
कई साल तक युद्ध झेल चुके लीबिया के समंदर अब नई जंग का सामना कर रहे हैं. ये जंग मछुआरे लड़ रहे हैं. वो भी अवैध विस्फोटकों की मदद से. अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए ये समंदर में डायनामाइट, RDX या टीएनटी जैसे विस्फोटकों की मदद ले रहे हैं. समंदर में इन्हें फोड़कर मछलियां मारते हैं. फिर उन्हें जमाकर बेचते हैं.
इस तरह के विस्फोट से मछुआरों को मछलियां तो मिल जा रही हैं लेकिन समंदर के किनारों पर बचे हुए विस्फोटकों का गंदगी जमा हो रही है. इनसे निकलने वाले रसायनों से समंदर का पर्यावरण खराब हो रहा है. तटों पर प्रदूषण बढ़ रहा है. आमतौर पर गैलाटिना (Galatina) विस्फोट का इस्तेमाल होता है. इसे TNT भी कहते हैं. यह मिलिट्री ग्रेड का विस्फोटक है.
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लीबिया के तटीय शहर अल-खोम्स के 50 वर्षीय मछुआरे सलेम हैदर कहते हैं वो किनारे पर बैठकर अन्य मछुआरों को विस्फोटकों का इस्तेमाल करते हुए देखते हैं. बरसों से जाल का इस्तेमाल होता आया है. अब ये विस्फोटक का इस्तेमाल सही नहीं है. इससे अन्य मछुआरों के जाल भी फट जाते हैं. उनकी पकड़ी हुई मछलियां उसमें से निकल जाती हैं.
भूमध्यसागर के पास 1770 km के तट पर बड़ी मुसीबत
लीबिया के किनारे भूमध्यसागर है. जिसकी तटीय सीमा 1770 किलोमीटर है. लीबिया में कई तटीय शहर हैं. जैसे- अल-खोम्स, मिसराता, सिर्ते और बेनगाजी. इस समय लीबिया के तटीय इलाके कई तरह के खतरों से जूझ रहे हैं. पहले जहां बहुत सारी मछलियां होती थीं. अब वहां मछलियां नहीं हैं. क्योंकि मछलियों का अवैध बाजार बढ़ गया है.
पहले साफ-सुथरा होता था लीबिया का पूरा तट
सलेम कहते हैं कि मैंने मछली पकड़ना अपने बाप-दादाओं से सीखा. हम जाल बिछाकर मछलियां पकड़ते थे. करीब दस साल पहले तक यहां का समंदर बेहद साफ-सुथरा था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. मछली पकड़ने का अवैध बाजार इतना ज्यादा फैल गया है कि समंदर मछलियों से खाली होता जा रहा है. अब आए दिन हजारों-लाखों मछलियां मरी हुई ऊपर तैरती दिख जाती हैं.
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मछली पकड़ने को लेकर कोई नियम-कायदा नहीं
मछुआरों और मछली पकड़ने को लेकर लीबिया में नियमों की कमी है. कोई देखने वाला है नहीं. इसलिए यहां पर मछली पकड़ने का अवैध बाजार तेजी से फैल रहा है. सलेम कहते हैं कि विस्फोटकों का इस्तेमाल करके मछली पकड़ना एक कमजोर मानसिकता की निशानी है. पहले यहां सख्त कायदे-कानून थे. लेकिन अब कुछ नहीं है. कुछ भी हो रहा है.
डायनामाइट विस्फोट हर तरह की मछली मरती है
मछुआरों के यूनियन के सदस्य खलील अल्शेबल कहते हैं कि विस्फोटकों का इस्तेमाल करना खतरनाक है. कई बार समझाने के बाद भी मछुआरे सुनने को तैयार नहीं हैं. डायनामाइट से मछली पकड़ना समंदर की तलहटी को नुकसान पहुंचा रहा है. मछलियां दूर समंदर में जा रही हैं. डायनामाइट छोटी-बड़ी हर तरह की मछली को मार देता है.
विस्फोटकों का असर समंदर की तलहटी तक
एक विस्फोट से करीब 100 से 150 मीटर तक मछलियां मारी जाती हैं. साथ ही मछलियों के अंडे भी खत्म हो जाते हैं. इससे मछलियों की तादात में कमी आती है. दुख की बात ये है कि विस्फोट से मारे जाने वाली मछलियों में से सिर्फ 10 फीसदी ही मछुआरों के काम आती हैं. बाकी वहीं समंदर में सड़ती रहती हैं. सड़कर तलहटी में जमा होती हैं. इससे समंदर का अंदरूनी पर्यावरण खराब होता है. सही मछलियां इस इलाके में फिर आती नहीं हैं.