और उनके सहयोगियों ने पाइरगोस जीवाश्म (Pyrgos fossil) और इससे संबंधित ऊपरी प्रीमोलर दांत, दोनों की जांच की. जांच से पता चला कि एल ग्रेको सबसे पुराना ज्ञात संभावित होमिनिन है. वह अफ्रीका के सबसे पुराने पूर्व-मानव, चाड के 60 से 70 लाख साल पुराने सहेलथ्रोपस (Sahelanthropus) से भी कई लाख साल पुराना है.

कंप्यूटर टोमोग्राफी से दिखीं मानव जैसी विशेषताएं

मानवविज्ञानी एल ग्रेको को अभी के लिए होमिनिन या पूर्व-मानव के रूप में संदर्भित करते हैं, क्योंकि आधुनिक मनुष्यों और चिंपांजियों के आखिरी सामान्य पूर्वज में गैर-मानव प्राइमेट और मानव विशेषताएं दोनों बरकरार हैं. हालांकि, कंप्यूटर टोमोग्राफी की मदद से, बोहमे और उनके सहयोगियों ने देखा कि एल ग्रेको की विशेषताएं, आधुनिक मानव जैसे रूपों में विकसित हो रही थीं.

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 बल्गेरिया से मिला ऊपरी प्रीमोलर दांत (Photo: Wolfgang Gerber, University of Tübingen)

इसके अलावा, टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डेविड बेगुन (David Begun) का मानना ​​​​है कि अगर हम ग्रेकोपिथेकस (Graecopithecus ) को अपनी लाइन में शामिल कर लेते हैं, तो मानव जाति के इतिहास को फिर से लिखा जा सकता है. अगर यह वास्तव में एक मानव है, तो यह सबसे पुराना ज्ञात मानव पूर्वज होगा. डार्विन के बाद से, यही माना गया कि चिम्पांजी और मनुष्यों के अंतिम सामान्य पूर्वज अफ्रीका में रहते थे. जबकि PLUS ONE जर्नल में प्रकाशित इस शोध से पता चलता है कि सबसे पहले इंसान यूरोप में विकसित हुए होंगे.

बोहेम का मानना है कि एल ग्रेको के पूर्वज यूरेशियन होमिनिन हैं. हालांकि, वह और उनकी टीम यह भी कहती है कि उनके कुछ वंशज हो सकता है कि किसी समय अफ्रीका चले गए हों. वे मानते हैं कि उनके कई वंशज और दूसरे शुरुआती पूर्व-मानवों के वंशज, भूमध्य सागर में बने रहे और पूरे यूरोप और एशिया में फैल गए. 

अगर आने वाले सालों में और ज्यादा सबूत इन सिद्धांतों की पुष्टि करते हैं, तो मानव इतिहास जैसा कि हम आज जानते हैं, वह काफी बदल जाएगा. 


 

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