
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आदित्य-एल1 में लगे 6 मीटर लंबे मैग्नेटोमीटर बूम (Magnetometer Boom) को सफलतापूर्वक तैनात और एक्टिव कर दिया है. आदित्य सोलर प्रोब 11 जनवरी 2024 को L-1 प्वाइंट पर तैनात किया गया था. इस दौरान 132 दिनों तक मैग्नेटोमीटर को बंद रखा गया था.
बूम के अंदर दो स्टेट-ऑफ-द-आर्ट, अत्यधिक सटीक फ्लक्सगेट मैग्नेटोमीटर सेंसर्स हैं. जो अंतरिक्ष में ग्रहों के बीच चुंबकीय शक्ति और क्षेत्र को डिटेक्ट करता है. चाहे यह फील्ड कितनी भी कमजोर क्यों न हो. ये सेंसर्स स्पेसक्राफ्ट के शरीर से 3 मीटर और 6 मीटर की दूरी पर तैनात किए गए हैं.
इतनी दूरी इसलिए रखी गई है ताकि आदित्य के शरीर से निकलने वाली चुंबकीय शक्ति सेंसर्स पर अपना असर न डालें. दो सेंसर्स की जरूरत इसलिए थी ताकि मैग्नेटिक फील्ड की ज्यादा सटीक जानकारी मिल सके. ये मैग्नेटोमीटर बूम कार्बन फाइबर रीइंफोर्स्ड पॉलीमर और मैकेनिज्म एलिमेंट्स से मिलकर बनाया गया है.
बूम के अंदर पांच सेगमेंट हैं. जो उसे आसानी से मुड़ने और फैलने में मदद करते हैं. इसके लूप मैकेनिज्म को केवलार से बनाया गया है. जब यह मैग्नेटोमीटर बूम बंद था, उस समय दो फोल्ड में मोड़ा गया था. ताकि आदित्य के शरीर का वजन भी संतुलित हो सके. बूम को तैनात करने के लिए थर्मल कटर रिलीज सिस्टम लगाया गया है.
इन दोनों मैग्नेटोमीटर को तैनात होने में 9 सेकेंड लगे. फिलहाल यह दोनों सही से काम कर रहे हैं. आगे आने वाली सभी जानकारियों को इसरो शेयर करेगा. इसरो ने बताया कि बहुत जल्द ही इसके डेटा का भी खुलासा किया जाएगा.