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Chandrayaan 3: लैंडिंग के बाद विक्रम ने भेजी पहली तस्वीर, ऐसा दिखता है चांद का दक्षिणी हिस्सा

चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. ऐसे में लैंडर 'विक्रम' ने चांद पर पहुंचते ही अपना काम शुरू कर दिया है. विक्रम ने लैंड होते वक्त की तस्वीरें भेजी हैं. बता दें कि लैंडर और MOX-ISTRAC, बेंगलुरु के बीच संचार लिंक स्थापित कर लिया गया है. यह तस्वीरें लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे से ली गई हैं.

चंद्रयान-3 ने पहली तस्वीर भेजी चंद्रयान-3 ने पहली तस्वीर भेजी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 11:58 PM IST

चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. ऐसे में लैंडर 'विक्रम' ने चांद पर पहुंचते ही अपना काम शुरू कर दिया है. विक्रम ने लैंड होते वक्त की तस्वीरें भेजी हैं. बता दें कि लैंडर और MOX-ISTRAC, बेंगलुरु के बीच संचार लिंक स्थापित कर लिया गया है. यह तस्वीरें लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे से ली गई हैं.

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इसके अलावा लैंडिंग इमेजर कैमरे द्वारा ली गई फोटो भी सामने आ गई है. इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा दिखाया गया है. वहीं लैंडर की चांद पर उतरने के बाद उसके साथ की परछाई भी दिखाई दे रही है. चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर समतल क्षेत्र चुना है. 

चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश अब भारत बन चुका है. चंद्रयान का लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंड हो गया है. वहीं चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद ISRO ने ट्वीट किया है. ISRO की ओर से ट्वीट किया गया, 'भारत, मैं अपनी डेस्टिनेशन पर पहुंच गया हूं और आप भी. चंद्रयान-3 मून पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंड हो गया है. बधाई इंडिया'

2-4 घंटे में लैंडर से बाहर आएगा रोवर 

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि दो से चार घंटे में 'विक्रम' लैंडर से रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा. यह इस पर निर्भर करता है कि लैंडिंग वाली जगह पर धूल कैसी जमती है. इसके बाद इसरो चार्जेबल बैटरी के जरिए रोवर को जीवित रखने की कोशिश करेगा. यदि यह सफल रहा तो रोवर का अगले 14 दिनों के लिए उपयोग किया जाएगा.

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आपको बता दें कि पृथ्वी के 14 दिनों को मिलाकर 1 चंद्र दिवस होता है. गौरतलब है कि इसरो बैटरी चार्ज करके रोवर को जीवित रखने की कोशिश करेगा. अगर यह सफल रहा तो अगले 14 दिनों तक रोवर का उपयोग किया जा सकेगा, जब अगला सूर्योदय चंद्र सतह पर शुरू होगा.

सोच-समझकर चुनी गई 23 अगस्त की तारीख

1. चंद्रयान-3 का लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद अपने मिशन का अंजाम देने के लिए सौर्य ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा. 

2. चांद पर 14 दिन तक दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है, अगर चंद्रयान ऐसे वक्त में चांद पर उतरेगा जब वहां रात हो तो वह काम नहीं कर पाएगा.

3. इसरो सभी चीजों की गणना करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है कि 23 अगस्त से चांद के दक्षिणी ध्रुव सूरज की रौशनी उपलब्‍ध रहेगी.

4. वहां रात्रि के 14 दिन की अवधि 22 अगस्त को समाप्त हो रही है

5. 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच दक्षिणी ध्रुव पर धूप निकलेगी, जिसकी मदद से चंद्रयान का रोवर चार्ज हो सकेगा और अपने मिशन को अंजाम देगा. 
 
माइनस 230 डिग्री तापमान

ISRO के पूर्व डायरेक्टर प्रमोद काले के मुताबिक, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 230 डिग्री तक चला जाता है, इतनी कड़ाके की सर्दी में दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान का काम कर पाना संभव नहीं है. यही वजह है कि 14 दिन तक जब दक्षिणी ध्रुव पर रोशनी रहेगी, तभी तक इस मिशन को अंजाम दिया जाएगा. 

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