
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) आपके दिमाग की तरंगों (Brainwaves) के इस्तेमाल से ऐसी चीजें देख सकता है, जिसे आप असल में नहीं देख सकते. इस तकनीक को 'घोस्ट इमेजिंग' (Ghost Imaging- GI) कहा जाता है. इसे अक्सर क्लोनिंग भी कहते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि घोस्ट इमेजिंग तकनीक को इंसान के विज़न से जोड़ दिया जाए, तो ऐसी वस्तु की छवि बनाई जा सकती है, जिसे व्यक्ति सीधे तौर पर नहीं देख सकता है. इसका AI सिस्टम इमेजन इनपुट टेक्स्ट से फोटोरिअलिस्टिक इमेज बनाता है. आपका दिमाग किस तरह काम कर रहा है, यह उसका विश्लेषण करके उस वस्तु की बेसिक डिटेल बनाता है और दीवार पर मुश्किल से दिखने वाले रिफ्लेक्शन बनते हैं. घोस्ट इमेजिंग को डेटा इमेजिंग, डिस्क इमेजिंग या कंप्यूटर इमेजिंग भी कहा जाता है.
घोस्ट इमेजिंग सिस्टम आपका दिमाग पढ़ सकता है
ग्लासगो यूनिवर्सिटी (University of Glasgow) के शोधकर्ताओं ने घोस्ट इमेजिंग सिस्टम पेश किया है जो व्यक्ति की ब्रेनवेव को पढ़ सकता है. शोधकर्ताओं ने एक फ्लाइंग ड्रोन समेत वास्तविक दुनिया के कई चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों के आधार पर एक शोध किया, और दिखाया कि यह तरीका बाकी तरह की घोस्ट इमेजिंग से बेहतर प्रदर्शन करता है
पहले घोस्ट इमेजिंग का इस्तेमाल कोनों के आसपास छिपी वस्तुओं को खोजने के लिए किया गया है. हालांकि तब इसके लिए मानव विज़न का इस्तेमाल न के बराबर ही किया था. इस नए प्रयोग में मानव विज़न सिस्टम की अहम भूमिका है.
शोधकर्ताओं ने दिखाया कि उनकी तकनीक साधारण वस्तुओं की 16 x16 पिक्सेल वाली तस्वीरें सफलतापूर्वक बना सकती है जिन्हें व्यक्ति देख नहीं सकता है. यह तकनीक क्लेवर एल्गोरिदम पर बेस्ड है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक सुलभ है, इसमें गलतियों की गुंजाइश भी कम रहती है. यह बाकी तकनीक की तुलना में काफी तेज है. इतना ही नहीं, घोस्ट इमेजिंग लंबी दूरी की इमेजिंग के लिए काफी काम ही साबित हो सकती है. इसमें हाई-रिज़ॉल्यूशन रिमोट सेंसिंग की भी काफी संभावनाएं हैं.