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वैज्ञानिकों का नया खुलासा... दूसरी दुनिया से आया था डायनासोरों को खत्म करने वाला एस्टेरॉयड

डायनासोरों को मारने वाले एस्टेरॉयड को लेकर नया खुलासा हुआ है. वैज्ञानिकों ने बताया कि ये पत्थर सौर मंडल के बाहर से आया था. यह हमारी दुनिया का पत्थर था ही नहीं. इसने सौर मंडल के बाहर से छलांग मारी और 6.60 करोड़ साल पहले सीधे हमारी धरती पर आकर गिरा. पूरी दुनिया में तबाही ला दी.

मैक्सिकन तट पर चिक्सुलूब प्रायद्वीप पर गिरते एस्टेरॉयड का आर्टिस्टिक इंप्रेशन. (फोटोः रॉयटर्स) मैक्सिकन तट पर चिक्सुलूब प्रायद्वीप पर गिरते एस्टेरॉयड का आर्टिस्टिक इंप्रेशन. (फोटोः रॉयटर्स)
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST

जिस एस्टेरॉयड ने धरती से डायनासोरों को खत्म किया था, वो बृहस्पति ग्रह के बहुत पीछे से आया था. यह खुलासा हाल ही में हुई एक स्टडी में हुआ है. इस एस्टेरॉयड ने मेक्सिको के यूकाटन प्रायद्वीप पर 6.60 करोड़ साल पहले विशालकाय गड्ढा कर दिया था. जिसकी वजह से डायनासोरों की पूरी प्रजाति खत्म हो गई थी. 

इसके अलावा धरती पर मौजूद सभी जीवों की 75 फीसदी आबादी खत्म हो गई थी. यह एक प्रलय जैसा था. पूरी दुनिया में मलबा फैल गया था. सुनामी आई थी. आग फैली थी. लेकिन अब एक स्टडी हुई है, जिसमें दावा किया गया है कि यह एस्टेरॉयड हमारे सौर मंडल के बाहर से आया था. वो बृहस्पति ग्रह के बहुत पीछे से. 

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डायनासोरों को मारने वाले एस्टेरॉयड की टक्कर से उड़े मलबे के अंदर प्राचीन रूथेनियम पदार्थ दिखाता वैज्ञानिक. (फोटोः रॉयटर्स)

वैज्ञानिकों ने प्राचीन मलबे की स्टडी करके यह पता किया कि एस्टेरॉयड किस चीज का बना था. यह एस्टेरॉयड कार्बोनेसियस था. यानी सी-टाइप. मतलब ये कि इसमें कार्बन की मात्रा बहुत ज्यादा थी. जर्मनी स्थिति यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन के जियोकेमिस्ट मारियो फिशर गोड्डे और उनके साथियों ने यह स्टडी की है. 

सौर मंडल के बाहर से आया था एस्टेरॉयड

मारियो ने बताया कि वह एस्टेरॉयड हमारे सौर मंडल में मौजूद एस्टेरॉयड से मिलता नहीं है. यह बाहर से आया था. इसी ने डायनासोरों की जिंदगी खत्म कर दी. यह स्टडी हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसी एस्टेरॉयड की टक्कर के बाद से क्रिटेसियस काल खत्म हो गया था. चिक्सूलूब क्रेटर बना था. छोटा-मोटा नहीं था ये गड्ढा. 

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180 km चौड़ा और 20 km गहरा गड्ढा बना था

यह 180 किलोमीटर चौड़ा, 20 किलोमीटर गहरा था. सोचिए कि एक कार्बन एस्टेरॉयड की टक्कर कितनी खतरनाक हो सकती है. इससे जो मलबा उड़ा आज वो क्ले बनकर कई जगहों पर जमा है. जिसमें इरिडियम, रूथेनियम, ओसमियम, रोडियम, प्लेटिनम और पैलेडियम मिल रहा है. 

विशेष धातु की वजह से हुई एस्टेरॉयड की पहचान

ये सारे धातु धरती पर दुर्लभ हैं, लेकिन एस्टेरॉयड्स में कॉमन होते हैं. वैज्ञानिकों ने रूथेनियम पर खास ध्यान दिया. क्ले में मौजूद रूथेनियम की मात्रा की जांच की. इस धातु के सात आइसोटोप्स हैं. तीन तो टक्कर से निकले मलबे में मिले. ये आइसोटोप्स इस बात की पुष्टि करते हैं कि टकराने वाला एस्टेरॉयड कार्बन से भरा हुआ था. 

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कितने प्रकार के होते हैं एस्टेरॉयड्स? 

रूथेनियम से भरे हुए एस्टेरॉयड हमारे सौर मंडल में कम मिलते है. इसमें जो आइसोटोप्स मिले हैं, वो सौर मंडल के बाहर से आए किसी एस्टेरॉयड के लगते हैं. सी-टाइप एस्टेरॉयड सौर मंडल के सबसे प्राचीन पदार्थ हैं. सबसे ज्यादा कॉमन भी हैं. इसके बाद पत्थर से भरे एस-टाइप और भी दुर्लभ धातुओं से भरे एम-टाइप एस्टेरॉयड आते हैं. 

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सी-टाइप एस्टेरॉयड्स में सौर मंडल के बनने के सबूत मिलते हैं. ये सौर मंडल के बाहर थे. बाद में धीरे-धीरे कुछ सौर मंडल के अंदर आ गए. जो आमतौर पर मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच बने एस्टेरॉयड बेल्ट में घूमते रहते हैं. लेकिन डायनासोरों को खत्म करने वाला एस्टेरॉयड सीधे सौर मंडल के बाहर से आया था.

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