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वैज्ञानिकों ने पता लगाया धरती से सबसे पहले कौन से जीवों का खात्मा हुआ था और अब क्या होगा?

धरती से सिर्फ डायनासोरों का ही सामूहिक विनाश नहीं हुआ था. वैज्ञानिकों ने यह पता कर लिया है कि हमारी पृथ्वी से सबसे पहले किन जीवों का सामूहिक विनाश हुआ था. भविष्य में किसका खात्मा होगा. पृथ्वी ने अब तक पांच बड़े सामूहिक विनाश देखें हैं. छठां विनाश शुरू हो चुका है. जानिए पहले और आखिरी विनाश के बारे में...

53 करोड़ साल पहले नरम शरीर वाले जीवों का सबसे पहला सामूहिक विनाश हुआ था. (फोटोः गेटी) 53 करोड़ साल पहले नरम शरीर वाले जीवों का सबसे पहला सामूहिक विनाश हुआ था. (फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • न्यूयॉर्क,
  • 11 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:54 PM IST

ये बात है कोई 53.8 करोड़ साल पहले की जब पृथ्वी पर वो जीव आए, जिन्हें हम आज किसी न किसी रूप में देख रहे हैं. यानी जीवों की अलग-अलग प्रजातियां उसी दौर में बननी शुरू हुई थीं. इस समय को कैंब्रियन विस्फोट (Cambrian Explosion) कहते हैं. तब लेकर अब तक पृथ्वी पर पांच सामूहिक विनाश हो चुके हैं. जिसमें कई तरह के जीव-जंतु मारे गए. पूरी की पूरी प्रजाति खत्म हो गई. चाहे वह बड़े रहे हों या फिर छोटे. बचा कोई नहीं. 

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इस समय छठां सामूहिक विनाश (Sixth Mass Extinction) का दौर चल रहा है. खैर बात करते हैं पहले सामूहिक विनाश की और उन जीवों की जो इसमें खत्म हो गए. अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे सबूत खोजे हैं, जो ये बताते हैं कि करीब 55 करोड़ साल पहले धरती पर जीवन की छोटे रूप में शुरुआत हो गई थी. इस दौर को एडियाकारन (Ediacaran) कहते थे. 

समुद्र से शुरू हुआ था जीवन, अब सबसे ज्यादा नुकसान भी समुद्र को ही बर्दाश्त करना पड़ रहा है. (फोटोः गेटी)

इस समय समुद्र में स्पॉन्ज (Sponge) और जेलीफिश (Jellyfish) पैदा हो रहे थे. बायोलोजी के इतिहास की शुरुआत थी ये. उस समय समुद्र के ज्यादातर जीव नरम शरीर वाले थे. कुछ तो पौधों की तरह दिखते थे. धीरे-धीरे कुछ ने अपने शरीर के चारों तरफ खोल (Shell) बनाने शुरू कर दिए थे. 

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नरम शरीर वाले जीवों का खात्मा सबसे पहले हुआ

वर्जिनिया टेक यूनिवर्सिटी के पैलियोबायोलॉजिस्ट स्कॉट इवांस और उनकी टीम ने प्राचीन जीवाश्मों का अध्ययन करके यह पता किया है कि सबसे पहले किन जीवों का सामूहिक विनाश हुआ था. क्योंकि जिन जीवों का शरीर नरम था, उनका जीवाश्म नहीं बना. जबकि हड्डियों वाले जीवों के जीवाश्म आज भी मिल जाते हैं. इसलिए एडियाकारन दौर के जीवों के जीवाश्म नहीं मिलते. वो प्राकृतिक तौर पर संरक्षित नहीं हैं. पूरी दुनिया में मिले जीवाश्मों की स्टडी करने के बाद स्कॉट ने पता लगाया कि 57.5 से 56 करोड़ साल के बीच जैव विविधता में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी. इसे एवलॉन कहते हैं. ऐसी ही स्थिति 56 से 55 करोड़ साल के बीच भी देखने को मिली. इसे व्हाइट सी स्टेजेस कहते हैं. 

करोड़ों साल पहले ऐसे जीव पैदा हुए थे जो पौधों की तरह दिखते थे, अब ये नहीं मिलते. (फोटोः विकिपीडिया)

80% समुद्री जीव-जंतु 53 करोड़ साल पहले खत्म

इन दोनों ही समय में ऐसे चलने-फिरने वाले जीव पैदा हुए जो सूक्ष्मजीवों को खाकर जीवित रहते थे. ये समुद्री की तलहटी में फैलते चले गए. लेकिन 55 से 53.9 करोड़ साल के बीच ये तेजी से खत्म होने लगे. 80 फीसदी समुद्री जीव-जंतु खत्म हो गए. खत्म होने की वजह नए जीवों का पनपना था. नए जीव बढ़ते गए और पुराने खत्म होते गए. यही पहला सामूहिक विनाश था. यह स्टडी हाल ही में PNAS में प्रकाशित हुई है. 

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पृथ्वी पर शुरू हो चुका है छठा सामूहिक विनाश

इस समय धरती पर छठा सामूहिक विनाश शुरु हो चुका है. इससे पहले हुए पांच सामूहिक विनाश प्राकृतिक थे, लेकिन छठी इंसानी गतिविधियों से हो रही है. करोड़ों की संख्या में अलग-अलग प्रजातियों के जीवों की मौत हो रही है. धरती से करीब 13% अकशेरुकीय प्रजातियों के जीव 500 सालों में खत्म हो चुके हैं. इन जीवों का जिक्र इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीसीज (Red List of Threatened Species) में भी है. हालांकि इस लिस्ट में ज्यादातर स्तनधारी और पक्षी शामिल हैं. 

बिना हड्डी वाले जीव पहले भी खत्म हुए थे, अब भी उन्हीं जीवों पर आई हुई है आफत. (फोटोः गेटी)

घोंघे की 13 फीसदी प्रजातियां धरती से गायब हो गईं

शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर हम अकशेरुकीय जीवों की सूची देखेंगे तो पता चलेगा कि हम बड़े पैमाने पर धरती से बहुत ज्यादा संख्या में जीवों को खो रहे हैं. इनकी प्रजातियां तेजी से खत्म हो रही हैं. धरती से मोलस्क (Molluscs) तेजी से खत्म हो रहे हैं.  पृथ्वी पर पाए जाने वाले घोंघे (Snails) की 7 फीसदी आबादी तो साल 1500 से अब तक खत्म हो चुकी है. समुद्र में यह दर बहुत ज्यादा है. जमीन और समुद्र मिलाकर देखा जाए तो इस प्रजाति के 7.5 से 13 फीसदी जीव खत्म हो चुके हैं. 

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882 प्रजातियों के मोलस्क पृथ्वी से नष्ट हो चुके हैं

रेड लिस्ट को देखें तो 882 प्रजातियों के 1.50 लाख से लेकर 2.60 लाख मोलस्क धरती से खत्म हो चुके हैं. यह संख्या कम हुई है इंसानी गतिविधियों की वजह से, यह बात तो पुख्ता तौर पर प्रमाणित हो चुकी है. जमीन पर इंसानी गतिविधियां ज्यादा हैं, इसलिए यहां नुकसान ज्यादा हो रहा है. लेकिन समुद्र में ऐसा क्यों हो रहा है, इसकी स्टडी करनी होगी. इंसान इकलौती ऐसी प्रजाति है जो जैविक प्रक्रियाओं को बाधित कर सकती है या बदल सकती है. वह भी बड़े पैमाने पर. हम इंसान ही एक ऐसी प्रजाति हैं जो भविष्य के हिसाब से चीजों को बदलने की क्षमता रखते हैं. 

अगला सामूहिक विनाश शुरू हो चुका है. इससे पहले पांच बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. (फोटोः गेटी)

इंसान बदल रहा है धरती के पूरे प्राकृतिक विकास को

धरती पर हो रहे सतत प्राकृतिक विकास को रोकने या उसे बढ़ाने में इंसान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये बात स्पष्ट हो चुकी है कि हम विनाश की ओर अगर जा रहे हैं तो इसमें इंसानों की प्रजाति सबसे बड़ी भूमिका निभा रही है. जिस हिसाब से धरती से जीव खत्म हो रहे हैं, उससे स्पष्ट होता है कि धरती पर छठा सामूहिक विनाश शुरु हो चुका है. 

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