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Algae बैटरी का कमाल, 6 महीने लगातार चलता रहा कंप्यूटर

आजकल की बैटरी कितना चलती हैं, हम सभी जानते हैं. लेकिन एक बैटरी ऐसी भी है जिससे एक कंप्यूटर 6 महीने तक लगातार चलता रहा. जानते हैं इस अनोखी बैटरी के बारे में जो शैवाल (Algae) से बनी है.

शैवाल बैटरी 6 महीने लगातार चली (Photo: paolo-bombelli) शैवाल बैटरी 6 महीने लगातार चली (Photo: paolo-bombelli)
aajtak.in
  • लंदन,
  • 14 मई 2022,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST
  • कंप्यूटर में 0.3 माइक्रोवाट बिजली खर्च हुई
  • 6 महीने तक बैटरी लगातार चलती रही

यह कूलर के डब्बे की तरह दिखने वाली चीज असल में एक बैटरी है. जिसे वैज्ञानिकों ने इस तरह बनाया है कि यह 6 महीने तक बिजली दे सकती है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) के एक कंप्यूटर प्रोसेसर को इस बैटरी से जोड़ा गया, जो लगातार 6 महीने तक चलता रहा.

आपको बता दें कि इस बैटरी का खोल AA बैटरी से ज्यादा बड़ा नहीं है. शोधकर्ताओं ने नीले-हरे शैवाल (Algae) को इलेक्ट्रोड (Electrodes) के साथ एक कंटेनर में रखा और सूक्ष्मजीव (Microorganisms ) सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करके बिजली बनाने लगे. इस बैटरी ने कंप्यूटर को चलाने के लिए पर्याप्त बिजली दी और कंप्यूटर 6 महीने लगातार चला. 

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एनर्जी एंड एनवायर्नमेंटल साइंस (Energy & Environmental Science) जर्नल के मुताबिक, साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) ने कंप्यूटर को 45 की साइकल में चलने दिया. कंप्यूटर पर काम भी हुआ और फिर 15 मिनट स्टैंडबाय पर भी रहा. अगस्त 2021 में प्रयोग खत्म होने के बाद से बैटरी ने बिजली बनाना जारी रखा है.

शैवाल सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करके बिजली बनाते हैं (Photo: Pixabay)

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के जैव रसायन (Biochemistry) विभाग के डॉ पाओलो बॉम्बेली (Dr Paolo Bombelli) का कहना है कि हमें यह बहुत अच्छा लगा कि सिस्टम ने लंबे समय तक लगातार काम किया. हमें लगा था कि यह कुछ हफ्तों के बाद बंद हो सकता है, लेकिन यह चलता रहा.

बिना किसी रुकावट के छह महीने तक चलने वाले सिस्टम ने कंप्यूटिंग समय के दौरान 0.3 माइक्रोवाट बिजली की खपत हुई और निष्क्रिय समय के दौरान 0.24 की.

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हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह कैसे काम करता है. लेकिन टीम का मानना है कि फोटोसिंथेसिस (Photosynthesis) के दौरान साइनोबैक्टीरिया (नीला-हरा शैवाल) इलेक्ट्रॉन छोड़ता है. लेकिन प्रकाश की कमी से बिजली पर प्रभाव नहीं पड़ा. बिजली दिन और रात दोनों समय स्थिर रही. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि शैवाल अंधेरे में अपना भोजन प्रोसेस करते हैं. और इसलिए बिजली का करेंट बनना जारी रहता है. 

 

शैवाल से चलने वाली ये बैटरियां अभी तक एक घर को बिजली देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, हालांकि ये छोटे उपकरणों को बिजली दे सकती हैं. ये सस्ती है और रीसाइकिल्ड मैटीरियल (Recycled Materials) से बनी हैं. इस तरह की बैट्री आने वाले समय में गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं.

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