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Aditya-L1: भारत का सूर्य मिशन धरती से 1.21 लाख km दूर, बस एक चक्कर और फिर 109 दिन की लंबी यात्रा

Aditya-L1 को 15 सितंबर की रात सवा दो बजे धरती से थोड़ा और दूर भेज दिया गया है. उसकी चौथी बार ऑर्बिट बदली गई है. अब वह 256 km x 121973 km की अंडाकार कक्षा में घूम रहा है. अगला ऑर्बिट 19 सितंबर की रात 2 बजे बदलने की योजना है.

Aditya-L1 को अब धरती के चारों तरफ बस एक चक्कर और लगाना है, उसके बाद हैलो ऑर्बिट में यात्रा करनी है. (सभी फोटोः ISRO) Aditya-L1 को अब धरती के चारों तरफ बस एक चक्कर और लगाना है, उसके बाद हैलो ऑर्बिट में यात्रा करनी है. (सभी फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

पृथ्वी के चारों तरफ Aditya-L1 की चौथी बार कक्षा बदली गई है. इसे अर्थ बाउंड मैन्यूवर (EBN#4) कहा गया है. ISRO का सूर्य मिशन अभी पृथ्वी के चारों तरफ 256 km x 121973 km की अंडाकार कक्षा में घूम रहा है. इसकी ऑर्बिट बदलते समय मॉरशिस, बेंगलुरु के ISTRAC, श्रीहरिकोटा के SDSC-SHAR और पोर्ट ब्लेयर के इसरो सेंटर से निगरानी की गई.  

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अब आदित्य की अगली ऑर्बिट बदलने का काम 19 सितंबर की रात 2 बजे किया जाएगा. जिसे EBN#5 कहा जा रहा है. वो धरती के चारों तरफ उसका आखिरी ऑर्बिट मैन्यूवर होगा. धरती के चारों तरफ ऑर्बिट इसलिए बदला जा रहा है ताकि वह इतनी गति हासिल कर ले कि वह 15 लाख km की लंबी यात्रा को पूरा कर सके. इसके बाद वह सूरज की तरफ मौजूद L1 प्वाइंट यानी लैरेंज प्वाइंट की तरफ निकल जाएगा. फिर वह करीब 109 दिन की यात्रा हैलो ऑर्बिट में करेगा.  

इससे पहले अपनी सही सेहत की जानकारी देने के लिए Aditya-L1 सेल्फी भेजी थी. यह बताया था कि उसके सारे कैमरे सही काम कर रहे हैं. उसने पृथ्वी और चांद की फोटो भी ली है. साथ ही वीडियो भी बनाया है. आदित्य L1 तक पहुंच जाएगा. तब वह हर दिन 1440 तस्वीरें भेजेगा. ताकि सूर्य की बड़े पैमाने पर स्टडी की जा सके. यह तस्वीरें आदित्य में लगा विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) लेगा. 

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फरवरी में मिलेगी सूरज की पहली तस्वीर 

आदित्य-L1 से सूरज की पहली तस्वीर फरवरी या मार्च में मिलेगी. VELC को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है. इसरो के सूर्य मिशन में लगा VELC सूरज की HD फोटो लेगा. L1 तक की यात्रा पूरी करने के बाद आदित्य के सारे पेलोड्स ऑन किए जाएंगे. यानी उसमें जितने भी यंत्र लगे हैं, वो एक्टिव हो जाएंगे. वो सूरज की स्टडी शुरू कर देंगे. लेकिन बीच-बीच में उनके सलामती की जांच के लिए उन्हें एक्टिव किया जा सकता है. यह देखने के लिए वो ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं. 

छोटे मिशन से ज्यादा की उम्मीद है

आदित्य को पांच साल के लिए बनाया गया है. लेकिन सही सलामत रहा तो यह 10-15 साल तक काम कर सकता है. सूर्य से रिलेटेड डेटा भेज सकता है. लेकिन इसके लिए उसे पहले L1 पह पहुंचना जरूरी है. लैरेंज प्वाइंट अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी जगह है जो धरती और सूरज के बीच सीधी रेखा में पड़ती है. धरती से इसकी दूरी 15 लाख किलोमीटर है.

सूरज और धरती की अपनी-अपनी ग्रैविटी है. L1 प्वाइंट पर ही इन दोनों की ग्रैविटी आपस में टकराती है. या यूं कहें जहां पर धरती की ग्रैविटी का असर खत्म होता है. वहां से सूरज की ग्रैविटी का असर शुरू होता है. इसी बीच के प्वाइंट को लैरेंज प्वाइंट (Lagrange Point). 

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क्या स्टडी करेगा आदित्य-L1? 

- सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है.
- आदित्य सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा. 
- सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा. 
- सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा.  

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