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फाइजर कोविड वैक्सीन जल्दबाजी में लॉन्च हुई, प्रजनन क्षमता पर पड़ा असर: डॉ. नाओमी वोल्फ

डॉ. वोल्फ , जिन्होंने खुद कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगवाई, ने दावा किया कि जन्म दर 13-20% तक गिर गई है और इसके लिए उन्होंने वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को जिम्मेदार ठहराया.

डॉ. नाओमी वोल्फ डॉ. नाओमी वोल्फ
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

अमेरिकी लेखिका और पत्रकार डॉ. नाओमी वोल्फ ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में अपनी किताब 'फाइजर पेपर्स' के निष्कर्ष पेश किए. इस किताब में mRNA कोविड-19 वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता पर गहन रिसर्च की गई है. डॉ. वोल्फ  ने वैक्सीन के प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रभाव और इसके तेजी से अप्रूवल को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की.  

महिलाओं के स्वास्थ्य पर लंबे समय से काम कर रहीं वोल्फ  ने बताया कि उन्होंने mRNA वैक्सीन लेने के बाद महिलाओं में पीरियड्स संबंधी दिक्कतों और अन्य प्रजनन समस्याओं की रिपोर्ट्स देखीं, जिसके बाद उन्होंने इस पर रिसर्च शुरू की.  हाल के वर्षों में कोविड-19 वैक्सीन और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लेकर उनके विचारों की वजह से वे विवादों में भी रही हैं.  

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डॉ. वोल्फ  ने बताया कि उन्होंने 3,250 डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर 109 रिपोर्ट्स तैयार की हैं, जिनमें वैक्सीन से जुड़े कई चिंताजनक आंकड़े सामने आए. उनके अनुसार, फाइजर वैक्सीन को अमेरिका में इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के तहत लॉन्च किया गया, जिससे 10-15 साल की सामान्य सुरक्षा जांच प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया.  

उन्होंने दावा किया कि फाइजर पेपर्स में वैक्सीन से होने वाले नुकसान और विशेष रूप से प्रजनन क्षमता पर असर के कई चौंकाने वाले डेटा सामने आए हैं.  डॉ. वोल्फ , जिन्होंने खुद कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगवाई, ने दावा किया कि दुनियाभर में जन्म दर 13% से 20% तक घट गई है और इसके लिए उन्होंने वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभावों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन कोविड-19 के ट्रांसमिशन को रोकने में भी प्रभावी साबित नहीं हुई, जबकि शुरुआत में इसके विपरीत दावे किए गए थे.  

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जब उनसे वैक्सीन के विकल्पों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मुद्दा पूरी तरह से वैक्सीन को खारिज करने का नहीं है, बल्कि कुछ वैक्सीन की खामियों को स्वीकार करने का है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वैक्सीन अलग तरह से काम कर सकती हैं और उनकी टीम इस पर रिसर्च करने के लिए तैयार है. उन्होंने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का भी जिक्र किया, जिसे बाद में बाजार से हटा लिया गया था, और जोर दिया कि किसी भी वैक्सीन के लिए कठोर सुरक्षा जांच जरूरी है.  

संक्रमण रोकने के तरीकों पर बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने 400 साल का अंग्रेजी साहित्य पढ़ा है और इतिहास बताता है कि मानवता ने टायफस, कॉलरा और निमोनिया जैसी बीमारियों का सामना किया है. हमें पता है कि संक्रामक रोग कैसे फैलते हैं. लोगों को छोटे घरों में बंद कर देना, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करना और साफ-सफाई पर ध्यान न देना- इससे बीमारियां और बढ़ती हैं.'  

डॉ. वोल्फ  ने अमेरिकी मीडिया और बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन पर भी निशाना साधते हुए कहा, 'बिल गेट्स mRNA वैक्सीन में बड़े निवेशक थे और उन्होंने वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट दूर करने के लिए न्यूज आउटलेट्स में करोड़ों डॉलर लगाए.' इसके अलावा, उन्होंने एकेडेमिया पर भी आरोप लगाया कि उसने वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल डेटा को गलत तरीके से पास कर दिया.

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