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अमेरिका ने की यूक्रेन की ऐसी मदद, अब परमाणु हमला करने से पहले सौ बार सोचेगा रूस

रूस और यूक्रेन के युद्ध को एक साल से भी ज़्यादा का समय हो गया है. रूस ने यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हमले का विकल्प खुला रखा है. ऐसे में अमेरिका ने यूक्रेन की मदद करते हुए उसे रेडिएशन सेंसर्स दिए हैं, ताकि होने वाले किसी भी हमले के बारे में यूक्रेन को पहले से ही पता चल जाए.

अब यूक्रेन को रेडिएशन सेंसर्स से लेस कर रहा है अमेरिका (Photo: AFP) अब यूक्रेन को रेडिएशन सेंसर्स से लेस कर रहा है अमेरिका (Photo: AFP)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 30 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) के चलते, अमेरिका यूक्रेन की मदद कर रहा है. वह यूक्रेन को ऐसे सेंसर दे रहा है जो परमाणु हथियार या किसी बम से निकलने वाले रेडिएशन का पता लगा सकता है और हमला करने वाले की पहचान भी कर सकता है. अगर रूस यूक्रेन पर किसी रेडियोएक्टिव हथियार से विस्फोट करता है, तो उसके एटोमिक सिग्नेचर और इस हमले में रूस की ज़िम्मेदारी को वेरिफाई किया जा सकता है. यानी, अब रूस यूक्रेन पर हमला करने से पहले सौ बार सोचेगा.

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रूस और यूक्रेन के युद्ध को 14 महीने बीत चुके हैं. जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तब से एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या रूस भी उसी तरह युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा, जिस तरह 1945 में अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर किया था. 

इस तकनीक से हमला करने वाले की पहचान भी हो सकेगी (Photo: Getty)

न्यूक्लियर इमरजेंसी सपोर्ट टीम, या NEST जो सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एटोमिक एस्पर्ट्स की एक यूनिट है, यूक्रेन के साथ काम कर रही है. यह यूनिट रेडिएशन सेंसर तैनात करने, लोगों को ट्रेनिंग देने, डेटा को मॉनिटर करने और घातक रेडिएशन की चेतावनी देने के लिए काम कर रही है.

रूस-यूक्रेन युद्ध को 14 महीने बीत चुके हैं (Photo: AFP)

एजेंसी का कहना है कि एटोमिक सेंसर का नेटवर्क पूरे क्षेत्र में तैनात किया जा रहा है और इसमें किसी भी परमाणु विस्फोट के आकार, जगह और असर को पहचानने की क्षमता होगी. इसके अलावा यह भी कहा गया कि ये सेंसर रूस को यूक्रेन में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का कोई मौका नहीं देगा.

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एक्सपर्ट्स चिंतित हैं कि यूक्रेन पर परमाणु हमला हो सकता है  (Photo: AFP)

हालांकि, इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका से हमला करने वाले की पहचान करने में भी चूक हो सकती है. अगर हथियार किसी खास मिसाइल से ट्रैक किए जा सकने वाले रास्ते से न आकर, किसी ट्रक, टैंक या फिर नाव के ज़रिए आता है तो इसकी पहचीन करना लगभग नामुमकिन हो सकता है. 

परमाणु जानकारों का कहना है कि इस तरह की डिफेंसिव प्लैनिंग का सभी को पता होने की वजह से रूस मजबूर हो सकता है. वह हमला करने से पहले रुक जाएगा, क्योंकि अमेरिका फाल्स फ्लैग ऑपरेशन को एक्सपोज़ कर सकता है.

 

सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका ने परमाणु विज्ञान में तेजी से विकास किया है. अब, अमेरिका अपनी इस क्षमता का इस्तेमाल विदेशी धरती पर कर रहा है, जहां यूक्रेन की चार पावर जेनेरेशन साइटों पर 15 परमाणु रिएक्टरों पर रूस के हमले करने की संभावना बनी हुई है.

 

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