
Chandrayaan-3 को चांद पर उतरने में सिर्फ 20 दिन बचे हैं. दो दिन बाद वह चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ने का प्रयास करेगा. 100 फीसदी उम्मीद है कि चंद्रयान इस काम में सफल होगा. इसरो वैज्ञानिक पहले भी दो बार ये काम सफलतापूर्वक कर चुके हैं. लेकिन चंद्रयान-3 है कहां? अंतरिक्ष में किस तरफ जा रहा है?
इसरो के बेंगलुरु स्थिति इसरो टेलिमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) लगातार चंद्रयान की गति, सेहत और दिशा पर नजर रख रहा है. इसरो ने आम जनता के लिए एक लाइव ट्रैकर लॉन्च किया है. जिसके जरिए आप देख सकते हैं कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में इस समय कहां है. उसे चंद्रमा पर पहुंचने में कितने दिन बचे हैं.
चंद्रयान-3 इस समय करीब 37,200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की ओर बढ़ रहा है. यात्रा फिलहाल हाइवे पर ही हो रही है. लेकिन दो दिन बाद वह चंद्रमा के ऑर्बिट में आएगा. यानी 5 अगस्त 2023 की शाम 6 बजकर 59 मिनट पर. इस समय चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से करीब 40 हजार किलोमीटर दूर रहेगा. यहां से चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति शुरू हो जाती है.
5 से 23 अगस्त तक कम की जाएगी इसकी स्पीड
चांद के ऑर्बिट को पकड़ने के लिए चंद्रयान-3 की गति को करीब 7200 से 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा के बीच करनी होगी. 5 से लेकर 23 अगस्त तक चंद्रयान की स्पीड लगातार कम की जाएगी. चांद के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के हिसाब से फिलहाल चंद्रयान की गति ज्यादा है. चंद्रयान-3 की गति को कम करके 2 या 1 किलोमीटर प्रति सेकेंड पर लाना होगा. यानी 7200 या 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. इस गति पर ही चंद्रयान-3 चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ेगा. फिर धीरे-धीरे उसके दक्षिणी ध्रुव के पास पर लैंड कराया जाएगा.
चांद का ऑर्बिट नहीं मिला तो लौट आएगा चंद्रयान-3
चंद्रमा की ग्रैविटी पृथ्वी से 6 गुना कम है. इसलिए चंद्रयान-3 की गति कम करनी होगी. नहीं हुई तो चांद से आगे निकल जाएगा चंद्रयान-3. ऐसा नहीं होगा. असल में चंद्रयान-3 इस समय 288 x 369328 किलोमीटर की ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी में यात्रा कर रहा है. अगर यह चांद का ऑर्बिट नहीं पकड़ पाता है, तो 230 घंटे बाद यह धरती के पांचवी कक्षा वाले ऑर्बिट में वापस आ जाएगा. इसरो वैज्ञानिक एक और प्रयास करके इसे वापस चंद्रमा पर भेज सकेंगे.
जिस रास्ते पर है चंद्रयान, उसपर असफलता नहीं
इसरो सूत्रों ने बताया है कि इतिहास उठाकर देख लीजिए... जिन भी देशों या स्पेस एजेंसियों ने सीधे चंद्रमा की ओर अपने रॉकेट के जरिए स्पेसक्राफ्ट भेजा. उन्हें निराशा ज्यादा मिली है. तीन मिशन में एक फेल हुआ. लेकिन इसरो ने जो रास्ता और तरीका चुना है, उसमें फेल होने की आशंका बेहद कम है. यहां दोबारा मिशन पूरा करने का चांस है.
17 अगस्त को अलग होंगे प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल
5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से करीब 40 हजार किलोमीटर दूर वाली अंडाकार ऑर्बिट को पकड़ेगा. इसके बाद 17 अगस्त तक ऑर्बिट मैन्यूवर होगा. 17 को ही 100 किलोमीटर वाले ऑर्बिट में चंद्रयान-3 डाला जाएगा. उसी दिन प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे.
18 और 20 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगी. यानी चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल धीमे-धीमे चंद्रमा के 100x30 किलोमीटर के ऑर्बिट में जाएगा. इसके बाद 23 अगस्त की शाम करीब पौने छह बजे लैंडिंग होगी. अभी तक चंद्रयान-3 के इंटिग्रेटेड मॉड्यूल का मुंह चांद की ओर था. जल्द ही इसे घुमाया जाएगा. ताकि डीऑर्बिटिंग या डीबूस्टिंग करते समय चंद्रयान-3 को दिक्कत न हो.