
साल 2023 में भारत की धरती दोगुना ज्यादा कांपी है. इसकी मुख्य वजह पश्चिम नेपाल में अल्मोड़ा फॉल्ट (Almora Fault) का एक्टिव होना बताया जा रहा है. इस फॉल्ट में सबसे तेज तीन बड़े झटके आए. पहला 5.8 तीव्रता का भूकंप 24 जनवरी 2023 को, दूसरा 6.2 तीव्रता का भूकंप 3 अक्टूबर 2023 को और तीसरा 6.4 तीव्रता का भूकंप 3 नवंबर 2023 को.
इन प्रमुख भूकंपों के बाद आए कई छोटे झटकों की वजह से भारत, पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्तान की धरती कांपती रही हैं. इन्हीं तीन मुख्य भूकंपों की वजह से पूरे साल भारत समेत आसपास के पड़ोसी देशों में कंपकंपी महसूस होती रही. उत्तरी भारत और नेपाल में भूकंपों का आना सामान्य घटना है. क्योंकि यह पूरा इलाका हिमालय के नजदीक है.
हिमालय के आसपास कई सक्रिय फॉल्ट्स (Active Faults) हैं. इनके नीचे की टेक्टोनिक प्लेटों की आपसी टक्कर की वजह से भूकंप आते रहते हैं. भारतीय टेक्टोनिक प्लेट (Indian Tectonic Plate) लगातार यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate) को नीचे की तरफ से धक्का दे रही है.
किस साल आए कितने भूकंप
2023 में 124 भूकंप
2022 में 65 भूकंप
2021 में 60 भूकंप
2020 में 61 भूकंप
कितनी तीव्रता के भूकंप कब-कब आए
साल 2023... 3.0 से 3.9 तीव्रता के 97 भूकंप आए. 4.0 से 4.9 तीव्रता के 21 भूकंप. 5.0 से 5.9 तीव्रता के 4 भूकंप और 6.0 से 6.9 तीव्रता के दो भूकंप आए.
साल 2022... 3.0 से 3.9 तीव्रता के 41 भूकंप आए. 4.0 से 4.9 तीव्रता के 20 भूकंप. 5.0 से 5.9 तीव्रता के 3 भूकंप और 6.0 से 6.9 तीव्रता का एक भूकंप आया.
साल 2021... 3.0 से 3.9 तीव्रता के 41 भूकंप आए. 4.0 से 4.9 तीव्रता के 18 भूकंप. 5.0 से 5.9 तीव्रता का एक भूकंप.
साल 2020... 3.0 से 3.9 तीव्रता के 42 भूकंप आए. 4.0 से 4.9 तीव्रता के 18 भूकंप. 5.0 से 5.9 तीव्रता का एक भूकंप.
देहरादून से नेपाल तक जमीन में Energy Store
कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक. हिमालय का 2500 km से लंबा इलाका. चौड़ाई 150 से 350 km तक. सिंधु घाटी के नंगा पर्वत (Nanga Parvat) से उत्तर-पूरिव के नामचा बरवा (Namcha Barwa) तक. अगर आप हिमालय को ऊपर से देखें तो आपको दिखेगा कि यह पूरी बेल्ट भारत की तरफ लटकी हुई है. यानी कटोरे जैसा फॉर्मेशन.
ये वही हिमालय है जहां पर 8 किलोमीटर से ऊंची दुनिया की 14 चोटियों में से 10 हैं. साथ ही दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों वाला हिमालय तब बना था, जब भारतीय प्लेट की टक्कर यूरेशियन प्लेट से हुई. पृथ्वी के सबसे ऊपरी परत यानी क्रस्ट (Crust) के सिकुड़ने की वजह से हिमालय के पहाड़ बने. विभिन्न स्थानों पर इनकी मोटाई अलग-अलग है.
अगर हिमालय के उत्तर-पश्चिम की तरफ देखें तो हिंदूकुश, पामीर और नंगा पर्वत इलाके में क्रस्ट की मोटाई 75 km है. जबकि जम्मू और कश्मीर में 60 किलोमीटर है. हिमाचल प्रदेश में मात्र 51 किलोमीटर है. यानी इस इलाके में आते-आते गहराई कम होती जा रही है. जबकि ऊंचे हिमालय और तिब्बत की तरफ क्रस्ट वापस 75 किलोमीटर गहरा है. यानी हिमाचल के बाद से नेपाल तक क्रस्ट के अंदर एक कटोरे जैसी आकृति बनी है, जहां ऊर्जा स्टोर हो रही है.
हिमालय दुनिया का युवा पहाड़ी इलाका
हिमालय दुनिया का सबसे युवा पहाड़ी इलाका है. इसका पूरा इलाका एक अर्धचंद्राकार आकृति में दिखता है. नंगा पर्वत के पास ऊंचाई 8114 मीटर है. जबकि नामचा बरवा के पास 7755 मीटर है. ऊपर चीन, तिब्बत है. नीचे गंगा के मैदानी इलाके हैं. असल में इंडियन टेक्टोनिक प्लेट (Indian Tectonic Plate) हर साल 15 से 20 mm की गति से तिब्बतन प्लेट (Tibetan Tectonic Plate) की तरफ बढ़ रहा है.
जब जमीन का इतना बड़ा टुकड़ा किसी अपने से बड़े टुकड़े को धकेलेगा, तो कहीं न कहीं तो ऊर्जा स्टोर होगी. तिब्बत की प्लेट खिसक नहीं पा रही हैं. इसलिए दोनों प्लेटों के नीचे मौजूद ऊर्जा निकलती है. ये ऊर्जा छोटे-छोटे भूकंपों के रूप में निकलती है, तो उससे घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन यही ऊर्जा तेजी से निकलती है, तो आधे भारत, पूरे नेपाल, पाकिस्तान, चीन, म्यांमार तक असर देखने को मिल सकता है.
देश में भूकंप के 5 जोन, इस हिस्से में ज्यादा खतरा
पांचवें जोन में देश के कुल भूखंड का 11% हिस्सा आता है. चौथे जोन में 18% और तीसरे और दूसरे जोन में 30%. सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और 5 वाले इलाकों को है. एक ही राज्य के अलग-अलग इलाके कई जोन में आ सकते हैं. सबसे खतरनाक जोन है पांचवां.
पांचवें जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं.
चौथे जोन में जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता है.
तीसरे जोन में आता है केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के बचे हुए हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़. महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का कुछ इलाका.
जोन-2 में आते है राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा. पहले जोन में कोई खतरा नहीं होता. इसलिए हम उसका जिक्र नहीं कर रहे हैं.