Advertisement

आम इंसानों के दिमाग और एस्ट्रोनॉट्स के दिमाग में होता है ये अंतर, देखिए खास तस्वीर

अंतरिक्ष से लौटने के बाद Astronauts भले ही सामान्य जीवन जीते हों, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वैज्ञानिकों ने उनका MRI स्कैन किया जिससे चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं.

अंतरिक्ष यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों से जूझना पड़ता है (Photo: Pixabay) अंतरिक्ष यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों से जूझना पड़ता है (Photo: Pixabay)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 09 मई 2022,
  • अपडेटेड 9:12 PM IST
  • Micrograity का दिमाग पर असर पड़ता है
  • एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस से लौटने पर होती है परेशानी

अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts ) का काम भले ही चुनौतियों और रोमांच से भरा होता है, लेकिन उनका जीवन इतना भी आसान नहीं होता. अंतरिक्ष से लौटने के बाद भले ही वे सामान्य जीवन जीते हों, लेकिन उनके स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 

हमारे शरीर पर माइक्रोग्रैविटी (Micrograity) का क्या असर पड़ता है इसपर एक रिसर्च की गई, जसका फोकस रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) के आस-पास की खाली जगह पर है, जिसका जाल हमारे पूरे दिमाग में फैला हुआ है. इनसे ऐसे चिंताजनक बदलावों के बारे में पता चलता है जो अंतरिक्ष यात्रियों के साथ रह जाते हैं. 

Advertisement

अमेरिका के शोधकर्ताओं ने 6 महीने के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर जाने वाले 15 अंतरिक्ष यात्रियों के दिमाग का MRI स्कैन किया. एक MRI अंतरिक्ष में जाने से पहले किया गया और दूसरा उनके लौटने के बाद. इसके बाद दोनों की तुलना की गई. 

इस तस्वीर में अंतरिक्ष यात्रियों के दिमाग में पेरिवैस्कुलर स्पेस दिखाई दे रहा है  (Photo: Hupfield et al)

साइंटिफिक रिपोर्ट्स (Scientific Reports) में प्रकाशित हुए इस शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पेरिवैस्कुलर स्पेस (Perivascular Spaces) का आकलन किया. यह दिमाग की टिश्यू के बीच पाया जाने वाला स्पेस होता है. आकलन करने पर पाया गया कि अंतरिक्ष में बिताए गए वक्त में दिमाग की प्लंबिंग (Plumbing) पर गहरा प्रभाव पड़ा. यह असर पहली बार अंतरिक्ष जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स में ज़्यादा दिखाई दिया. अनुभवी अंतरिक्ष यात्रियों में, मिशन से पहले लिए गए दो स्कैन और बाद में लिए गए चार स्कैन में, पेरिवैस्कुलर स्पेस के आकार में बहुत कम अंतर दिखाई दिया.

Advertisement

ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (Oregon Health & Science University) के न्यूरोलॉजिस्ट जुआन पियानटिनो (Juan Piantino) का कहना है कि अनुभवी अंतरिक्ष यात्री किसी तरह के होमोस्टैसिस (homeostasis) तक पहुंच गए होंगे. (होमोस्टैसिस एक सेल्फ रैगुलेटिंग प्रोसेस है, जिससे बायोलौजिकल सिस्टम बाहरी परिस्थितियों के साथ एडजस्ट करते हुए स्थिरता बनाए रखता है)

 

नतीजे बहुत ज्यादा हैरान करने वाले नहीं थे, क्योंकि यह पहले से ही पता है कि जब ग्रैविटी खत्म हो जाती है तो दिमाग पर कैसा असर पड़ता है. ब्रेन टिश्यू और उनके द्रव की मात्रा (fluid volume) पर किए गए शोध में पाया गया कि उन्हें ठीक होने में समय लगता है, कुछ बदलाव साल भर या उससे भी ज़्यादा समय तक बने रहते हैं.

पियानटिनो का कहना है कि प्रकृति ने हमारे दिमाग को हमारे पैरों में नहीं रखा, इसे सबसे ऊपर रखा है. एक बार जब आप गुरुत्वाकर्षण (Gravity) से हट जाते हैं, तो यह मानव मनोविज्ञान पर असर डालता है. हालंकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि माइक्रोग्रैविटी का हमारे दिमाग के आसपास के सेरेब्रल स्पाइनल फ्लुइड (cerebral spinal fluid) के सर्कुलेशन पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं. 


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement