
'आ गया हूं चांद के ऑर्बिट में, फोटो भेजूं क्या?'... ये पूछा है Chandrayaan-3 ने. चंद्रयान ने ये सवाल एक ट्वीट करके पूछा है. ट्वीट को अब तक 1600 से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया है. 10 हजार से ज्यादा लाइक्स हैं. 86 बार कोट किया गया है. 37 बार बुकमार्क किया गया है. इसके अलावा इसे 1.68 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
ट्वीट में लिखा है Hey earthlings! I'm in the lunar orbit. @isro, could you please allow me to post some pictures? So that I can make them feel jealous!
यानी... हे पृथ्वीवासियों! मैं चंद्रमा की कक्षा में हूं. @isro, क्या आप कृपया मुझे कुछ तस्वीरें पोस्ट करने की अनुमति दे सकते हैं? ताकि मैं उन्हें जलन महसूस करा सकूं!
चंद्रयान-3 चंद्रमा की तस्वीरों के जरिए किसे जलाना चाहता है यह बात स्पष्ट नहीं है लेकिन इशारा जरूर है. दुनियाभर के नजर भारत के इस मून मिशन पर लगी है. अमेरिका, रूस, यूरोपीय देश, चीन, जापान सब बिना पलकें झुकाएं भारत और इसरो की ओर देख रहे हैं. इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब ये मिशन सफल होगा. हो सकता है कुछ को भारत और इसरो की यह सफलता रास न आ रही हो. शायद उन्हें ही जलाने की बात चंद्रयान-3 कर रहा हो.
धरती से चांद के सफर पर भारत, देखें चंद्रयान-3 मिशन की फुल कवरेज
5 अगस्त 2023 को जब चंद्रमा की पहली कक्षा में चंद्रयान-3 पहुंचा था. तब उसने चांद की पहली तस्वीरें जारी की थीं. तब चंद्रयान-3 चांद के चारों तरफ 1900 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से 164 x 18074 KM के अंडाकार ऑर्बिट में यात्रा कर रहा था. जिसे बाद में घटाकर 170 x 4313 km की ऑर्बिट में डाला गया था.
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चंद्रयान-3 ने कितनी यात्रा पूरी की... अब कितनी बाकी
14 जुलाई 2023: चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई.
31 जुलाई 2023: चंद्रयान-3 धरती की सभी पांच कक्षाओं में चक्कर लगाने के बाद चांद के हाइवे पर निकला. जिसे ट्रांस लूनर इंजेक्शन कहा गया.
5 अगस्त 2023: चंद्रमा की पहली कक्षा में डाला गया.
6 अगस्त 2023: चंद्रमा की दूसरी कक्षा में डाला गया.
9 अगस्त 2023: चंद्रमा की तीसरी कक्षा में डाला जाएगा.
14 और 16 अगस्त: चांद की चौथी और पांचवीं ऑर्बिट में जाएगा चंद्रयान-3.
17 अगस्तः चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे.
18 और 20 अगस्त: चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगी.
23 अगस्त: लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा.
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इस बीच, रूस से आई बड़ी खबर... वो भी जा रहा चांद पर
Russia 47 साल बाद पहली बार चांद पर अपना मिशन भेज रहा है. मिशन का नाम है लूना-25 (Luna-25). इसकी लॉन्चिंग 10 अगस्त 2023 को हो सकती है. यूक्रेन पर हमला करने के बाद पहली बार रूस किसी दूसरे ग्रह या उपग्रह के लिए अपना मिशन भेजने को तैयार हुआ है.
लूना-25 पांच दिन की यात्रा करके चंद्रमा के पास पहुंचेगा. फिर पांच से सात दिन वह चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद दक्षिणी ध्रुव के पास तय किए गए तीन स्थानों में से किसी एक पर लैंड करेगा. ये बात तय है कि रूस का मिशन ताकतवर होगा. लूना-25 चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन की खोज करेगा. ताकि पानी बनाया जा सके.
चंद्रयान-3 की कड़ी परीक्षा लेंगे चांद पर मौजूद गड्ढे
चंद्रमा की उत्पत्ति 450 करोड़ साल पहले हुई थी. तब से लेकर अब तक उसपर लगातार अंतरिक्ष से आने वाले पत्थर और उल्कापिंड गिरते रहते हैं. इनके गिरने से गड्ढे (Crater) बनते हैं. इन्हें इम्पैक्ट क्रेटर (Impact Crater) भी कहते हैं. धरती पर अभी तक ऐसे 180 इम्पैक्ट क्रेटर खोजे गए हैं.
चंद्रमा पर करीब 14 लाख गड्ढे हैं. 9137 से ज्यादा क्रेटर की पहचान की गई है. 1675 की तो उम्र भी पता की गई है. लेकिन वहां हजारों गड्ढे हैं. जिन्हें इंसान देख भी नहीं पाया है. क्योंकि उसके अंधेरे वाले हिस्से में देखना मुश्किल है. ऐसा नहीं है कि चांद की सतह पर मौजूद गड्ढे सिर्फ इम्पैक्ट क्रेटर हैं. कुछ ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से भी बने हैं. करोड़ों साल पहले.