Advertisement

Adani की कंपनी ने बनाया Gaurav बम, हवा में तैरकर पहुंचता है दुश्मन तक

भारतीय वायुसेना के लिए एक लंबी दूरी का ग्लाइड बम बनाया गया है. इसे उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने बनाया है. इस बम का डिजाइन डीआरडीओ ने किया था. 1000 किलोग्राम के इस बम का पिछले साल सफल परीक्षण भी हुआ था. आइए जानते हैं कि इस बम की ताकत, रेंज और मारक क्षमता.

ये है गौतम अडानी की कंपनी द्वारा बनाया गया बिना विंग वाला गौथम बम. विंग वाले का नाम है गौरव. ये है गौतम अडानी की कंपनी द्वारा बनाया गया बिना विंग वाला गौथम बम. विंग वाले का नाम है गौरव.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST
  • DRDO ने बनाया था इस ग्लाइड बम का डिजाइन
  • सुखोई सू-30 एमकेआई फाइटर जेट में होता है तैनात

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को एक ऐसे स्मार्ट बम की जरुरत थी, जो खुद नेविगेट और ग्लाइड करते हुए दुश्मन के टारगेट को बर्बाद कर दे. इस काम में भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने मदद की. उसके वैज्ञानिकों ने दो तरह के बम का डिजाइन बनाया. डिजाइन के बाद इस बम को बनाने की जिम्मेदारी उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनी Adani Defence And Aerospace ने ली. उसने दोनों बमों का निर्माण किया. पहला विंग के जरिए ग्लाइड करने वाला गौरव (Gaurav) लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम (LRGB). 

Advertisement
सुखोई सू-30एमकेआई फाइटर जेट में लगा गौरव लॉन्ग रेज ग्लाइड बम. 

दूसरा है बिना विंग वाला गौथम (Gautham). ये दोनों ही प्रेसिशन गाइडेड हथियार हैं. इनका उपयोग आमतौर पर एंटी-एयरक्राफ्ट डिफेंस में रेंज से बाहर मौजूद टारगेट्स को ध्वस्त करने के लिए किया जाएगा. इससे अपने फाइटर जेट के सर्वाइव करने और कोलेटरल डैमेज की आशंका कम हो जाती है. गौरव 1000 किलोग्राम का विंग वाला लंबी दूरी का ग्लाइड बम है. वहीं, गौथम 550 किलोग्राम का बिना विंग का बम है. दोनों की लंबाई 4 मीटर है. दोनों का व्यास 0.62 मीटर है. 

रक्षा प्रदर्शनी में अडानी की कंपनी के लोग गौरव बम के बारे में बताते हुए. (फोटोः ट्विटर/डिफेंस डिकोड)

गौरव (Gaurav) और गौथम (Gautham) दोनों ही बमों में CL-20 यानी फ्रैगमेंटेशन और क्लस्टर म्यूनिशन लगते हैं. ये टार्गेट से कॉन्टैक्ट करते ही प्रॉक्जिमिटी फ्यूज़ कर देता है. विस्फोटक फट जाता है. गौरव की रेंज 100 किलोमीटर ग्लाइड करने की है. जबकि गौथम की बिना विंग के 30 किलोमीटर ग्लाइड करने की है. यह अधिकतम 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है.  

Advertisement
इस ग्राफिक्स से आप समझ सकते हैं कि गौरव बम में कहां पर कौन सी चीज है. 

दोनों ही बमों में इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम लगा है. जो जीपीएस और नाविक सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम की मदद से टारगेट तक पहुंचता है. इसे सुखोई सू-30एमकेआई (Sukhoi Su-30MKI) फाइटर जेट पर तैनात किया जा सकता है. पिछले साल अक्टूबर महीने में बालासोर में सुखोई फाइटर जेट से गौरव का सफल परीक्षण किया गया था. इससे पहले 2014 में इसका सफल परीक्षण किया गया था. दोनों की फिलहाल अपग्रेडेड रेंज 50 से 150 किलोमीटर है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement