
चांद के फार साइड यानी अंधेरे वाले हिस्से में पहुंचा चीन का स्पेसक्राफ्ट Chang'e-6 का एसेंडर, मिट्टी और पत्थर का सैंपल लेकर धरती की ओर वापस आ रहा है. एसेंडर यानी वह यंत्र जो चांद की सतह से वापस उसकी कक्षा में आया है. अब वहां से सैंपल लेकर धरती की तरफ आ रहा है.
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चीन की स्पेस एजेंसी CNSA ने कहा कि इस यान के पिछले महीने लॉन्च किया गया था. जो दो दिन पहले यानी रविवार को चांद के अंधेरे वाले हिस्से में उतरा था. इस लैंडिंग के साथ ही चीन दुनिया का पहला ऐसे देश बन गया था, जिसने दो बार चांद के अंधेरे वाले हिस्से में अपने यान की लैंडिंग कराई थी. वहां से सैंपल भी उठा लाया.
चीन की स्पेस एजेंसी ने कहा कि चांगई-6 से सैंपल लेकर निकला एसेंडर चीन के इनर मंगोलिया इलाके के रेगिस्तान में करीब 25 जून के आसपास लैंड करेगा. इस यान ने चांद पर जहां लैंड किया था, वहां पर तापमान माइनस में रहता है. दुनिया में यह काम पहली बार होगा, जब कोई देश चीन के अंधेरे वाले हिस्से से सैंपल लेकर धरती पर वापस आएगा.
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बढ़ गया चीन का स्पेस पावर स्टेट्स
चीन का दुनिया भर में स्पेस पावर स्टेट्स बढ़ गया है. अमेरिका चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट्स भेजना चाहता है. चंद्रमा पर अपना बेस बनाना चाहता है. लेकिन संभावना ये है कि अमेरिका और अन्य देशों की तुलना में चीन ये काम कहीं पहले न कर ले.
गड्ढों से भरे इलाके में उतरा था यान
चीन का चांगई-6 यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद एटकेन बेसिन में उतरा है. यह उल्कापिंड की टक्कर से बना चंद्रमा का विशालकाय इम्पैक्ट क्रेटर है. इस मिशन में काफी ज्यादा इनोवेशन किए गए हैं. कई तरह की दिक्कतें आई हैं. चांगई-6 में गए सभी पेलोड्स पहले से तय काम ही करेंगे.
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आसान नहीं था ये चीन का ये मिशन
चांद के अंधेरे वाले हिस्से में ज्यादा गहरे, बड़े क्रेटर हैं. उस तरफ से कम्यूनिकेशन करना भी आसान नहीं है. इसलिए किसी भी मिशन के फेल होने की आशंका ज्यादा रहती है. मिशन पर आपका नियंत्रण नहीं होता. मिशन को पूरी तरह से ऑटोमैटिक मोड पर रहता है. स्पेसक्राफ्ट अपने इंटेलिजेंस और ऑनबोर्ड कंप्यूटर में लोडेड प्रोग्राम के हिसाब से ही काम करता है.