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Aditya-L1 की सफल लॉन्चिंग के बीच Chandrayaan-3 से आई एक और खुशखबरी

Aditya-L1 की सफल लॉन्चिंग के बाद ISRO चीफ एस. सोमनाथ ने एक खुशखबरी और सुनाई. उन्होंने कहा कि चांद पर प्रज्ञान रोवर अब तक 100 मीटर की दूरी तक कर चुका है. वह लगातार डेटा भेज रहा है. तस्वीरें ले रहा है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों की सेहत ठीक है. दोनों सही तरीके से काम कर रहे हैं.

ये है प्रज्ञान रोवर जो इस समय चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है. एक्सपेरिमेंट्स कर रहा है. (सभी फोटोः ISRO) ये है प्रज्ञान रोवर जो इस समय चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है. एक्सपेरिमेंट्स कर रहा है. (सभी फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST

ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने आदित्य-एलवन (Aditya-L1) की सफल लॉन्चिंग के बाद कहा कि Chandrayaan-3 का रोवर प्रज्ञान (Pragyan Rover) अब तक चांद की सतह पर 100 मीटर चल चुका है. विक्रम लैंडर और रोवर दोनों की सेहत सही है. दोनों के सभी पेलोड्स तरीके से काम कर रहे हैं. 

इससे पहले रोवर ने विक्रम लैंडर की शानदार फोटो ली थी. सामने आए गड्ढे से बचने के लिए उसने रास्ता भी बदला था. तस्वीरें वो नेविगेशन कैमरा (NavCam) से ले रहा है. इस कैमरे को लेबोरेटरी फॉर इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (LEOS) ने बनाया है. प्रज्ञान रोवर में एक तरफ ये दो नैवकैम लगे हैं. असल में रोवर का कुल वजन 26 kg है. यह तीन फीट लंबा, 2.5 फीट चौड़ा और 2.8 फीट ऊंचा है. छह पहियों पर चलता है. 

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रोवर का टारगेट था कि वो चांद का एक दिन पूरा होने से पहले 500 मीटर की यात्रा कर ले. वह लगातार एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की गति से आगे बढ़ रहा है. अगले 5-6 दिनों तक चांद की सतह पर तब तक काम करेगा, जब तक इसे सूरज से ऊर्जा मिलेगी. तब तक कैमरों से चांद की सतह और विक्रम की फोटो खींचता रहेगा. 

कैसे-कैसे यंत्र लगे हैं प्रज्ञान रोवर में... इस फोटो में क्लॉकवाइज देखिए

- सबसे पहले सोलर पैनल. यानी ये सूरज की गर्मी से ऊर्जा लेकर रोवर को देगा. 
- उसके ठीक नीचे  सोलर पैनल हिंज. यानी जो पैनल को रोवर से जोड़ता है. 
- है नेव कैम यानी नेविगेशन कैमरा. ये दो हैं. ये रोवर की आंखें हैं. 
- इसका चेसिस दिख रहा है. 
- सोलर पैनल के नीचे आने पर उसे संभालने वाला सोलर पैनल होल्ड डाउन है. 
- छह व्हील ड्राइव असेंबली है. यानी पहिए लगे हैं. 

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- इसके अलावा रॉकर बोगी है. जो पहियों को ऊबड़-खाबड़ जमीन पर चलने के लिए मदद करते हैं. 
- रोवर के निचले हिस्से में रोवर होल्ड डाउन लगा है. अगर रोवर चल नहीं रहा होता तो वह जमीन से जुड़कर एक जगह टिका रहेगा.   
- वार्म इलेक्ट्रॉनिक्स बॉक्स यानी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जो गर्म माहौल में बेहतर तरीके से काम कर सकें. रोवर को दिए गए इंस्ट्रक्शन के हिसाब से चलाते रहें. 
- डिफ्रेंशियल्स यानी हर यंत्र और हिस्से को अलग रखने के लिए बनाई गई दीवार. ऊपर है एंटीना, जो लैंडर के साथ संपर्क साधने में मदद करते हैं. 

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