
पूरी दुनिया में 5G इंटरनेट सर्विस प्रदान करने के लिए अब अंतरिक्ष में 250 सैटेलाइट्स का जाल बिछा दिया गया है. यह जाल बिछाया है एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने. पहली बार धरती की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit) में 5जी इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाले उपग्रहों को छोड़ा गया है.
इन उपग्रहों को बनाया है सैटेलियोट (Sateliot) कंपनी ने. इसे नाम दिया गया है द ग्राउंडब्रेकर (The GroundBreaker). इन सैटेलाइट्स का वजन 10 किलोग्राम है. वैसे इनका आधिकारिक नाम सैटेलियोट_0 है. ऐसे 250 स्पेसक्राफ्ट को धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया गया है ताकि जमीन पर मौजूद टावर से सीधे कनेक्ट कर सकें. और दुनिया को बेहतर 5जी इंटरनेट सर्विस प्रदान कर सकें.
इन सैटेलाइट्स को 15 अप्रैल 2023 को फॉल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया गया था. लॉन्चिंग कैलिफोर्निया स्थित वांडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से हुई थी. इन छोटे सैटेलाइट्स को बनाने वाली कंपनी सैटेलियोट बार्सिलोना में स्थित है. कंपनी का कहना है कि वह इन सैटेलाइट्स के जरिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) को मजबूती प्रदान करना चाहती है.
सैटेलियोट ने अपने बयान में कहा है कि इतिहास में पहली बार सेलुलर टेरेस्ट्रियल टेलिकॉम को हम सैटेलाइट कनेक्टिविटी से जोड़ रहे हैं. सैटेलियोट एक नया आंदोलन खड़ा कर देंगे. इनकी बदौलत हम 5जी नेटवर्क में आ रहे 85 फीसदी गैप को भर सकेंगे. साथ ही इंटरनेट की बदौलत चलने वाली सुविधाओं का बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगे.
इन सैटेलाइट्स के जरिए यातायात को बहुत मदद मिलेगी. खासतौर से जियो-लोकेशन बेस्ड सर्विसेस को. इससे कई तरह के उद्योगों को फायदा होगा. अब आप IoT को जमीन और सैटेलाइट सेलुलर सर्विस से जोड़ सकते हैं. यूजर जमीनी नेटवर्क या फिर सैटेलाइट नेटवर्क में स्विच कर सकते हैं.
सैटेलियोट की सर्विस लेने के लिए आपको सिम कार्ड और मोबाइल ऑपरेटर बदलने की जरुरत नहीं पड़ेगी. हर एक सैटेलियोट सैटेलाइट्स धरती का एक चक्कर 90 मिनट में पूरा करता है. यानी कवरेज एरिया में तीन गुना का इजाफा होता है.
पूरी दुनिया में कई तरह के इंटरनेट सैटेलाइट्स हैं. जैसे स्पेसएक्स का स्टारलिंक है. यूरोपीय संघ का अपना अलग है. जबकि चीन का अपना जाल बिछा हुआ है. इसके अलावा अमेजन अगले साल प्रोजेक्ट कुइपर नाम से अपना सैटेलाइट जाल बिछाने जा रहा है.