
नॉर्वे (Norway) में वाइकिंग युग (The Viking Age) का बरियल माउंड (Burial mound) था. यह टीला काफी लंबे समय से खाली पड़ा था, लेकिन एक ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार एनलिसिस से पता लगा है कि इस टीले के नीचे एक जहाज दफन है.
जहाजों के अवशेष अभी भी ज़मीन के अंदर ही हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस जहाज़ को आठवीं शताब्दी ईस्वी के अंत में, वाइकिंग युग (एडी 793 से 1066) की शुरुआत के दौरान दफनाया गया था. अगर इसकी पुष्टि हो जाती है, तो यह दक्षिण-पश्चिमी नॉर्वे में कर्मोई आइलैंड के तट के पास पाया जाने वाला तीसरा दफनाया हुआ जहाज होगा.
नॉर्वे में स्टवान्गर यूनिवर्सिटी के एक पुरातत्वविद् हाकोन रीयर्सन (Hakon Reiersen) और उनकी टीम ने पिछले साल अवाल्डनेस (Avaldsnes) गांव के पास इसकी खोज की थी. रीयर्सन का कहना है कि नॉर्वे के सबसे पहले राजा हेराल्ड फेयरहेयर वहां एक शाही मैनर में रहते थे. उससे पहले, यह इलाका कांस्य युग (Bronze Age) (करीब 1700 ईसा पूर्व) से मध्ययुगीन काल (Medieval period) तक राजनीतिक शक्ति का केंद्र था. 3,000 सालों तक यह बेहद अहम जगह थी.
सल्हुशौगेन टीला (The Salhushaugen mound) जहां जहाज होने के संकेत मिले हैं, यहां पहली बार 1906 में नॉर्वे के पुरातत्वविद् हाकोन शेटेलिग ने खुदाई की थी. शेटेलिग ने इससे पहले 795 ईस्वी में दफनाए गए ग्रोनहॉग जहाज की खोज की थी और नॉर्वे के दक्षिणपूर्वी हिस्से में 834 ईस्वी में दफनाए गए प्रसिद्ध ओसेबर्ग जहाज की खुदाई को भी को-डायरेक्ट किया था.
लेकिन उन्हें तब इस टीले में केवल तीर के सिरे और लकड़ी के फावड़े ही मिले, जिन्हें देखकर वे निराशा हो गए थे. रीयरसन का मानना है कि शेटेलिग की टीम ने तब खुदाई रोक दी थी, जब टीले के नीचे उनका सामना एक चट्टान से हुआ. अगर उन्होंने गहराई से खोदा होता, तो उन्हें सालहुशगेन जहाज मिल सकता था, जो चट्टान की परत के अंदर दबा हुआ लगता है. ऐसा ही कुछ दूसरी साइटों पर भी देखने को मिला था.
ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार से सिग्नल मिलते हैं. यह सतह के नीचे 100 फीट तक दबी हुई चीज़ों का पता लगाने के लिए रेडियो वेव्स का इस्तेमाल करता है. इस उपकरण से उन्हें करीब 65 फीट लंबे जहाज की झलक दिखाई दी है. यह पास के ग्रोनहॉग टीले के नीचे 50 फुट लंबे (15 मीटर) लकड़ी के जहाज से बड़ा है, लेकिन पास ही के स्टोरहॉग टीले के नीचे 65 फुट लंबे लकड़ी के जहाज से थोड़ा सा छोटा है.
स्टवान्गर यूनिवर्सिटी की टीम को उम्मीद है कि इस साल के अंत तक सल्हुशौगेन टीले की और खुदाई की जाएगी और उनके नतीजों से पता चलेगा कि उन्हें जहाज तक और खुदाई करनी चाहिए या नहीं.
रीयरसन का कहना है कि हमें यकीन है कि लेंस के आकार का संकेत असल में किसी जहाज से ही आता है. इस जहाज़ के आयाम और आकार पिछले जहाजों जैसे ही हैं. और यह टीले के बीचों-बीच स्थित है. लेकिन हम नहीं जानते कि यह कितनी अच्छी तरह से संरक्षित है. उनका यह भी कहना है कि सालहुशगेन टीले को देखकर लगता नहीं है कि इसे लूटा गया होगा. इसलिए इस बात की भी संभावना है कि इसमें अभी भी ऐसी कलाकृतियां हो सकती हैं, जो स्टोरहॉग टीले पर पाई गई थीं.