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DRDO ने बनाया ऐसा ब्लेड जो हेलिकॉप्टर को देगा असीम ताकत

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी विकसित की है. ये ब्लेड्स इंजन को ज्यादा गर्मी में भी सुरक्षित रखते हैं. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पांचवां देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के पास ही यह तकनीक थी. इन ब्लेड्स से छोटे और ज्यादा शक्तिशाली इंजनों का निर्माण किया जा सकेगा.

DRDO द्वारा बनाया गया सिंगल क्रिस्टल ब्लेड. फोटोः डीआरडीओ DRDO द्वारा बनाया गया सिंगल क्रिस्टल ब्लेड. फोटोः डीआरडीओ
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 11:56 PM IST
  • ऐसी तकनीक हासिल करने वाला दुनिया का पांचवां देश बना भारत
  • हेलिकॉप्टर इंजन विपरीत परिस्थितियों में भी करेगा बेहतरीन काम
  • 1500 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान बर्दाश्त कर सकते हैं ये ब्लेड्स

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी विकसित की है. ये ब्लेड्स इंजन को ज्यादा गर्मी में भी सुरक्षित रखते हैं. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पांचवां देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के पास ही यह तकनीक थी. इन ब्लेड्स से छोटे और ज्यादा शक्तिशाली इंजनों का निर्माण किया जा सकेगा. 

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DRDO ने इनमें से 60 ब्लेड की आपूर्ति हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को हेलिकॉप्टर इंजन एप्लीकेशन (Helicopter) के लिए दिया है. आपको बता दें कि HAL इस समय स्वदेशी हेलीकॉप्टर विकास कार्यक्रम के तहत हेलिकॉप्टर बना रहा है. जिसमें इस क्रिस्टल ब्लेड का उपयोग किया जाएगा. 

सिंगल क्रिस्टल ब्लेड (Single Crystal Blade) को डीआरडीओ की प्रीमियम प्रयोगशाला डिफेंस मेटालर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (DMRL) ने बनाया है. इसमें निकल-आधारित उत्कृष्ट मिश्रित धातु का उपयोग किया गया है. सिंगल क्रिस्टल उच्च दबाव वाले टरबाइन (HPT) ब्लेड के पांच सेट (300) में विकसित किए जा रहे हैं. पहला सेट HAL को मिल गया है. DMRL शेष चार सेटों की आपूर्ति उचित समय पर पूरी करेगा. 

रणनीतिक व रक्षा एप्लीकेशन्स में इस्तेमाल किए जाने वाले हेलिकाप्टरों को चरम स्थितियों में अपने विश्वसनीय संचालन के लिए कॉम्पैक्ट तथा शक्तिशाली एयरो-इंजन की आवश्यकता होती है. इसके लिए जटिल आकार वाले अत्याधुनिक सिंगल क्रिस्टल ब्लेड काम आते हैं. ये मिशन के दौरान उच्च तापमान सहन करने में सक्षम है. दुनिया के बहुत ही कम देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ही ऐसे सिंगल क्रिस्टल (SX) पुर्जों को डिजाइन एवं निर्माण करने की क्षमता रखते हैं.

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ये ब्लेड्स कास्टिंग ऑपरेशन के दौरान 1500 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक तापमान पर तरल सीएमएसएक्स-4 मिश्र धातु के दबाव का सामना कर सकता है. आवश्यक तापमान के उतार-चढ़ाव को बनाए रखने की चुनौती भी कास्टिंग मापदंडों को अनुकूलित करके दूर की गई है. जरूरी माइक्रोस्ट्रक्चर और यांत्रिक गुणों को प्राप्त करने के लिए जटिल सीएमएसएक्स-4 उत्कृष्ट मिश्रित धातु के लिए एक बहु-चरणीय वैक्यूम शेड्यूल भी स्थापित किया गया है.

इसके अलावा, ब्लेड के लिए एक कठोर गैर-विनाशकारी मूल्यांकन (एनडीई) पद्धति के साथ-साथ इनके क्रिस्टलोग्राफिक झुकाव का निर्धारण करने की तकनीक विकसित की गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, एचएएल और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के विकास में शामिल उद्योग को बधाई दी है. रक्षा विभाग में अनुसंधान एवं विकास सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने भी इस उपलब्धि पर बधाई दी.

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