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अब समुद्र में मौजूद मृत जीवों की वजह से आएगा सबसे बड़ा भूकंप, शोध से पता चला

एक शोध से पता चलता है कि लाखों साल पुराने छोटे जीव, हिकुरंगी सबडक्शन ज़ोन (Hikurangi subduction zone) में अगला विनाशकारी भूकंप ला सकता है. इस ज़ोन में 8 मैग्निट्यूड से ज्यादा के विशाल 'मेगाथ्रस्ट' भूकंप (Megathrust Earthquakes) आ सकते हैं. अगले 50 सालों में इस ज़ोन के दक्षिणी किनारे पर बड़े भूकंप आने की संभावना 26% है.

अगले 50 सालों में हिकुरंगी सबडक्शन ज़ोन पर आ सकता है बड़ा भूकंप (Photo: Stefan Keller/Pixabay) अगले 50 सालों में हिकुरंगी सबडक्शन ज़ोन पर आ सकता है बड़ा भूकंप (Photo: Stefan Keller/Pixabay)
aajtak.in
  • वेलिंग्टन,
  • 12 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

हाल ही में किए गए शोध से पता चलता है कि लाखों साल पुराने छोटे जीव, हिकुरंगी सबडक्शन ज़ोन (Hikurangi subduction zone) में अगले विनाशकारी भूकंप का कारण बन सकते हैं. न्यूजीलैंड का सबसे बड़ा फॉल्ट (Fault), सबडक्शन ज़ोन वह सीमा है जहां पैसिफिक प्लेट, ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के नीचे डाइव कर रही है. इस ज़ोन में 8 मैग्निट्यूड से ज्यादा के विशाल 'मेगाथ्रस्ट' भूकंप (Megathrust Earthquakes) आ सकते हैं.

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भूकंप वैज्ञानिकों की एक टीम हिकुरंगी सबडक्शन ज़ोन के किनारे पर स्थित हंगरोआ फॉल्ट (Hungaroa fault) पर एक चट्टान का अध्ययन कर रहे हैं. इस टीम को लीड करने वाले डॉ. कैरोलिन बोल्टन (Carolyn Boulton) का कहना है कि मार्टिनबरो (Martinborough) से करीब 35 किमी दक्षिण-पूर्व में टोरा के पास, चट्टानों पर चूना पत्थर (Limestone), मडस्टोन (Mudstone) और सिल्टस्टोन (Siltstone) की परतें हैं. इन परतों से पता चलता है कि सबडक्शन ज़ोन में क्या हो रहा है.

छोटे जीवों से बना कैल्साइट, सबडक्शन ज़ोन में मूवमेंट को प्रभावित कर सकता है (Photo: jeremy bishop/unsplash)

ऐसी ही चट्टानें 3.5 से 6.5 करोड़ साल पहले समुद्र तल पर थीं, लेकिन वे ऐसी जगह पर थीं जहां उनका अध्ययन करना मुश्किल था. हालांकि, वैज्ञानिक जमीन पर बनी चट्टानों को देखकर ये पता लगा सकते हैं कि समुद्र के नीचे क्या हो रहा है. 

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डॉ. बोल्टन का कहना है कि चट्टानों में कैल्साइट (Calcite) है, जो पुराने एक कोशिका वाले समुद्री जीवों खासकर फोरामिनिफेरा, जैसे प्लैंकटन से बनता है. उन छोटे जीवों से बना कैल्साइट, सबडक्शन ज़ोन में मूवमेंट को प्रभावित कर सकता है. ये छोटे, लंबे समय से मृत जीव इस बात पर असर डाल सकते हैं कि दो बड़ी टेक्टोनिक प्लेटें यांत्रिक रूप से कैसे परस्पर क्रिया करती हैं.

डॉ बोल्टन कहते हैं कि अगर चट्टानों में मौजूद कैल्साइट घुल जाएगा, तो फॉल्ट कमजोर हो सकता है और भूकंप के बिना आसानी से स्लाइड हो सकता है. लेकिन अगर केल्साइट नहीं घुलता, तो वॉल्ट ऊर्जा को स्टोर करके लॉक अप हो सकता है, जिससे बड़ा भूकंप आ सकता है. जब तापमान कम होता है तो कैल्साइट तेजी से घुलता है. लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है इसका घुलना मुश्किल हो जाता है.

कैल्साइट के प्रति संवेदनशील है फॉल्ट (Photo: Stefan Keller/Pixabay)

शोधकर्ताओं का कहना है कि सबडक्शन ज़ोन में, तापमान जमीन की तुलना में धीरे-धीरे बढ़ता है- करीब 10ºC/ किमी. इसलिए फॉल्ट असल में कैल्साइट के प्रति संवेदनशील है. इन जीवों से बने कैल्साइट की मात्रा और व्यवहार से ही तय होता है कि अगला भूकंप कितना बड़ा होगा.

डॉ बोल्टन का कहना है कि तोरा के अध्ययन से हमें पता चलता है कि सबडक्शन ज़ोन का उथला हिस्सा, प्लेट की गति को धीरे-धीरे या तेजी से खिसकाकर बड़े और हानिकारक भूकंप ला सकता है. सबडक्शन ज़ोन के पास आए एक मेगाथ्रस्ट भूकंप, से एक बड़ी सुनामी आई होगी, जिसके प्रमाण भूवैज्ञानिक खुदाई और उत्तर व दक्षिण दोनों द्वीपों के पूर्वी तटों के पास के जीवाश्म रिकॉर्ड में पाए गए हैं.

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लिथोस (Lithos) जर्नल में प्रकाशित हुए शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 50 सालों में हिकुरंगी सबडक्शन ज़ोन के दक्षिणी किनारे पर एक बड़े भूकंप की संभावना 26% है.

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