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Aditya-L1: इतिहास रचने के करीब आदित्य एल1, कुछ ही घंटों बाद करेगा 'सूर्य नमस्कार'

ISRO Sun mission Aditya L-1:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने के करीब है. सोलर मिशन के तहत इसरो द्वारा भेजे गए आदित्य-L1 आज यानी शनिवार की शाम को करीब चार बजे के आसपास अपने गंतव्य स्थान एल-1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा.

आज सूरज पर भारत लहराएगा परचम Aditya L1 आज सूरज पर भारत लहराएगा परचम Aditya L1
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:22 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ यान को आज यानी शनिवार को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अपने गंतव्य स्थान यानि इसकी हैलो ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इसरो अधिकारियों के अनुसार, इस अंतरिक्ष यान की पृथ्वी से दूरी लगभग 15 लाख किलोमीटर है जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (एल 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा (Halo Orbit) में पहुंचेगा. ‘एल1 प्वाइंट’ पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है.

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इसके साथ ही सूरज की स्टडी कर रहे NASA के चार अन्य सैटेलाइट्स के समूह में शामिल हो जाएगा. ये सैटेलाइट्स हैं- WIND, Advanced Composition Explorer (ACE),Deep Space Climate Observatory (DSCOVER) और नासा-ESA का ज्वाइंट मिशन सोहो यानी सोलर एंड हेलियोस्फेयरिक ऑब्जरवेटरी है.  

हैलो ऑर्बिट में पहुंच जाएगा एल1

उन्होंने कहा कि ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर हैलो ऑर्बिट में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा. ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है. हैलो ऑर्बिट, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है.

इसरो के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, ‘शनिवार शाम लगभग चार बजे आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक  हैलो ऑर्बिट में पहुंचा दिया जाएगा. यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा.’इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था.

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क्या है मकसद

पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद उसने पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में आदित्य-एल1 को स्थापित किया था.‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.

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