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शिवालिक पहाड़ियों से मिले छिपकलियों और सांपों के 91 लाख साल पुराने जीवाश्म

भारतीय शोधकर्ताओं को हिमाचल प्रदेश से एक बड़ी सफलता मिली है. बिलासपुर की शिवालिक पहाड़ियों से प्राचीन छिपकलियों और सांपों के जीवाश्म (Fossils) मिले हैं. जो 91 लाख साल पुराने बताए जा रहे हैं. उस काल की जलवायु को समझने में ये जीवाश्म बहुत योगदान दे सकते हैं.

शिवालिक पहाड़ियों से मिले जीवाश्म शिवालिक पहाड़ियों से मिले जीवाश्म
ललित शर्मा
  • बिलासपुर,
  • 30 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की शिवालिक पहाड़ियों से शोधकर्ताओं को प्राचीन छिपकलियों और सांपों के जीवाश्म (Fossils) मिले हैं. बताया जा रहा है कि ये जीवाश्म करीब 9.1 मिलियन, यानी 91 लाख साल पुराने हैं. इस खोज से वैज्ञानिकों को लाखों साल पहले की जलवायु के बारे में भी जानकारी मिली है.

छिपकली और पायथन सांप की रीढ़ की हड्डियों के जीवाश्मों (Fossils) शिवालिक पहाड़ियों के हरितल्यांगर (Haritalyangar) इलाके से पाए गए हैं. जब इन जीवाश्मो की जांच की गई तो शोधकर्ताओं को उस दौर के मौसम की भी जानकारी मिली.

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उन्होंने पता लगाया कि इस क्षेत्र में, लाखों साल पहले की जलवायु और आज की जलवायु स्थिति समान है. यानी, अभी भी इस क्षेत्र का औसत वार्षिक तापमान लगभग 15 से 18.6 डिग्री सेल्सियस है, जैसे की 91 लाख साल पहले हुआ करता था.

पंजाब यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी विभाग से डॉ राजीव पटनायक ने आजतक को बताया कि आज से 91 लाख साल पहले वाले जीवाश्मों को बिलासपुर में खोजा गया है और खोज से पता चलता है कि शिवालिक के इस इलाके में पहले हरे-भरे जंगल हुआ करते थे, जो इन सांपों और छिपकलियों के रहने के लिए अपयुक्त थे. तब तापमान बिलकुल सही था, लेकिन जैसे-जैसे वातावरण में बदलाव आया, शिवालिक की ये पहाड़ी हरे भरे जंगल से घास के मैदान में बदल गई.

डॉ राजीव पटनायक ने बताया कि उस समय पर तामपान गर्म और नमी वाला रहा होगा, जबकि अब शिवालिक और उत्तर भारत में तापमान ठंडा और सूखा है. शोध में यह बात भी सामने आई है कि शिवालिक की पहाड़ियों में इस तापमान में ही अजगर, छिपकली और रेप्टाइल रह सकते हैं.

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भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़, पंजाब और कमेनियस यूनिवर्सिटी, स्लोवाकिया की ब्रातिस्लावा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के सहयोग से, पहली बार इस क्षेत्र से टैक्सा, वरानस, पायथन, एक अहानिकर (कोलब्रिड) और एक अन्य सांप का डॉक्यूमेंटेशन किया गया है.

 

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