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Budget 2024 for Space Tech: भारत की देसी स्पेस इंडस्ट्री के लिए 1000 करोड़ रु. का ऐलान, ऐसे होगा देश को फायदा

भारत की देसी स्पेस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. इसके जरिए स्पेस स्टार्टअप्स और कंपनियों को अपने प्रोजेक्ट्स बढ़ाने का मौका मिलेगा. साथ ही देश की स्पेस टेक्नोलॉजी को दुनियाभर में दिखाने का मौका भी मिलेगा.

 निजी स्पेस कंपनियों के लिए बजट में फायदेमंद ऐलान. बढ़ेगा देश के अंतरिक्ष उद्योग का मान. निजी स्पेस कंपनियों के लिए बजट में फायदेमंद ऐलान. बढ़ेगा देश के अंतरिक्ष उद्योग का मान.
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण स्वदेशी स्पेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए अपने बजट में 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. उन्होंने बताया कि भारतीय स्पेस इकोनॉमी अगले एक दशक में पांच गुना ज्यादा हो जाएगी. यह एक वेंचर कैपिटल फंड है. जिसके जरिए स्पेस इंडस्ट्री में निवेश किया जाएगा. 

वित्तमंत्री ने यह नहीं बताया कि कैसे और किस तरीके से ये निवेश होगा. लेकिन इस खबर से निजी स्पेस इंडस्ट्री में खुशी की लहर दौड़ गई हैं. स्पेस-टेक स्टार्टअप अग्निकुल के सह-संस्थापक श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा कि यह शानदार खबर है. इससे निजी स्पेस कंपनियों को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. साथ ही नए खिलाड़ी मैदान में आएंगे. 

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अग्निकुल ने इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर में अपना लॉन्चपैड बनाया है. IN-SPACe के चेयरमैन पवन के. गोयनका ने कहा कि इस फंड से निजी स्पेस कंपनियों और स्टार्टअप्स को काफी फायदा होगा. उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा. दुनियाभर के अंतरिक्ष मार्केट में भारत की ताकत और ज्यादा बढ़ेगी. 

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70 हजार करोड़ से 3.68 लाख करोड़ हो जाएगी भारत की स्पेस इंडस्ट्री

निजी स्पेस स्टार्टअप्स और कंपनियां जब अपने टेस्ट और प्रोजेक्टस सफलतापूर्वक करेंगे, तो भारत का नाम पूरी दुनिया में होगा. विदेशी निवेश आएगा. अगर ये फंडिंग और FDI के साथ मिल जाएगी, तो भारत की स्पेस इंडस्ट्री को काफी ज्यादा माइलेज मिलेगा. IN-SPACe के अनुमान के अनुसार भारतीय स्पेस इकोनॉमी अभी 8.4 बिलियन डॉलर्स यानी 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है. अगले एक दशक में यह 3.68 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का हो जाएगा. यानी वैश्विक स्पेस इकोनॉमी में भारत का हिस्सा दो फीसदी से बढ़कर 8 फीसदी हो जाएगा. 

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