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'भारत से Chandrayaan-3 की टेक्नोलॉजी हासिल करना चाहता था अमेरिका', ISRO चीफ ने बताया

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ ने बताया है कि चंद्रयान-3 की सफलता से पहले अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की एक टीम को मिशन के बारे में बताया गया था. 4-5 लोगों की एक टीम मिशन को देखने के लिए भारत आई थी. इसके बाद उस टीम ने हमारी स्पेस टेक्नोलॉजी हासिल करने की इच्छा जाहिर की थी.

चंद्रयान-3 (File Photo) चंद्रयान-3 (File Photo)
aajtak.in
  • रामेश्वरम,
  • 16 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:51 AM IST

स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब अमेरिका तक भारत से टेक्नोलॉजी शेयर करने की मांग करने लगा है. ये जानकारी किसी और नहीं बल्कि खुद इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ ने दी है. ISRO चीफ ने बताया है कि जब चंद्रयान-3 मिशन के लिए स्पेसक्राफ्ट डेवलप किया जा रहा था, तब अमेरिका के एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया था कि इस टेक्नोलॉजी के बारे में भारत को अमेरिका के साथ जानकारी शेयर करनी चाहिए.

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सोमनाथ पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 92वीं जयंती के उपलक्ष्य में अब्दुल कलाम फाउंडेशन के कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि समय अब बदल चुका है. भारत सबसे बेहतर रॉकेट और दूसरे उपकरण बनाने में सक्षम है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेस फील्ड को निजी प्लेयर्स (निजी बिजनेस) के लिए खोल दिया है.

चंद्रयान-3 देखने आई थी NASA-JPL की टीम

उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश बहुत शक्तिशाली है. हमारे ज्ञान और बुद्धिमत्ता का स्तर दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्तर का है. ISRO प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के लिए जब हमने अंतरिक्ष यान को डिजाइन और विकसित किया, तो हमने NASA-JPL की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया. बता दें कि NASA-JPL ने अमेरिका के सबसे कठिन मिशन को अंजाम दिया है, जिसने कई बड़े-बड़े रॉकेट डिजाइन किए हैं.

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मिशन के बारे में टीम ने कहा था- सब बढ़िया होगा 

एस सोमनाथ ने कहा कि NASA-JPL से करीब 5 से 6 लोग चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग (23 अगस्त) से पहले ISRO मुख्यालय आए थे. हमारी टीम ने उन्हें चंद्रयान-3 के बारे में समझाया. टीम ने उन्हें बताया कि इस मिशन को कैसे डिजाइन किया गया और हमारे इंजीनियरों ने इसे कैसे बनाया. हमने उन्हें यह भी बताया कि हम चंद्रमा की सतह पर कैसे उतरेंगे. सारी बातें सुनने के बाद उन्होंने बस 'नो कमेंट' कहा. NASA-JPL की टीम ने कहा कि सब कुछ बढ़िया होने वाला है.

JPL लेबोरेटरी में होते हैं रिसर्च के बड़े-बड़े काम

बता दें कि JPL या नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (Jet Propulsion Laboratory) एक रिसर्च और डेवलपमेंट प्रयोगशाला है. इसमें रिसर्च से जुड़े बड़े-बड़े काम होते हैं. इसे अमेरिका का नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (National Aeronautics and Space Administration) फंड करता है. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (CALTECH) मैनेज करता है.

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