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शैतान की तरह दिखने वाली नई एंगलरफिश मिली, वैंपायर की तरह बनाती है शारीरिक संबंध

समुद्र में 4000 मीटर नीचे एक ऐसी शैतानी मछली मिली है, जो वैंपायर की तरह शारीरिक संबंध बनाती है. नर एक मादा से जुड़कर तब तक खून पीता रहता है, जब तक वह वयस्क नहीं हो जाता. इसके बाद उस मादा के अंडों को फर्टिलाइज करके दूसरी मादा की तलाश में निकल जाता है.

ये है वो एंगलरफिश जो अटलांटिक महासागर में सेंट हेलेना के पास मिला है. (फोटोः क्रिस फ्लेचर/एनएचएम) ये है वो एंगलरफिश जो अटलांटिक महासागर में सेंट हेलेना के पास मिला है. (फोटोः क्रिस फ्लेचर/एनएचएम)
aajtak.in
  • लंदन,
  • 02 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:08 PM IST

लंदन नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के सीनियर क्यूरेटर जेम्स मैक्लेन ने बताया कि हाल ही में एंगलरफिश (Anglerfish) की एक नई प्रजाति मिली है. यह समुद्र में एक से चार किलोमीटर की गहराई में रहती है. इस प्रजाति के नर को एक बड़ी गंदी आदत होती है. यह मादा के साथ बचपन से ही जुड़ जाता है. वैंपायर की तरह उसका खून पीता रहता है. जब यह वयस्क हो जाता है, किसी अन्य मादा के साथ संबंध बनाने लायक हो जाता है. तब यह उस मादा मछली को छोड़ देता है. 

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मादा मछली को छोड़ने से पहले उसके अंडों को फर्टिलाइज भी करता है. जेम्स मैक्लेन ने बताया कि इसे सेक्सुअल पैराटिज्म (Sexual Paratism) कहते हैं. इन मछलियों के माथे पर एक एंटीने जैसा बल्ब लगा होता है. जो अंधेरे में जलता है. इससे ये अपने शिकार को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. जैसे ही शिकार आता है अपने खतरनाक नुकीले दांतों से उसे शिकार बना लेते हैं. इन्हें ये रोशनी वाला बल्ब इसलिए मिला है क्योंकि बेहद गहराई और अंधेरे में रहती हैं. 

शरीर फुटबॉल की तरह गोल होता है इसलिए इस एंगलरफिश मछली को फुटबॉल फिश भी कहते हैं. (फोटोः क्रिस फ्लेचरNHM)

अब तक दुनिया में एंगलरफिश की 170 प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं. इनकी पहली प्रजाति की खोज 1925 में मछली विज्ञानी चार्ल्स टेट रीगन ने की थी. शुरुआत में जब छोटे नर एंगलरफिश को वैज्ञानिकों ने बड़ी मादा मछली से जुड़े हुए देखा तो उन्हें लगा कि ये मां और उसके बच्चे हैं. लेकिन जब ऐसी मछलियों की स्टडी की गई तो पता चला कि यहां तो कहानी ही एकदम अलग है. यह एंगलरफिश की अलग ही प्रजाति है. विचित्र और हैरान करने वाली मछली है. 

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नई प्रजाति किस तरह की दिखती है

अभी इस खतरनाक मछली की जो नई प्रजाति मिली है वो काले रंग की गोल्फ बॉल के आकार की है. यह एक बच्चा मछली है. इसे अटलांटिक महासागर में मौजूद सेंट हेलेना के पास एक मछली पकड़ने वाले जाल में पाया गया था. इसकी शारीरिक सरंचना की वजह से इसे फुटबॉलफिश भी बुलाते हैं. 

मादा से जुड़ जाते हैं कई नर एंगलरफिश

इससे पहले एंगलरफिश की अन्य प्रजाति है फुटबॉलफिश. इसके नर भी इसी तरह की हरकत करते हैं. दो प्रजातियां ऐसी हैं, जहां नर जिंदगी भर मादा को नहीं छोड़ते. ये हैं स्टारगेजिंग सीडेविल और ट्रिपलवार्ट सीडेविल. इनके मेटिंग का पहला वीडियो 2018 में पहली बार बनाया गया था. हैरानी की बात ये है कि मादा एंगलरफिश आठ नर मछलियों को अपने साथ चिपका सकती है. उन्हें अपने खून पीने देती है. ताकि जब वह ढेर सारे अंडे तैयार करे तो सभी नर उन्हें फर्टिलाइज करें. 

मादा के शरीर में कहां चिपकते हैं नर

आमतौर पर वैंपायर की तरह खून पीने वाले नर मादा के शरीर में वहां चिपकते हैं जहां से अंडे निकलते हैं. क्योंकि इन्हें अंडों को फर्टिलाइज करने के बाद मादा को छोड़ना होता है. जो हमेशा के लिए चिपकते हैं, वो सिर या चमकते हुए बल्ब की जड़ के पास जुड़ते हैं. वैज्ञानिकों ने कई बार एक प्रजाति के नर को दूसरी प्रजाति की मादा के साथ जुड़ते देखा है. यह प्रक्रिया वैज्ञानिकों को समझ नहीं आई. 

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मादा भी नहीं करती वैंपायर नर का विरोध

साल 2020 में एक स्टडी आई थी जिसमें लिखा था कि जब वैंपायर नर एंगलरफिश किसी मादा से जुड़ता है. उसका खून पीना शुरू करता है, तब मादा अपने इम्यून सिस्टम को कमजोर कर लेती हैं. विरोध नहीं करती. ताकि नर चिपका रह सके. उन्हें अपने शरीर का हिस्सा समझ लेती हैं. जेम्स मैक्लेन कहते हैं कि मादा एंगलरफिश का इम्यून सिस्टम नरम पड़ जाता है, लेकिन ये कैसे होता है. वह कैसे काम करता है ये बात किसी भी वैज्ञानिक को अब तक पता नहीं है. 

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