
China बहुत तेजी से स्टेल्थ सबमरीन बना रहा है. उसे इसकी तकनीक रूस से मिल रही है. यह भारत और अमेरिका समेत पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है. उसने आधुनिक टाइप 096 बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन बना ली है. चीन के पनडुब्बी बनाते हुए 50 साल हो चुके हैं. आज चीन विश्व स्तरीय परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां बना रहा है.
खास बात ये है कि चीन इन सबमरीन को स्टेल्थ बना रहा है. यानी इसके प्रोपल्शन, सेंसर, हथियारों और गोता लगाते समय आवाज नहीं आएगी. यानी यह चुपके से हमला करने में सक्षम है. चीन की टाइप 096 स्टेल्थ पनडुब्बियां रूस के अकुला 1 क्लास सबमरीन का आधुनिक वर्जन हैं. यानी ये रूस की अकुला पनडुब्बियों के प्लेटफॉर्म पर ही बनाई गई हैं.
इन पनडुब्बियों को खोजना, पहचानना या डिटेक्ट करना बेहद मुश्किल है. ये आसानी से राडार की पकड़ में नहीं आतीं. जिसकी वजह से भारत, अमेरिका और अन्य देशों की चिंता बढ़ गई है. चीन समुद्र के अंदर कहीं अपना राज न बना ले. ऐसी उम्मीद है कि चीन इन पनडुब्बियों को इस दशक के अंत तक अपनी नौसेना के लिए समुद्र में तैनात कर देगा.
चीन की सबसे घातक बैलिस्टिक मिसाइल से होगी लैस यह पनडुब्बी
नौसैनिक टेक्निकल इंटेलिजेंस एनालिस्ट क्रिस्टोफर कार्लसन कहते हैं कि टाइप 096 पनडुब्बियां अमेरिका और दुनिया के लिए बुरा सपना साबित होने वाली हैं. क्योंकि ये न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन हैं. इनके अंदर JL-3 SLBM मिसाइलें लगाई जाएंगी. इस पनडुब्बी के बारे में ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है लेकिन इसमें जो मिसाइल लगाई जाएगी, उसकी ताकत का अंदाजा पूरी दुनिया को है.
जानिए क्या है JL-3 SLBM मिसाइल की ताकत, रेंज और मारक क्षमता
चीन की JL-3 सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल 2022 से चीन की नौसेना में तैनात है. इसमें तीन परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता है. यह फिलहाल चीन की टाइप 094 सबमरीन में लगाई जा चुकी हैं. यह पनडुब्बी से निकलने के बाद 10 से 12 हजार किलोमीटर तक मार कर सकती है. तीन परमाणु हथियार यानी मल्टीपल इंडिपेंडेटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक लगाई गई है. यानी एक बार में एक ही मिसाइल से तीन अलग-अलग जगहों को टारगेट बनाया जा सकता है.
क्यों है अमेरिका को चीन से खतरा?
हैनान द्वीप पर ही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी- नेवी (PLAN) की पनडुब्बियां तैनात रहती हैं. JL-3 सबमरीन से लॉन्च की जाने वाली इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. जिसमें कई तरह के वॉरहेड्स लगाए जा सकते हैं. पहले कुछ रिपोर्ट्स आईं थीं, जिनमें कहा गया था कि JL-3 मिसाइलों को टाइप-096 पनडुब्बियों में लगाया जाएगा. ये पनडुब्बियां अभी बन रही हैं. लेकिन उससे पहले ही चीन ने इन घातक मिसाइलों को जिन क्लास पनडुब्बियों में तैनात करके पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. पेंटागन ने ये बातें अपनी 174 पेज की रिपोर्ट में बताई हैं. जिसमें कहा गया है कि चीन अपनी मिलिट्री ताकत को तेजी से बढ़ा रहा है. चीन और रूस मिलकर एशिया में अशांति फैला सकते हैं.
अमेरिका को डर, चीन कर लेगा ये काम
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय को डर है कि चीन साल 2030 तक आठ परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस पनडुब्बियां तैनात करने की स्थिति में आ जाएगा. इसके साथ ही टाइप-094 और टाइप-096 पनडुब्बियां भी साथ में तैनात की जाएंगी. टाइप-094 पनडुब्बियां एक साथ 16 JL-3 मिसाइलें रख सकता है. टाइप-096 में 24 मिसाइलें लैस की जा सकती हैं. अमेरिका को ये भी डर है कि चीन अब दक्षिण चीन सागर में अपनी परमाणु पनडुब्बियों को लगातार तैनात रखेगा.
डिजाइन में गड़बड़ी से पकड़ा जाता है चीन
चीन पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपनी पनडुब्बियों को भेजकर पेट्रोलिंग कराने से फिलहाल बचेगा. जिन क्लास की पनडुब्बियां आसानी से डिटेक्ट हो जाती हैं. क्योंकि इनकी डिजाइन में डिफेक्ट है. इनके मिसाइल हैच हल के पीछे होते हैं. इन पनडुब्बियों के हल से निकलने वाले सोनार सिग्नल से ये पकड़ में आ जाते हैं. लेकिन लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस ये पनडुब्बियां अमेरिका के लिए खतरा बन सकती हैं.
तेजी से पनडुब्बियां बना रहा है चीन
चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिकी नौसेना को अपनी क्षमताओं को और बढ़ाना होगा. क्योंकि पिछले कुछ सालों में PLAN ने अपनी परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बियों को आधुनिक बना रहा है. नई भी बना रहा है. चीन की पनडुब्बियों की संख्या अभी 66 है. लेकिन 2030 तक ये 76 हो जाएंगी.
डबल ट्रबल... क्या तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है?
अमेरिका और उसके मित्र देशों ने इस समय शीत युद्ध के समय वाली पोजिशन में अपनी नौसेनाओं को तैनात कर रखा है. चीन इसी बात पर नजर रख रहा है. उसकी पनडुब्बियां उन इलाकों में नहीं जातीं, जहां अमेरिका या नाटो सदस्य देशों की पनडुब्बियां या युद्धपोत मौजूद हैं. दूसरी दिक्कत है रूस. रूस अपनी 11 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों को अपने आर्कटिक तट के पास रखेगा. क्योंकि उसे अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटिश जंगी जहाजों और पनडुब्बियों से खतरा है.
सारा खेल है पनडुब्बियों की पोजिशनिंग का
इन पोजिशंस में आने वाले समय में बदलाव होगा. अमेरिकी उत्तरी कमांड ने सीनेट आर्म्ड सर्विसेस कमेटी को बताया था कि रूस अपनी सबसे ताकतवर और शांत परमाणु पनडुब्बी अमेरिकी तटों के आसपास पेट्रोलिंग के लिए लगातार तैनात कर सकती है. ऐसा अगले दो साल में संभव है. रूस ने अपने यासेन क्लास न्यूक्लियर सबमरीन्स की तैनाती बढ़ानी शुरू कर दी है. रूस ने अपनी ये पनडुब्बियां प्रशांत महासागर में भी तैनात कर दी हैं.
रूस से भी हो सकती है अमेरिका को दिक्कत
अगले दो साल के अंदर रूस भी लगातार चौबीसों घंटे अपनी परमाणु पनडुब्बियों से निगरानी करता रहेगा. यानी अमेरिका और मित्र देशों को यह खेल खत्म करने के लिए कुछ नई व्यवस्था करनी होगी. नहीं तो चीन और रूस दोनों मिलकर अमेरिका के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं. जहां तक बात रही अमेरिका की, तो उसने प्रशांत क्षेत्र में 20 परमाणु पनडुब्बियां तैनात कर रखी हैं. इनमें से कुछ गुआम और तो कुछ हवाई पर हैं.
अमेरिका भी रूस-चीन से ताकत में कम नहीं
साल 2027 तक अमेरिकी और ब्रिटिश परमाणु पनडुब्बियां पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से संचालित करेंगे. अमेरिका भी ऑस्ट्रेलिया की पनडुब्बी बनाने में मदद कर रहा है. ये एक परमाणु पनडुब्बी होगी. अमेरिका वर्जिनिया क्लास पनडुब्बी बनाकर ऑस्ट्रेलिया को दे रहा है. अमेरिका की ये मिसाइल जंगी जहाजों और P-8 Poseidon निगरानी विमानों की मदद से परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस पनडुब्बियों का कत्ल करती आई हैं. अमेरिका के पास समुद्री तलहटी में सेंसर्स का जाल है. जो ये बताता है कि पनडुब्बियां कहां-कहां हैं.
क्या मानना है रक्षा विशेषज्ञों का?
लंदन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्ट्डीज के रक्षा एक्सपर्ट टिमोथी राइट ने कहा कि अमेरिका अकेले इस सिचुएशन से निकल सकता है. हालांकि चीन और रूस जैसे परमाणु हथियारों से लैस देशों को परमाणु हथियारों से लैस देश ही टक्कर ले सकेंगे.