
न्यूजीलैंड के पास दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित टोंगा में 11 नवंबर 2022 की शाम करीब 6 बजे भयानक भूकंप आया. इस भूकंप की तीव्रता 7.3 बताई जा रही है. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक भूकंप का केंद्र टोंगा के नीयाफू से पूर्व-दक्षिणपूर्व की तरफ 211 किलोमीटर दूर था. भूकंप की गहराई 25 किलोमीटर थी. भूकंप आने के तत्काल बाद इस समुद्री इलाके में सुनामी अलर्ट जारी कर दिया गया.
टोंगा और उसके आसपास कई द्वीपों भूकंप का सायरन बज गया. लोग ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने लगे. लोगों को प्रशासन और सेना के लोग सुरक्षित स्थानों पर लेकर जा रहे हैं. लोगों को समुद्री इलाकों से दूर जाने की सलाह दी गई है. आपको बता कि इस साल जनवरी में यहां पर समुद्र के अंदर मौजूद एक ज्वालामुखी फटा था. जो 100 सालों का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट माना जा रहा था. इस विस्फोट की वजह से तीन लोगों की मौत हो गई थी. पूरा द्वीप भयानक राख की चादर में घिर गया था.
इस ज्वालामुखी विस्फोट ने इतना राख और पत्थर खिसकाया था, जिससे की पूरी पनामा नहर भर जाए. टोंगा ज्वालामुखी के विस्फोट ने धरती को दो बार हिला दिया. क्योंकि इससे निकले शॉकवेव ने पूरी धरती के दो चक्कर लगाए थे. इससे पहले 1883 में क्राकाटोआ ज्वालामुखी (Krakatoa Volcano) फटा था. टोंगा ज्वालामुखी के विस्फोट की आवाज 2300 किलोमीटर दूर तक साफ सुनाई दी थी. कहीं इस ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से टोंगा के आसपास की कोई टेक्टोनिक प्लेट तो नहीं खिसक गई थी. जिसने अब फिर से हलचल करके भूकंप ला दिया हो. पहले समझते हैं टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट की कहानी.
टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट ने बदला था समुद्र तल को
ज्वालामुखी विस्फोट ने अपने आसपास के 8000 वर्ग किमी के समुद्री तल को पूरी तरह से बदल दिया है. इसके विस्फोट से 7 क्यूबिक किलोमीटर राख-पत्थर और समुद्री मलबा खिसका है. इतने मलबे से पांच एंपायर स्टेट बिल्डिंग बन जाए. टोंगा के पास जा रही समुद्री इंटरनेट केबल भी टूट गई थी. जबकि यह केबल समुद्र तल से 100 फीट नीचे दबाई गई थी. यानी विस्फोट के बाद समुद्र तल से नीचे 100 फीट तक बदलाव देखा गया.
समुद्र के अंदर धंस गया था ज्वालामुखी का क्रेटर-काल्डेरा
न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शेन क्रोनिन ने कहा कि ज्वालामुखी का काल्डेरा (Caldera) कई मीटर नीचे गिर गया था. इस ज्वालामुखी का क्रेटर यानी विस्फोट वाला ऊपरी गड्ढा 492 फीट से 2822 फीट नीचे तक गिर गया था. अब तक समुद्र के अंदर सबसे गहराई में गिरने वाला यह पहला क्रेटर है. ज्वालामुखी विस्फोट के बाद 58 किलोमीटर ऊपर तक राख और धुएं का गुबार गया. विस्फोट के बाद मशरूम जैसी आकृति बनी. 4 फीट ऊंची लहरों की सुनामी आई. तत्काल इसका असर 250 किलोमीटर तक दिखाई दिया. समुद्र में एक बड़ा गड्ढा बन गया जिससे सुनामी को ताकत मिली. विस्फोट और उसकी लहर अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स ने भी कैद किया.
इसलिए फट पड़ा था टोंगा का ज्वालामुखी
समुद्र के अंदर गर्म लावा और गैस का गुबार पनप रहा था. दबाव बन रहा था. एक महीने से चल रही इस प्रक्रिया से दबाव बढ़ता जा रहा था. मैग्मा का तापमान 1000 डिग्री सेल्सिय पहुंच गया था. जैसे ही वह 20 डिग्री सेल्सियस वाले समुद्री पानी से मिला, ज्वालामुखी को दबाव रिलीज करने की जगह मिल गई और विस्फोट हो गया. राख जब उड़ती हुई 58 किलोमीटर गई तो उसमें मौजूद आइस क्रिस्टल्स ने बादलों को चार्ज कर दिया. बस यहीं शुरु हुई कड़कड़ाती हुई बिजलियों की बारिश. इस समय 80 फीसदी ज्यादा बिजलियां आसमान से ज्वालमुखी के ऊपर गिर रही थीं.
कहां है Tonga ज्वालामुखी?
हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई द्वीप के आसपास 170 द्वीप है. जो दक्षिण प्रशांत महासागर में टोंगा द्वीपों का एक साम्राज्य बनाता है. इस विस्फोट की वजह से टोंगा की राजधानी नुकुआलोफा में 4 फीट ऊंची सुनामी आ गई. जो इस ज्वालामुखी से करीब 65 किलोमीटर दूर है. पूरे प्रशांत महासागर में एक सोनिक बूम सुनाई दिया. यह आवाज अलास्का तक पहुंची.