
जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और समुद्री जलस्तर के बढ़ने को लेकर अमेरिकी सरकार ने एक डराने वाली रिपोर्ट जारी की है. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के प्रतिबंधों, लॉकडाउन के बावजूद पूरी दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर हुआ है. समुद्र का जलस्तर बढ़ा है. इस स्टडी में 60 देशों के 530 वैज्ञानिकों ने मदद की है. यानी पूरी दुनिया की स्टडी हुई है, वह जो परिणाम दिखा रही है वो भयावह है.
नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के एडमिनिस्ट्रेटर रिक स्पिनरैड ने बताया कि इस रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि हमें जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए ज्यादा कदम उठाने होंगे. हमारे पास क्लाइमेंट चेंज के सबूत हैं. इनका असर पूरी दुनिया में हो रहा है. वह भी बुरा. इससे कहीं भी कोई फायदा नहीं हो रहा है.
रिक ने बताया कि साल 2020 में पूरी दुनिया में यातायात बंद था. लॉकडाउन के दौरान गाड़ियों के नहीं चलने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम हुआ. साल 2021 में भी यही हाल था लेकिन इसके बावजूद साल 2021 में प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ. बल्कि बढ़ा ही है. साल 2021 में वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस 414.7 पार्ट्स प्रति मिलियन था. यह साल 2020 की तुलना में 2.3 पार्ट्स प्रति मिलियन ज्यादा था.
सालाना स्टेट ऑफ द क्लाइमेट रिपोर्ट में बताया गया है कि पैलियोक्लाइमेटिक रिकॉर्ड्स के मुताबिक ग्रीनहाउस गैसों का यह स्तर पिछले 10 लाख सालों में सबसे ज्यादा था. लगातार दसवें साल दुनिया भर में समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. साल 1993 में जब सैटेलाइट से इस चीज की जांच शुरू की गई थी, तब के औसत से 3.8 इंच ज्यादा यानी 97 मिलिमीटर बढ़ गया है समुद्री जलस्तर.
19वीं सदी के मध्य से लेकर अब तक पिछला साल छठा सबसे गर्म साल भी रहा है. सात सालों में सातवां सबसे गर्म. उष्णकटिबंधीय तूफानों की संख्या भी बढ़ गई. पिछले साल आए राय तूफान की वजह से फिलिपीन्स में 400 लोगों की मौत हो गई. कैरिबियन में आए इडा चक्रवात ने लुईसियाना की हालत खराब कर दी. यह कैटरीना के बाद दूसरा सबसे भयावह तूफान था.
रिक स्पिनरैड ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का दर कम नहीं होने वाला है. ये लगातार बढ़ ही रहा है. हम खुद अपने जलवायु, पर्यावरण को खराब कर रहे हैं. वही पलटकर हमें दिक्कत दे रहा है. पिछले साल का ग्लोबल सरफेस टेंपरेचर यानी वैश्विक सतह तापमान 1991 से 2000 के बीच के औसत तापमान से 0.21 से 0.28 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था. हर दस साल में यह तापमान 0.08 से 0.09 डिग्री सेल्सियस की दर से लगातार बढ़ रहा है.