
50 करोड़ साल पहले, अब के दक्षिण-पश्चिमी चीन के पास, समुद्र तल के किनारे एक जीव रहता था, जो देखने में टॉयलेट ब्रश की तरह लगता था. इस जानवर की आंखें बाहर निकली हुई गेंद जैसी थीं. आगे शस्त्र जैसे दो नोकीले डंक जिनपर छोटे-छोटे स्पाइक्स थे. इसकी पूंछ लंबी और पंखे के समान थी, जिनपर ब्लेड के आकार की संरचनाएं थीं. यह अजीब सा दिखने वाला जानवर कैम्ब्रियन काल (Cambrian period) के दौरान रहता था. कैम्ब्रियन काल यानी 54.1 करोड़ से 48.54 करोड़ साल पहले.
हाल ही में जर्नल ऑफ द जियोलॉजिकल सोसाइटी (Journal of the Geological Society) में पब्लिश की गई रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया कि 1990 में, चीन के युन्नान प्रांत की एक साइट- चेंगजियांग लेगरस्टेट में, वैज्ञानिकों को इस जानवर के जीवाश्म मिले थे जिनमें से एक नमूना युवा का था. इसकी लंबाई करीब 6 इंच थी और ये 2 इंच चौड़ा था. यह जानवर विलुप्त हो चुके, समुद्र में रहने वाले प्राचीन आर्थ्रोपोड्स के एक ग्रुप से जुड़ा है, जिसे रेडियोडोंट (Radiodonts) कहा जाता है.
चाइनीज़ एकैडमी ऑफ़ साइंसेज़ में भूविज्ञान और जीवाश्म विज्ञान के प्रोफेसर और शोध के लेखक हान ज़ेंग (Han Zeng) का कहना है कि पहले शोधकर्ताओं ने इस जानवर को रेडियोडोंट प्रजाति का माना था. हालांकि, इस जीवाश्म में सबसे आगे पाए जाने वाले नोकीले डंक, सभी रेडियोडोन्ट्स से अलग हैं. इसी वजह से इस जीवाश्म की दोबारा स्टडी की गई.
शोध के मुताबिक, यह एक अजीब प्रजाति इनोवेटियोकारिस माओटियनशानेंसिस (Innovatiocaris maotianshanensis) से संबंधित है. शोध के मुताबिक, जीनस का नाम innovation और crab के लैटिन शब्दों से आया है, और प्रजाति का नाम चेंगजियांग में एक जगह माओतियांशान से आया है, जहां से यह जीवाश्म पाया गया था.
शोधकर्ताओं का कहना है कि जब ये जानवर जीवित था, तब यह प्रजाति समुद्र की सबसे भयानक शिकारी प्रजातियों में से एक थी. रेडियोडोंट पृथ्वी पर सबसे पुराने विशालकाय शिकारियों में से हैं. 52 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन काल में उनके हाने से तब की जटिल खाद्य स्थिति और मरीन ईकोसिस्टम का पता चलता है. रेडियोडोंटा में एक बहुत ही अजीब मॉर्फोलॉजी है जिसने वैज्ञानिकों को काफी समय तक परेशान किया.
हान ज़ेंग का कहना है कि आई माओटियनशानेंसिस में, स्पिनस रैप्टोरियल एपैंडेज (डंग जैसे आकार के) से पता चलता है कि यह अपने से ज्यादा बड़ा शिकार करता होगा. जबकि इसकी बड़ी आंखों से लगता है कि इसका विज़न (Vision) काफी अच्छा रहा होगा. इसके शरीर पर पाए जाने वाले गिल्स और फ्लैप से इसे सांस लेने और तैरने में मदद मिलती होगी. जबकि पूंछ इसे मुड़ने और गोते खाने में मदद करती होगी. कुल मिलाकर, इसके शरीर की संरचनाओं को देखकर कहा जा सकता है कि यह जानवर एक सक्रिय शिकारी था.