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पूरा लोहे से बना ग्रह मिला, आकार पृथ्वी से थोड़ा छोटा... धरती से कई गुना ज्यादा आयरन इस पर

पृथ्वी के आकार का ऐसा ग्रह मिला है, जो पूरी तरह लोहे से बना है. सोचिए की धरती के बराबर का ग्रह जिस पर सिर्फ लोहा ही लोहा हो. इसका नाम है ग्लीज 367बी (Gliese 367b). यह अपने तारे यानी सूरज के चारों तरफ का एक चक्कर सिर्फ 7.7 घंटे में पूरा कर लेता है. आइए जानते हैं इसकी खास बातें...

ये है ग्लीज 367 बी ग्रह, जो पूरी तरह लोहे से बना है. (सभी फोटोः NASA) ये है ग्लीज 367 बी ग्रह, जो पूरी तरह लोहे से बना है. (सभी फोटोः NASA)
आजतक साइंस डेस्क
  • वॉशिंगटन,
  • 24 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:51 AM IST

प्रकृति की विभिन्नता और ब्रह्मांड की गहराई को समझना आसान नहीं है. वैज्ञानिक लगातार खोजते रहते हैं. हाल ही में एक ऐसे ग्रह का पता चला है, जो पूरा सॉलिड लोहे का बना है. इस ग्रह का आकार पृथ्वी के लगभग बराबर है. इसका नाम है ग्लीज 367बी (Gliese 367b). यह एक अल्ट्राशॉर्ट पीरियड (USP) ग्रह है. 

अल्ट्राशॉर्ट पीरियड ग्रह का मतलब यह अपने सूरज यानी तारे के चारों तरफ सिर्फ 7.7 घंटे में एक चक्कर लगाता है. वैज्ञानिकों ने अभी तक 5 हजार से ज्यादा एक्सोप्लैनेट खोजे हैं. जिनमें से 200 अल्ट्राशॉर्ट पीरियड ग्रह हैं. ग्लीज 367बी सिर्फ इसीलिए अनोखा नहीं है. बल्कि यह धरती से दोगुना ज्यादा घनत्व वाला ग्रह है. 

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इस ग्रह के अंदर सिर्फ लोहा ही लोहा भरा है. माना जाता है कि इसके अंदर शुद्धत्तम लोहा भरा है. इसे तहाय (Tahay) के नाम से भी बुलाया जा रहा है. इसे खोजने के लिए TESS यानी ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) की मदद ली गई थी. तब से इसकी स्टडी चल रही थी. नई स्टडी द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुई है. 

दो साल पहले खोज, तब से चल रही थी रिसर्च

यूनिवर्सिटी तूरीन की पीएचडी स्टूडेंट और इस पर स्टडी करने वाली साइंटिस्ट एलिजा गोफो ने बताया कि ग्लीज 367बी के दो भाई ग्रह भी हैं. ये दोनों भी USP ग्रह हैं. ये उसी तारे का चक्कर 11.4 और 34 दिन में लगाते हैं. TESS ने इस ग्रह की खोज दो साल पहले की थी. इसके तारे का नाम ग्लीज 367 है. यह एक रेड ड्वार्फ है. जैसे हमारा सूरज.

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वैज्ञानिकों ने इस ग्रह का वजन और रेडियस नापने के लिए हाई-एक्यूरेसी रेडियल वेलोसिटी प्लैनेट सर्चर (HARPS) स्पेक्ट्रोग्राफ की मदद ली. तब पता चला कि ग्लीज धरती के आकार का 72 फीसदी है. यानी थोड़ी ही छोटा है. वजन धरती के वजन से 55 फीसदी है. लेकिन घनत्व दोगुना ज्यादा है. यानी इसकी सतह के नीचे लेयर्स कम हैं.

इस ग्रह की कोई बाहरी परत है ही नहीं

इस ग्रह का कोर बेहद घना है. पूरी तरह से लोहे का बना है. जिसके चारों तरफ सिलिकेट से भरा हुआ मैंटल है. लेकिन इसका कोई क्रस्ट नहीं है. यह एक तरह का प्रोटोप्लैनेट है. जिसकी बाहरी परत खत्म हो चुकी है. यानी मैंटल ही ऊपर तक है. बस वो सख्त हो चुकी है. ग्लीज 367बी सुपर मर्क्यूरीस ग्रहों की कैटेगरी में भी आता है. यानी छोटे एक्सोप्लैनेट्स. 

ग्लीज 367 बी अब तक मिले सभी सुपर-मर्क्यूरीस ग्रहों में सबसे ज्यादा घनत्व वाला ग्रह है. इसके अलावा इसके तारे के चारों तरफ दो और ग्रह चक्कर लगाते हैं. जिनका नाम है ग्लीज 367 सी और डी. ये उसी तारे का चक्कर 11.4 और 34 दिन में लगाते हैं. इनका वजन ग्लीज 367 बी से कम है. 

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