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Chandrayaan-3 Mission: ISRO ने पूरा किया लॉन्च रिहर्सल, जानिए चांद पर कब होगी चंद्रयान-3 की लैंडिंग?

इसरो वैज्ञानिकों ने Chandrayaan-3 का लॉन्च रिहर्सल पूरा कर लिया है. यह पिछले 24 घंटे से चल रहा था. इस प्रक्रिया में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लेकर सभी संबंधित इसरो केंद्र शामिल होते हैं. पर ये कैसे पता चलेगा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर कब पहुंचेगा. कितने दिन का समय लेगा उसकी सतह पर लैंडिंग में?

सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड पर LVM-3 रॉकेट में लॉन्च का इंतजार कर रहा है चंद्रयान-3. देखिए लॉन्च पैड की रात और दिन की फोटो. (फोटोः ISRO) सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड पर LVM-3 रॉकेट में लॉन्च का इंतजार कर रहा है चंद्रयान-3. देखिए लॉन्च पैड की रात और दिन की फोटो. (फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्रा
  • श्रीहरिकोटा/नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST

इसरो (ISRO) ने 11 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग का रिहर्सल पूरा कर लिया है. यह रिहर्सल 24 घंटे चलता है. इसमें श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से लेकर अन्य स्थानों के सभी केंद्र, टेलिमेट्री सेंटर और कम्यूनिकेशन यूनिट्स की तैयारियों का जायजा लिया जाता है. माहौल एकदम लॉन्च के समय जैसा होता है. बस रॉकेट को लॉन्च नहीं करते. ऐसा इसलिए करते हैं ताकि सभी सेंटर्स को उनका काम और उससे संबंधित क्रम याद रहे. 

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चंद्रयान-3 इस बार 10 चरणों में चंद्रमा की सतह तक पहुंचेगा.

पहला है पृथ्वी केंद्रित चरण... यानी धरती पर होने वाले काम. इसमें तीन स्टेज आते हैं. पहला- लॉन्च से पहले का स्टेज. दूसरा- लॉन्च और रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जाना और तीसरा- धरती की अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रयान-3 को आगे बढ़ाना. इस दौरान चंद्रयान-3 करीब छह चक्कर धरती के चारों तरफ लगाएगा. फिर वह दूसरे फेज की तरफ बढ़ जाएगा.

दूसरा चरण है- लूनर ट्रांसफर फेज यानी चंद्रमा की तरफ भेजने का काम. इस फेज में ट्रैजेक्टरी का ट्रांसफर किया जाता है. यानी स्पेसक्राफ्ट लंबे से सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ने लगता है.

तीसरा चरणः लूनर ऑर्बिट इंसर्सन फेज (LOI). यानी चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 को भेजा जाएगा. 

चौथा चरण... इसमें सात से आठ बार ऑर्बिट मैन्यूवर करके चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से 100 किमी ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू कर देगा.

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पांचवें चरण में प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एकदूसरे से अलग होंगे.

छठा चरण... डी-बूस्ट फेज यानी जिस दिशा में जा रहे हैं, उसमें गति को कम करना.

सातवां चरण...प्री-लैंडिंग फेज यानी लैंडिंग से ठीक पहले की स्थिति. लैंडिंग की तैयारी शुरू की जाएगी.

आठवां चरण... जिसमें लैंडिंग कराई जाएगी. 

नौवां चरण... लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंच कर सामान्य हो रहे होंगे.

दसवां चरण...  प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचना.

45 से 50 दिन लगेंगे लैंडर को चांद की सतह पर पहुंचने में... इन सभी चरणों को पूरा करने में यानी 14 जुलाई 2023 की लॉन्चिंग से लेकर लैंडर और रोवर के चांद की सतह पर उतरने में करीब 45 से 50 दिन लगेंगे. 

क्या है प्रोपल्शन मॉड्यूल, क्यों नहीं इसे ऑर्बिटर बुलाते?

चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है. इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं. यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. इसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा. इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं बुलाते क्योंकि यह चंद्रमा की स्टडी नहीं करेगा. इसका वजन 2145.01 किलोग्राम होगा. जिसमें 1696.39 किलोग्राम ईंधन होगा. यानी मॉड्यूल का असली वजन 448.62 किलोग्राम है. 

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लैंडर के ठीक नीचे मौजूद है प्रोपल्शन मॉड्यूल. (फोटोः ISRO)

इसमें एस-बैंड ट्रांसपोंडर लगा है, जिसके इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क से सीधे संपर्क में रहेगा. यानी लैंडर-रोवर से मिला संदेश यह भारत तक पहुंचाएगा. इस मॉड्यूल की उम्र 3 से 6 महीना अनुमानित है. हो सकता है यह ज्यादा दिनों तक काम करे. साथ ही यह स्पेक्ट्रो-पोलैरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेटरी अर्थ (SHAPE) के धरती के प्रकाश किरणों की स्टडी करेगा. 

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