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क्या चांद पर भी कब्जा करना चाहता है चीन? मून का डिटेल मैप तैयार

China ने चंद्रमा का सबसे डिटेल नक्शा बना लिया है. इसमें हर छोटे-बड़े गड्ढे की डिटेल दी गई है. गड्ढों के उम्र के हिसाब से उन्हें अलग-अलग रंगों में बांटा गया है. इतना डिटेल नक्शा या एटलस अभी तक किसी देश ने नहीं बनाया था. चीन ने पूरी दुनिया के सामने इस नक्शे को जारी करके वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है.

ये है चांद का सबसे डिटेल नक्शा, जिसे चीन के वैज्ञानिकों ने 12 साल की मेहनत से बनाया है. (सभी फोटोः CAS) ये है चांद का सबसे डिटेल नक्शा, जिसे चीन के वैज्ञानिकों ने 12 साल की मेहनत से बनाया है. (सभी फोटोः CAS)
आजतक साइंस डेस्क
  • बीजिंग,
  • 30 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

चीन ने चंद्रमा का सबसे डिटेल एटलस बना लिया है. आम भाषा में कहें तो नक्शा. यह भौगोलिक एटलस है, जिसमें चांद की सतह पर मौजूद हर चीज बेहद बारीकी से दिखाई गई है. इस एटलस में चांद की सतह पर मौजूद सभी इम्पैक्ट क्रेटर्स को दिखाया गया है. यानी वो गड्ढे जो उल्कापिंडों के टकराने की वजह से बनते हैं. 

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चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ जियोकेमिस्ट्री के सीनियर रिसर्चर लियु जियानझॉन्ग ने बताया कि जब आप इस नक्शे को देखते हैं, तो आपको यहां मौजूद गड्ढे अपनी ओर खींचते हैं. ये सवाल पैदा करते हैं. ये छोटे-छोटे गड्ढे इम्पैक्ट क्रेटर्स हैं. जो उल्कापिंडों के टकराने की वजह से चांद पर बने हैं. लगातार बनते रहते हैं. 

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लियु ने बताया कि इस नक्शे में हर एक गड्ढा कवर किया गया है. इसमें सबसे बड़ा इम्पैक्ट क्रेटर तो पूरा का पूरा बेसिन है. जिसे इम्पैक्ट बेसिन कहते हैं. इसका व्यास 200 किलोमीटर है. हर गड्ढे को उसकी उम्र के हिसाब से अलग-अलग रंगों में बांटा गया है. इसमें बैंगनी रंग वाले गड्ढे सबसे पुराने इम्पैक्ट क्रेटर्स हैं. 

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2012 से तैयार किया जा रहा था एटलस

चीन के वैज्ञानिकों और कार्टोग्राफर्स यानी वो लोग जो सैटेलाइट इमेज से नक्शे बनाते हैं, इन लोगों ने 2012 में इस नक्शे और एटलस को बनाना शुरू किया था. चीन के चांगई-1 और चांगई-2 की वजह से कई तस्वीरें मिलीं. इसके अलावा इनके ऑर्बिटर लगातार चांद की फोटो लेते रहते हैं. 2013 और 2019 में चांगई-3 और 4 भेजे गए. 

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चांगई लूनर मिशन से मिली कई जानकारी

चारों लूनर मिशन से चीन को चांद का हर एंगल से फोटो मिला. जिन्हें मिलाकर यह विशालकाय और सबसे डिटेल नक्शा बनाया गया है. चांगई-5 ने तो चांद के नीयर साइड यानी वो हिस्सा जो हमें दिखता है, वहां से 2020 में सैंपल भी जमा किया था. ये सैंपल अब पृथ्वी पर लौट आया है. वैज्ञानिक इनकी अलग से स्टडी कर रहे हैं. 

इस साल चीन भेजेगा चांगई-6 लूनर मिशन

चीन अब इस समय तैयारी में है कि वह इस साल मई में चांगई-6 लूनर मिशन भेजेगा. यह भी सैंपल रिटर्न मिशन होगा. चीन के प्रसिद्ध लूनर साइंटिस्ट ओयुयांग जियुआन कहते हैं कि चंद्रमा का यह एटलस चांद की हर जानकारी देता है. मानव इतिहास में चंद्रमा का इतना डिटेल नक्शा कभी नहीं बना. 

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6 साल में चांद पर रिसर्च स्टेशन बनाएगा चीन

चीन का प्लान है कि वह चांद पर 2030 तक इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) बनाएगा. वह अपने एस्ट्रोनॉट्स को 2030 तक चांद की सतह पर उतारने की तैयारी कर रहा है. दुनिया भर में यह रेस चल रही है कि चंद्रमा पर कौन सा देश पहले पहुंचेगा. अमेरिका भी इस रेस में लगा है.

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