Advertisement

नैनीताल के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में खोजा ऐसा विस्फोट जो हमारे सूर्य की पूरी जिंदगी के बराबर ऊर्जा छोड़ रहा

नैनीताल स्थित ARIES संस्थान के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में अद्भुत खोज की है. इन वैज्ञानिकों ने गामा रे विस्फोट को खोजा है. हैरानी की बात ये है कि इसे सुपरनोवा की तरह होना चाहिए थे. लेकिन यह किलोनोवा है. आइए समझते हैं इस खोज की वैल्यू और इसका क्या मतलब है?

ये है नैनीताल के ARIES की वो दूरबीन जिसने गामा-रे विस्फोट की खोज की है. ये है नैनीताल के ARIES की वो दूरबीन जिसने गामा-रे विस्फोट की खोज की है.
लीला सिंह बिष्ट
  • नैनीताल,
  • 08 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST

ARIES यानी नैनीताल स्थित आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एनवॉयरमेंटल साइंसेस के वैज्ञानिकों ने उच्च ऊर्जा प्रकाश वाले जीआरबी किलोनोवा विस्फोट की खोज की है. इस खोज को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे आकाशगंगाओं में होने वाले गामा रे विस्फोट की उत्पत्ति को समझने में मदद मिलेगी. आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिक शशिभूषण पांडेय के नेतृत्व में एरीज के शोध छात्र राहुल गुप्ता, अमर आर्यन, अमित कुमार व डॉ. कुंतल मिश्रा शामिल थे. 

Advertisement

इस घटना को देख वैज्ञानिक आश्चर्यचकित हैं. दरअसल ब्रह्मांड में भयानक विस्फोटक घटनाएं होती हैं. जिनके बारे में हमारे वैज्ञानिक आज भी अधिक नही जान पाए हैं. ऐसी ही एक घटना गामा रे विस्फोट हैं. इस खगोलीय घटना में दो विशाल तारों के बीच जबरदस्त टक्कर होती है. फिर वह दोनों एक दूसरे में समा जाते हैं, यानी उनका आपस में विलय हो जाता है.  

ये है वो गामा-रे विस्फोट जो हमारे सूर्य से ज्यादा ऊर्जा फेंक रहा है. 

इनके आपस में टकराने से जबरदस्त विस्फोट होता है. तेज रोशनी के साथ उच्च ऊर्जा उत्पन्न होती है. ऐसे विस्फोटों में चन्द सेकंड में इतनी ऊर्जा निकलती है, जो हमारे सूर्य के जीवनभर की ऊर्जा से भी कहीं अधिक होती है. जिसे देख पाने में एरीज की 3.6 मीटर( डॉट) ऑप्टिकल दूरबीन का इस्तेमाल किया. इसके अलावा अंतरिक्ष की हबल दूरबीन कलर ऑल्टो ओब्जर्वटरी के अलावा कई अन्य पृथ्वी में स्थापित दूरबीनों का सहारा लिया गया. जिसमें एरीज की 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन के साथ 4k4k सीसीडी इमेजर की बड़ी भूमिका रही. जिसने ऐसे सटीक आंकड़े जुटाए, जिससे इस खोज में बड़ी मदद मिली. 

Advertisement

डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि यह विस्फोट पृथ्वी से एक अरब प्रकाश वर्ष दूर हुआ. जिसे एरीज की डॉट, हबल, कलर ऑल्टो ओब्जर्वटरी के अलावा कई अन्य जमीनी दूरबीनों का सहारा लिया गया. इस घटना से खोज की दिशा में नई संभावनाओं को बल मिलता है. वहीं जीआरबी जैसी घटनाएं हमारी समझ के लिए भी चुनौती है. यह घटना पृथ्वी से नजदीक थी. इसलिए यह हमें दिखाई दी. इससे भी दूर इस तरह की घटनाएं होती होंगी, जिन्हे हम देख नहीं सकते. 

इस शोध का नेतृत्व रोम विश्व विद्यालय के डॉ. एलोनोरा ट्रोजा ने किया. एरीज की डॉट दूरबीन से प्राप्त डेटा की सराहना की है. यह रिपोर्ट नेचर मैगजीन में पब्लिश हो चुकी है. एरीज के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि एरीज निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है. इस खोज से देश को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी मिली है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement