
जैसे चीते लाए गए हैं, क्या वैसे ही और किसी अन्य विलुप्त जीव को किसी और देश से लाया जा सकता है? लाया जा सकता है. भारत में ऐसे कितने विलुप्त जीव हैं जिन्हें किसी और देश से यहां ला सकते हैं. क्योंकि जैसे चीते जरूरी हैं. वैसे ही कई और जीव भी तो जरूर हो सकते हैं. पृथ्वी पर मौजूद हर जीव का अपना काम और उपयोग है. उसका महत्व है.
पहले यह जानते हैं कि वो कौन सा जीव है, जो विलुप्त हो चुका है. लेकिन उसे चीतों की तरह किसी अन्य देश से लाया जा सकता है. बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society - BNHS) के डायरेक्टर डॉ. बिवाश पांडव ने aajtak.in से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि आज़ादी के बाद से बड़े स्तनधारी जीवों में चीतों के अलावा सिर्फ एक ही जीव था, जो विलुप्त हो चुका है. यह भी स्तनधारी है. चीते से बड़ा था. विशालकाय था. भारी भी था. बड़े-बड़े सींग थे. चीते से ज्यादा ताकतवर भी था. लेकिन यह शाकाहारी था.
डॉ. बिवाश पांडव ने बताया कि भारत के उत्तर-पूर्व (North-East) में एक जंगली बैल पाया जाता था. जिसे आम भाषा में बैनटैंग (Banteng) या वाइल्ड कैटल (Wild Cattle) कहते हैं.आज की तारीख में इंडोनेशिया (Indonesia), थाईलैंड (Thailand), मलेशिया (Malaysia) जैसे इलाकों में यह पाया जाता है. यह एक शाकाहारी जीव है. इसे लाने में सरकार को कोई दिक्कत नहीं होगी. इसे लाकर यहां ब्रीडिंग कराई जा सकती है. लेकिन समस्या सिर्फ ब्रीडिंग से खत्म नहीं होगी.
कितना बड़ा होता है बैनटैंग, जानिए उसके बारे में
आपको बता दें कि बैनटेंग (Banteng) बहुत हद तक भारतीय गौर (Indian Gaur) जैसा ही था. थोड़ा बहुत अंतर था. गौर को इंडियन बाइसन (Indian Bison) भी कहते हैं. लेकिन बैनटेंग अलग था. इसे टेंबाडाऊ (Tembadau) भी कहते हैं. शरीर की लंबाई 1.9 से 3.68 मीटर यानी 6.2 से 12.1 फीट लंबी हो सकती है. जंगली बैनटेंग किसी भी पालतू बैल से कई गुना बड़ा होता है. ज्यादा ताकतवर होता है. बैनटेंग की मादा हो या नर दोनों में मजबूत और ताकतवर सींग होती है. इसकी लंबाई 24 से 37 इंच हो सकती है.
IUCN की रेड लिस्ट में विलुप्त होने की कगार पर
बैनटेंग (Banteng) आमतौर पर घास, झाड़ियां, पत्ते, फूल और फल खाता है. प्रजनन की पूरी प्रक्रिया खत्म होने में 9 से 10 महीने लग जाते हैं. तब मादा बैनटैंग एक शावक को जन्म देती है. बैनटेंग की सबसे ज्यादा आबादी वर्तमान में कंबोडिया, जावा, बोर्नियो और थाईलैंड में हैं. बैनटैंग को लाना तो आसान है, लेकिन इनकी प्रजाति को खतरा भी है. इन्हें ICUN की रेड लिस्ट में एन्डेनजर्ड (Endangered) की श्रेणी में रखा गया है. क्योंकि इनकी आबादी पिछले कुछ दशकों में आधी हो गई है. पूरी दुनिया में इस समय सिर्फ 5 से 8 हजार बैनटैंग हैं.
3500 ईसापूर्व से मवेशी बनाए जा रहे हैं बैनटेंग
बताया जाता है कि 3500 ईसा पूर्व से बैनटेंग (Banteng) को इंसान पाल रहे हैं. पालतू बना चुके थे. जावा, बाली जैसे इलाकों में इन्हें पालतू मवेशी बनाकर इनका मांस बेचा जाता था. काफी इनका मीट काफी ज्यादा मांग में था. माना जाता है कि बैनटेंग मीट की ज्यादा मांग की वजह से इनकी आबादी खत्म होती जा रही है. क्योंकि इनका मीट काफी पतला और नरम होता है. इसके अलावा इनका उपयोग बैलगाड़ी खींचतने, खेती-बाड़ी के कामों में किया जाता था.
क्लोनिंग करना संभव है, इसलिए बचा सकते हैं प्रजाति
बैनटेंग (Banteng) दूसरा एन्डेनजर्ड जीव है जिसे सफलतापूर्वक क्लोन किया जा चुका है. यह काम मैसचुसेट्स स्थित एंडवांस्ड सेल टोक्नोनॉजी के वैज्ञानिकों ने किया था. एक मृत नर बैनटेंग के स्किन सेल को क्रायोबैंक में रखा गया था. जिसे बाद में एक मादा बैनटेंग के अंडों में निषेचित किया गया. इस प्रक्रिया को सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर कहते हैं. जिसके बाद पहला क्लोन बैनटेंग पैदा हुआ. दो दिन बाद दूसरा बैनटेंग पैदा हुआ. लेकिन दूसरे वाले को मारना पड़ा क्योंकि उसे ओवरग्रोथ डिसऑर्डर था. लेकिन पहला वाला सात वर्षों तक जीवित रहा.