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न्यू मेक्सिको में मृत पक्षियों को 'जिंदगी' दे रहे वैज्ञानिक, टेक्नोलॉजी से बना रहे ड्रोन

बॉलीवुड फिल्म Uri में एक बाज जैसे दिखने वाले ड्रोन से आतंकियों की जासूसी कराई गई थी. वैसा ही ड्रोन न्यू मेक्सिको के इंजीनियरों ने बनाया है. इसमें मरे हुए पक्षियों के शरीर का इस्तेमाल किया गया है. मृत पक्षियों को फिर से उड़ने लायक बना दिया गया है. आइए जानते हैं कि इंजीनियर्स से ये कमाल कैसे किया?

न्यू मेक्सिको में वैज्ञानिकों ने मुर्दा पक्षियों के शरीर में लगा दी ड्रोन टेक्नोलॉजी, ताकि उड़ान का तरीका समझ सकें. (सभी फोटोः रॉयटर्स) न्यू मेक्सिको में वैज्ञानिकों ने मुर्दा पक्षियों के शरीर में लगा दी ड्रोन टेक्नोलॉजी, ताकि उड़ान का तरीका समझ सकें. (सभी फोटोः रॉयटर्स)
aajtak.in
  • सोकोरो,
  • 17 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST

न्यू मेक्सिको (New Mexico) के वैज्ञानिकों ने मरे हुए पक्षियों को फिर से नया जीवन दिया है. उन्हें उड़ने की ताकत दी है. वाइल्डलाइफ रिसर्च में यह एकदम नया तरीका है कि किसी मरे हुए पक्षी के शरीर का इस्तेमाल ड्रोन बनाने के लिए किया जा रहा है. यह नया प्रयोग न्यू मेक्सिको इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने किया है. 

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आपने अक्सर म्यूजियम में कभी शेर, चीते, बाघ आदि के पुतले देखें होंगे. जो असली होते हैं. लेकिन मुर्दा. ऐसे ही न्यू मेक्सिको के शहर सोकोरो में मुर्दा पक्षियों के पुतले रखे थे. इन पुतलों को संभाल कर रखने की प्रक्रिया को टैक्सीडर्मी (Taxidermy) कहते हैं. इससे मुर्दा जीवों का शरीर सुरक्षित रहता है. लेकिन उनके अंदर अंग नहीं होते. 

इन मुर्दा पक्षियों को फिर से उड़ाने के प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं डॉ. मुस्तफा हस्सनालिएन. वो मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं. वो मुर्दा पक्षियों को ड्रोन बनाकर उनके उड़ने के तरीकों को समझना चाहते थे. इसलिए उन्हें ड्रोन बनाकर आर्टिफिशियल और मैकेनिकल उड़ान देने की कोशिश की. 

डॉ. मुस्तफा ने बताया कि हमने मुर्दा पक्षियों के शरीर को ड्रोन में बदला. हमने इन्हें नाम दिया है टैक्सीडर्मी बर्ड ड्रोन्स (Taxidermy Bird Drones). यह प्रोजेक्ट इसलिए शुरु किया गया ताकि यह समझ सकें कि पक्षियों के उड़ान का तरीका क्या होता है. यह भविष्य में विमानन उद्योग में मददगार साबित हो सकता है. 

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मुर्दा पक्षियों को ड्रोन बनाने के बाद उनकी जांच करते डॉ. मुस्तफा. (फोटोः रॉयटर्स)

डॉ. मुस्तफा कहते हैं कि अगर हमें यह पता चल जाए कि उड़ान के समय किस तरह से ऊर्जा का बंटवारा करते हैं. कितनी ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं. तो भविष्य में विमानों का डिजाइन बदला जा सकता है. ताकि कम ईंधन में ही ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा हासिल कर सकें. 

डॉ. मुस्तफा के साथ काम कर रहे हैं पीएचडी शोधार्थी ब्रेंडेन हरकेनऑफ ने कहा कि मुर्दा पक्षियों का शरीर हल्का होता है. अंदर किसी तरह का अंग नहीं होता. अगर इन्हें ड्रोन बनाकर उड़ा सकें तो किसी को पता भी नहीं चलेगा. असली पक्षी है या ड्रोन. हरकेनऑफ पक्षियों के रंग और उड़ान क्षमता पर रिसर्च कर रहे हैं. 

ब्रेंडेन हरकेनऑफ ने कहा कि पक्षियों के रंग से पता चलता है कि वो किस मादा या नर के साथ संबंध बनाएंगे. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किस तरह के रंगों का उड़ान पर सीधा प्रभाव पड़ता है. अभी हमने जो टैक्सीडर्मी पक्षी ड्रोन बनाएं हैं, वो अधिकतम 20 मिनट की उड़ान भर सकते हैं.  

अब अगले स्टेज में वैज्ञानिक इस ड्रोन पक्षी का वो वर्जन तैयार करेंगे, जो ज्यादा समय के लिए उड़ सके. इनका परीक्षण जीवित पक्षियों के बीच किया जाएगा, ताकि प्राकृतिक तौर पर खुले इलाके में रहने वाले पक्षियों को इन ड्रोन पक्षियों से दिक्कत न हो. 

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