
14 जुलाई 2023 को भारत ने Chandrayaan-3 मून मिशन लॉन्च किया. 11 अगस्त 2023 को रूस ने अपना Luna-25 मिशन लॉन्च किया. ये दोनों ही चांद की तरफ जा रहे हैं. चंद्रमा पर इस साल दो और मिशन जाने वाले हैं. दोनों ही अमेरिका भेजेगा. इसमें से एक तो सिर्फ इसलिए है कि वो चांद पर डिलीवरी कर सके. नासा के इस मिशन का नाम है कॉमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेस (Commercial Lunar Payload Services - CLPS).
इसके अलावा नासा एक और मून मिशन भेज रहा है. जिसका नाम है लूनर ट्रेलब्लेजर (Lunar Trailblazer). यह एक ऑर्बिटर है जो चांद के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सतह पर पानी, उसके स्वरूप और कहां मौजूद है, इसकी जांच करेगा. खैर ये तो बात रही इस साल के मून मिशन की लॉन्चिंग को लेकर. अगले साल से लेकर 2027 तक आठ और लॉन्चिंग होने वाली हैं. जो सिर्फ और सिर्फ चंद्रमा के लिए ही हैं.
2024 में बेरेशीट 2 (Beresheet 2) लॉन्च हो रहा है. इसे इजरायल भेज रहा है. यह एक ऑर्बिटर और लैंडर मिशन होगा. जिसमें संभवतः दो लैंडर और एक ऑर्बिटर होगा. ऑर्बिटर मदरशिप होगा. लैंडर चांद के दो अलग-अलग हिस्सों में उतारे जाएंगे. यह कई सालों तक चलने वाला मिशन है. जिसमें एक साथ पहली बार दो लैंडर भेजे जा रहे हैं.
अमेरिका इसी साल VIPER यानी वोलाटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर भेजा जाएगा. यह एक रोवर प्रोजेक्ट है. यानी नासा चांद पर एक रोबोटिक रोवर उतारने वाला है. यह चांद के अंधेरे वाले हिस्से में और दक्षिणी ध्रुव पर संसाधनों की खोज करेगा. खनिजों और संसाधनों के आधार पर नक्शे बनाएगा.
2025 में अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा अर्टेमिस-2 (Artemis 2) लैंडर को चांद पर उतारेगा. इंसान को 50 साल बाद पहली बार चांद की सतह पर उतारा जाएगा. इसके लिए ओरियन स्पेसक्राफ्ट और स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट की मदद ली जाएगी. अर्टेमिस-1 मिशन सफल हो चुका है. इसके बाद चीन की प्लानिंग तो और भी तगड़ी है.
चीन 2024 से 2027 के बीच अपना चांगई-6, 7 और 8 मिशन भेजेगा. ये चांद की सतह पर रिसर्च करने वाले रोबोटिक रिसर्च स्टेशन होंगे. इसके बाद चीन इस साल चंद्रमा पर अपने स्टेशन और सैटेलाइट्स के बीच संपर्क साधने के लिए लूनर कम्यूनिकेशन एंड नेविगेशन सैटेलाइट कॉन्स्टीलेशन (Lunar Communication and Navigation Satellite Constellation) भेजने वाला है. वह चांद से संपर्क स्थापित करने के लिए कई सैटेलाइट्स का जाल बिछा रहा है.
जापान इस साल स्लिम (Smart Lander for Investigation Moon - SLIM) भेजने की तैयारी में है. जिसमें ऑर्बिटर और लैंडर होंगे. इसके बाद जापान 2024 में हाकुतो-2 (Hakuto-2) और 2025 में हाकुतो-3 (Hakuto-3) मिशन भेजेगा. यह भी एक लैंडर और ऑर्बिटर मिशन होगा. स्लिम मिशन में जापान चांद पर लैंडिंग की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना चाहता है. वह भी बेहद सटीकता के साथ.