
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के डार्ट मिशन (Dart Mission) ने इतिहास रच दिया है. 550 किलोग्राम वजन के स्पेसक्राफ्ट से 500 करोड़ किलोग्राम वजनी एस्टेरॉयड की दिशा बदल दी. यानी नासा ने अपने पहले प्लैनेटरी डिफेंस सिस्टम (Planetary Defense System) में सफलता हासिल कर ली है. इसका मतलब ये है कि अगर कोई एस्टेरॉयड धरती के लिए खतरा बनता है तो उसे आने से पहले ही अंतरिक्ष में मोड़ा जा सकेगा.
नासा ने 27 सितंबर 2022 की सुबह 4.45 बजे डाइमॉरफोस एस्टेरॉयड से अपने डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (Double Asteroid Redirection Test - DART) मिशन स्पेसक्राफ्ट को टकराया था. डाइमॉरफोस अपने मुख्य एस्टेरॉयड डिडिमोस (Didymos) के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. डिडिमोस के चारों तरफ डाइमॉरफोस एक चक्कर 11 घंटे 55 मिनट में लगाता था. लेकिन टक्कर के बाद अब इसमें 32 मिनट की कमी आ गई है. यानी अब यह 11 घंटे 23 मिनट में चक्कर लगा रहा है.
पिछले दो हफ्ते से डार्ट मिशन के वैज्ञानिक डाइमॉरफोस के मूवमेंट की गणना कर रहे थे. NASA प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा कि यह हमारे लिए ही नहीं बल्कि धरती पर मौजूद सभी जीवों के लिए बड़ी उपलब्धि है. हम अब धरती को एस्टेरॉयड से बचाने के लिए ऐसे मिशन लॉन्च कर सकते हैं. डार्ट मिशन की लॉन्चिंग धरती से करीब 11 महीने पहले की गई थी. 27 सितंबर को उसने पृथ्वी से 1.10 करोड़ किलोमीटर दूर मौजूद बाइनरी एस्टेरॉयड को टक्कर मारी.
डाइमॉरफोस के निकली 10 हजार KM लंबी पूंछ...
टक्कर के बाद डाइमॉरफोस से निकली धूल, पत्थरों के टुकड़ों की वजह से अब उसके पीछे अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर लंबी पूंछ बन गई है. यह पूंछ करीब 10 हजार किलोमीटर लंबी है. अब डाइमॉरफोस इसी पूंछ के साथ पहले से 32 मिनट कम समय में डिडिमोस के चक्कर लगा रहा है. यानी उसकी ऑर्बिट की लंबाई में कमी आई है. उसकी दिशा बदल गई है. वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि इस टक्कर से कम से कम 73 सेकेंड और अधिकतम 10 मिनट की कमी आएगी. लेकिन आधे घंटे से ज्यादा का समय कम होना बड़ी बात है. अभी उम्मीद लगाई जा रही है कि यह भविष्य में दो मिनट कम या ज्यादा हो सकती है.
यह मिशन जरूरी क्यों था? ...
ज्यादातर एस्टेरॉयड्स खतरनाक नहीं होते. न भविष्य में होंगे. अगर किसी एस्टेरॉयड से संभावित खतरा है तो उसे पोटेंशियली हजार्ड्स ऑब्जेक्ट्स (PHO) कहते हैं. ये 100 से 165 फीट व्यास या इससे बड़े हो सकते हैं. इन स्पेस रॉक्स की दूरी धरती से 80 लाख KM तक है तो नासा और दुनिया भर के वैज्ञानिक इन पर नजर रखते हैं. इन एस्टेरॉयड्स को नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEO's) कहते हैं. दुनियाभर भर के साइंटिस्ट्स आसमान पर टकटकी लगाए यह देखते रहते हैं कि कहीं कोई बड़ा पत्थर पृथ्वी की दिशा में तो नहीं आ रहा है. जो खतरा बन सकता हो. इसलिए ऐसे एस्टेरॉयड को रोकने या उनकी दिशा बदलने के लिए नासा ने यह मिशन किया था. जिसने सफलता हासिल कर ली है. अब इस तकनीक की मदद से आगे भी एस्टेरॉयड्स की दिशा बदली जा सकेगी.
डाइमॉरफोस-डिडिमोस कितने बड़े हैं? ...
डार्ट मिशन स्पेसक्राफ्ट 19 मीटर लंबा था. डाइमॉरफोस स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुना बड़ा है. करीब 163 मीटर है. डिडिमोस 780 मीटर का है. डिडिमोस का मतलब ग्रीक भाषा में जुड़वा है. डार्ट मिशन स्पेसक्राफ्ट 22 हजार KM प्रतिघंटा की स्पीड से डाइमॉरफोस से टकराया. अब आप पूछेंगे कि इतना हल्का स्पेसक्राफ्ट इतने बड़े पत्थर को कैसे हिला सकता है? तो लीजिए अब तो नासा ने भी कह दिया है कि उसने एस्टेरॉयड को हिला दिया है. ऐसा हुआ है काइनेटिक इम्पैक्टर (Kinetic Impactor) तकनीक की वजह से. यानी टक्कर के बाद स्पेसक्राफ्ट की काइनेटिक एनर्जी और गति से डाइमॉरफोस की गति में अंतर लाना. उसकी दिशा में बदलाव करना. ये बात तो सदियों पहले न्यूटन अपने Law of Motion में कह गए थे.