
अमेरिकी कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ब्लू घोस्ट लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंडर हो गया है. लैंडर की सफल लैंडिंग की पुष्टि टेक्सास के ऑस्टिन के बाहर कंपनी के मिशन कंट्रोल रूम से की गई है. लैंडिंग से पहले लैंडर ने चंद्रमा से कुछ तस्वीरें भी भेजी थी, जिनको कंपनी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया है.
लैंडिंग के आधे घंटे बाद ब्लू घोस्ट ने चंद्रमा की सतह से तस्वीरें वापस भेजना शुरू कर दिया, पहली तस्वीर एक सेल्फी है जो सूरज की चमक से कुछ हद तक दिखाई दे रही है. लैंडर के मुख्य इंजीनियर ने बताया कि हम सभी ने लैंडिंग में सफलता हासिल की है. हम चांद पर हैं.
कंपनी के अनुसार, चंद्रमा पर लैंड करने वाला चार पैरों ये छोटा लैंडर 6 फुट 6 इंच (2 मीटर) लंबा और 11 फीट (3.5 मीटर) चौड़ा है जो इसे अतिरिक्त स्थिरता प्रदान करता है. ब्लू घोस्ट का नाम अमेरिका में जुगनू की एक दुर्लभ प्रजाति के नाम पर रखा गया है. लैंडर का आकार और बनावट काफी अच्छी बताई जा रही है.
15 जनवरी को लॉन्च हुआ था मिशन
इस मिशन को फ्लोरिडा से जनवरी के बीच में लॉन्च किया गया था. ये लैंडर नासा के लिए चंद्रमा पर 10 प्रयोग करेगा. स्पेस एजेंसी नासा ने लैंडर की डिलीवरी के लिए 101 मिलियन डॉलर और बोर्ड पर मौजूद विज्ञान और तकनीक के लिए 44 मिलियन डॉलर का भुगतान किया है. ये नासा के वाणिज्यिक चंद्र डिलीवरी कार्यक्रम के तहत तीसरा मिशन है. इसके साथ एक जापानी कंपनी आई स्पेस (ispace) का तीसरा लैंडर भी भेजा गया है जो मई के महीने में चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा. इंट्यूटिव मशीन की तरह, ispace भी दूसरी बार चंद्रमा पर उतरने का प्रयास कर रहा है. इसका पहला लैंडर 2023 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
मिशन का क्या है उद्देश्य
चांद पर भेजे गए इस मिशन में एक खास वैक्यूम उपकरण लगाया गया था, जो वहां की मिट्टी को विश्लेषण के लिए सुरक्षित रखता है. इसके इस यान में एक ड्रिल भी लगाई गई थी, जो चांद की सतह के 10 फीट (करीब 3 मीटर) नीचे तक पहुंचकर वहां का तापमान रिकॉर्ड कर सकती है. इस मिशन में एक खास उपकरण लगाया गया था, जिसका काम चंद्रमा की सतह पर मौजूद खुरदरी और नुकसानदायक धूल को हटाना था. यह वही धूल है, जिसने नासा के ऐतिहासिक अपोलो मिशन के दौरान वहां गए अंतरिक्ष यात्रियों की स्पेस सूट और उपकरणों को पूरी तरह से ढक दिया था और उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं.
अंतरिक्ष एजेंसी के शीर्ष विज्ञान अधिकारी निकी फॉक्स ने कहा कि नासा एक वर्ष में दो निजी चंद्र लैंडर की गति बनाए रखना चाहता है. ये महसूस करते हुए कि कुछ मिशन विफल हो जाएंगे.
फायरफ्लाई के सीईओ जेसन किम ने कहा कि नासा के सफल अपोलो मून लैंडिंग के विपरीत, जिसके पीछे अरबों डॉलर लगे थे और जिसके शीर्ष पर विशेषज्ञ अंतरिक्ष यात्री थे. निजी कंपनियां सीमित बजट पर रोबोटिक यान के साथ काम करती हैं, जिन्हें स्वयं ही उतरना होता है.