
एना (बदला हुआ नाम) कोविड से संक्रमित थी. इलाज चल रहा था. कुछ महीनों बाद वो अपने परिवार से मिली. उस समय यह पुख्ता नहीं था कि अब वो कोरोना संक्रमित है या नही. जब वैज्ञानिकों ने उससे पूछताछ की. उसकी जांच की, तो उसने बताया कि वो अपने पिता की आवाज किसी और के चेहरे से आते सुन रही थी. जो चेहरा सामने था वो उसके पिता नहीं थे.
मार्च 2020 में कोविड-19 संक्रमण से पहले एना सबके चेहरे सामान्य तरीके से पहचान रही थी. संक्रमण के कुछ दिन बाद वह ठीक होने लगी. लेकिन कुछ ही महीनों के बाद वह फिर बीमार पड़ी. तब से उसे चेहरे पहचानने में दिक्कत हो रही है. वैज्ञानिक इसे फेस ब्लाइंडनेस (Face Blindness) कहते हैं. विज्ञान की भाषा में इसे प्रोसोपागनोसिया (Prosopagnosia) कहते हैं. यह लॉन्ग कोविड से संबंधित दिमागी समस्याओं की सूची में जोड़ लिया गया है.
इसके बाद वैज्ञानिकों ने 50 से ज्यादा लोगों की स्टडी की. इन सभी को लॉन्ग कोविड था. उन्हें भी यह दिक्कत आ रही थी. वो आसानी से चेहरा नहीं पहचान पा रहे थे. इस समस्या की शुरुआत उनके संक्रमण से ही थी. 28 साल की एना ने बताया कि उसे चेहरे पानी की तरह दिखते हैं. हिलते-डुलते और बहते हुए. अब उसे पेंटिंग बनाने के लिए लोगों से राय लेनी पड़ती है. मदद लेती है. ताकि सही से पेंटिंग बन सके.
मेमोरी डिफेक्ट की वजह से दिशा भी भूलते हैं लोग
डार्टमाउथ कॉलेज के न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट मैरी लुई किसलर और ब्रैड डचेन ने एना पर कई तरह के टेस्ट किए. फिर इस बात की पुष्टि की कि उसे चेहरा पहचानने में दिक्कत हो रही है. उसे खास तरह का फेस मेमोरी डिफेक्ट हुआ है. लेकिन ये कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. धीरे-धीरे ये ठीक हो सकता है. लेकिन एना को दिशा भ्रम भी होने लगा. वो नेविगेशन में परेशान होने लगी. जो रास्ते उसे याद रहते थे. अब उसे जीपीएस लगाना पड़ता है.
लॉन्ग कोविड से पीड़ित लोगों में दिख रहा नया लक्षण
प्रोसपागनोसिया में दिशा भ्रम होना भी सामान्य है. ब्रैड डचेन ने कहा एना के चेहरा भूलने की परेशानी और दिशा भ्रम ने हमारा ध्यान खींचा. इससे लग रहा था कि कोविड-19 की वजह से उसके दिमाग में किसी तरह के डैमेज हुआ है. या किसी तरह के मानसिक विकास में बाधा आ रही है. कोरोना संक्रमित होने के दौरान एना ने अपने सूंघने और स्वाद की क्षमता भी खो चुकी थी. लेकिन जब वह ठीक होने के कुछ महीनों बाद फिर से बीमार पड़ी तब उसे चेहरा पहचानने में दिक्कत होने लगी थी. दिशाएं भूलने लगी थी.
कोरोना के दौरान ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है इसकी वजह
लॉन्ग कोविड में थकान, ध्यान नहीं लगना, दिमाग में कोहरा यानी ब्रेन फॉग बनना सामान्य बात है. साथ ही एना को माइग्रेन और शरीर का संतुलन बनाने की समस्या भी हुई. शोधकर्ताओं ने यह भी माना कि कोरोना के दौरान ही ब्रेन स्ट्रोक भी आ सकता है. ब्रैड डचेन ने कहा कि एना पर की गई स्टडी ने यह बात पुख्ता की है कि कोरोना संक्रमण से इस तरह की दिक्कतें भी आ सकती हैं. इसलिए डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए. यह स्टडी हाल ही में कॉर्टेक्स जर्नल में प्रकाशित हुई है.