
अगर आपने अपनी कार को खुले में लगातार 12 दिन के लिए छोड़ दिया. उसके ऊपर कोई छत नहीं हुई. वो ढंकी हुई नहीं है. तो आपके शरीर में कैंसर के कण छोड़ सकता है. यह स्टडी की है अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने मिलकर. वैज्ञानिकों के अनुसार डिसइन्फेंक्टेंट, कीटाणुनाशकों और गैस स्टोव में पाई जाने वाली फॉर्मलडिहाइड (Formaldehyde) कार में भी पाई जाती है.
चीन में कार के अंदर फॉर्मलडिहाइड की मात्रा राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों से 35 फीसदी ज्यादा पाई गई है. एसिटलडिहाइड (Acetaldehyde) की मात्रा 61 फीसदी ज्यादा पाई गई है. एसिटलडिहाइड क्लास-2 स्तर का कैंसर कारी तत्व है. पेंट, पेट्रोल और सिगरेट्स में बेंजीन पाई जाती है. जो ड्राइवरों के फेफड़ों में जाकर नुकसान पहुंचाती है. अगर लंबे समय तक आप कार चला रहे हैं तो बेंजीन हानिकारक है. लेकिन पीछे बैठे पैंसेजर्स को उतना नुकसान नहीं करती.
हर नई कार में कई तरह के जैविक पदार्थों से होने वाले इंक्रीमेंटल लाइफटाइम कैंसर रिस्क (ILCR) का खतरा बढ़ जाता है. अगर ILCR का स्तर 10-6 है, तो ठीक है. लेकिन अगर यह स्तर 10-6 से 10-4 के बीच है, तो इससे कैंसर का खतरा है. अगर 10-4 के ऊपर है तो ज्यादा खतरा है. वैज्ञानिकों कड़ी धूप से लेकर बारिश तक के सीजन में बंद नई कार के अंदर इन पदार्थों की स्टडी की.
11 घंटे ड्राइविंग या डेढ़ घंटे की सवारी नुकसानदेह
स्टडी में पता चला कि अगर कोई टैक्सी ड्राइवर 11 घंटे और कोई पैसेंजर 1.5 घंटे कार में हर दिन बिताता है, तो हवा में तैरते खतरनाक पदार्थ त्वचा के जरिए या फिर मुंह के जरिए शरीर में पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं. ज्यादातर सांस लेने की वजह से. एक मिड-साइज एसयूवी में प्लास्टिक, इमिटेशन लेदर, बुने हुए कपड़े जैसी चीजें लगी होती हैं. जब ये कार कंपनी से नई-नई निकलती है, तब इसमें हवा में तैरते हानिकारक पदार्थों की मात्रा ज्यादा होती है.
अलग-अलग तापमान में अलग-अलग तरह का खतरा
ये नई कार से बाहर निकलते रहते हैं, जिसे ऑफ-गैसिंग कहते हैं. वैज्ञानिकों ने कार के अंदर की हवा का सैंपल लिया. इसके बाद उसमें 20 अलग-अलग रसायनों का मिश्रण देखा. वह भी अलग-अलग तापमान में. जब कार धूप में गर्म हो जाती है, तब उसके अंदर का तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से 63 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. तब हानिकारक तत्व कार के अंदर तेजी से घूमते रहते हैं. ऐसा कार के अंदर मौजूद अलग-अलग वस्तुओं की सतह के तापमान की वजह से होता है. यहां पर कार के अंदर मौजूद हवा का तापमान नहीं लिया जा रहा है.
इससे बचने का तरीका भी है बेहद आसान
इससे पहले कैलिफोर्निया में एक स्टडी हुई थी. जिसमें बताया गया था कि नई कार को 20 मिनट ड्राइव करने पर ही काफी ज्यादा मात्रा में बेंजीन और फॉर्मलडिहाइड का एक्सपोजर होता है. जो लगातार नई कार लंबी दूरी तक चलाते हैं, उन्हें इसके एक्सपोजर का खतरा और ज्यादा रहता है.
वैज्ञानिकों ने इसे ठीक करने का तरीका भी बताया है कि कैसे आप नई कार के हानिकारक रसायनों से खुद को बचा सकते हैं. आप नई कार को अल्टरनेट दिनों में इस्तेमाल कर सकते हैं. सेकेंड हैंड कार ले सकते हैं. या किसी सार्वजनिक वाहन का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह स्टडी हाल ही में सेल रिपोर्टर फिजिकल साइंस में छपी है.