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खराब मौसम और थंडरिंग की वजह से टला बृहस्पति पर जीवन खोजने वाला JUICE Mission

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने 13 अप्रैल 2023 की शाम करीब 5:45 बजे JUICE मिशन को लॉन्च करना था. लेकिन आकाशीय बिजली और खराब मौसम की वजह से इसे टाल दिया गया. यह मिशन बृहस्पति के चंद्रमाओं पर जीवन खोजने के लिए भेजा गया है. जिन तीन चंद्रमाओं का JUICE स्टडी करेगा, उनपर बर्फीला समंदर है.

लॉन्च पैड से टेकऑफ करता एरियन-5 रॉकेट. इसकी नाक में ही रखा है JUICE स्पेसक्राफ्ट. (फोटोः AFP) लॉन्च पैड से टेकऑफ करता एरियन-5 रॉकेट. इसकी नाक में ही रखा है JUICE स्पेसक्राफ्ट. (फोटोः AFP)
ऋचीक मिश्रा
  • फ्रेंच गुएना,
  • 13 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने 13 अप्रैल 2023 को फ्रेंच गुएना से कोरोऊ स्पेसपोर्ट से ज्यूपिटर आइसी मून्स एक्सप्लोरर (JUpiter ICy Moons Explorer - JUICE) मिशन लॉन्च करना था. लेकिन खराब मौसम और कड़कती हुई आकाशीय बिजली की वजह से इसे टाल दिया गया. इस मिशन में एरियन स्पेस और एयरबस भी शामिल हैं. जूस मिशन को एरियन-5 रॉकेट से लॉन्च किया गया है.   

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इस प्रोजेक्ट की लागत 14,270 करोड़ रुपए है. JUICE स्पेसक्राफ्ट साल 2031 के जुलाई महीने में बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर पाएगा. यानी आठ साल तक 5963 किलोग्राम वजनी ऑर्बिटर अंतरिक्ष में यात्रा करता रहेगा. हैरानी की बात ये है कि जूस से पहले नासा का यूरोपा क्लिपर स्पेसक्राफ्ट पहुंच जाएगा. 

ये है जूस मिशन का स्पेसक्राफ्ट, जिसे यूरोपा के ऊपर घूमते हुए दिखाया जा रहा है. (फोटोः ESA)

यूरोपा क्लिपर अप्रैल 2030 में बृहस्पति की कक्षा में होगा. क्योंकि नासा का यान शॉर्ट-कट से जा रहा है. यानी छोटे रास्ते से. नासा का यान पृथ्वी और मंगल ग्रह के चक्कर लगाते हुए बृहस्पति पहुंचेगा. जबकि, JUICE धरती और शुक्र ग्रह के चक्कर लगाते हुए बृहस्पति की कक्षा में पहुंचेगा. 

गैनीमेडे, यूरोपा और कैलिस्टो चंद्रमाओं पर खोजेगा जीवन

JUICE का काम होगा बृहस्पति ग्रह के बर्फीले चंद्रमाओं यानी गैनीमेडे (Ganymede), यूरोपा (Europa) और कैलिस्टो (Callisto) की जांच करेगा. यहां पर जमा बर्फीले समंदर की जांच करेगा. उनमें जीवन खोजेगा. कैलिस्टो के चारों तरफ 21 फ्लाईबाई करेगा. गैनीमेडे के चारों तरफ 12 बार चक्कर लगाएगा. यूरोपा के चारों तरफ दो बार चक्कर लगाएगा. 

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बृहस्पति ग्रह का बर्फीला चांद है यूरोपा. (फोटोः NASA)

सबसे पहले गैनीमेडे की कक्षा में पहुंचेगा जूस मिशन

जूस स्पेसक्राफ्ट जिस जगह बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश करेगा, वहां से गैनीमेडे चंद्रमा नजदीक होगा. इस स्पेसक्राफ्ट में 11 तरह के पेलोड्स हैं. जिनमें से एक एयरबस स्पेस कंपनी का प्राइड स्पेसक्राफ्ट बस भी शामिल है. ये सभी अलग-अलग कामों के लिए हैं. कोई रिमोट सेंसिंग करेगा. कोई जियोफिजिकल जांच करेगा. कोई वायुमंडल देखेगा. 

बर्फीले समंदरों के अंदर झांककर देखेगा कहां है लाइफ

अपने 35 फ्लाईबाई के दौरान जूस स्पेसक्राफ्ट कई तरह की स्टडी करेगा. वह जमे हुए बर्फीले समंदर के अंदर-बाहर हर तरफ झांकेगा. तस्वीरे लेगा. जीवन की खोज करेगा. क्या पता किसी चांद पर कोई एलियन मिल जाए. अब अगर बात करें रॉकेट की तो ये यूरोपियन स्पेस एजेंसी का सबसे भरोसेमंद रॉकेट है. इसका नाम है एरियन-5 ईसीए. 

790 टन का रॉकेट है एरियन-5, 53 मीटर है ऊंचाई

एरियन-5 ईसीए (Ariane 5 ECA) रॉकेट 53 मीटर ऊंचा है. चौड़ाई 11.5 मीटर है. इस उड़ान को VA260 नाम दिया जा रहा है. जबकि रॉकेट का वजन 790 टन है. जूस मिशन प्रोजेक्ट साइंटिस्ट ओलिवियर विटासी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि बृहस्पति के आसपास के चंद्रमाओं पर जीवन के सबूत मिल सकते हैं. क्योंकि इन तीन बर्फीले समंदर वाले ग्रहों पर पानी है. पानी है तो जीवन की उम्मीद बनी रहती है. 

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इन तीन चंद्रमाओं पर हो सकता है धरती से ज्यादा पानी

JUICE स्पेसक्राफ्ट पहला ऐसा मिशन है जो सिर्फ बृहस्पति के तीन बर्फीले चंद्रमाओं के लिए बनाया गया है. ओलिवियर ने कहा कि हम देखना चाहते हैं कि क्या बृहस्पति के चारों तरफ घूम रहे इन चंद्रमाओं पर जीवन की उत्पत्ति हो सकती है कि नहीं. इन तीनों चंद्रमाओं पर धरती की तुलना में कहीं ज्यादा पानी है. हो सकता है कि वहां पर एलियन जीवन मौजूद हो. 

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि मिल सकता है चांद पर पानी

कुछ दशक पहले तक अंतरिक्ष में इतनी गहराई में किसी ने ऐसे चांद की उम्मीद नहीं की थी कि किसी ग्रह के चंद्रमा पर पानी होगा. पहले लोग शुक्र और मंगल ग्रह को इंसानों के रहने लायक मानते थे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. शुक्र ग्रह पर तापमान 475 डिग्री सेल्सियस है, इसलिए वहां पर रहना मुश्किल है. मंगल ग्रह से वायुमंडल और पानी करोड़ों साल पहले ही गायब हो गए थे. इसलिए दोनों ग्रहों पर सतह के नीचे पानी की खोज करनी होगी. 

शनि ग्रह का छोटा चांद एंसीलेड्स भी फेंकता है अंतरिक्ष में पानी

ठीक इसी तरह बृहस्पति के चंद्रमाओं यानी गैनीमेडे, कैलिस्टो और यूरोपा के बर्फीले समुद्र के स्रोत, पानी की स्थिति, जीवन की खोज करनी होगी. क्योंकि साल 2005 में शनि ग्रह के छोटे चांद एंसीलेडस को भी अंतरिक्ष में पानी और जैविक पदार्थों को फेंकते देखा गया था. इसलिए बृहस्पति के चंद्रमा जीवन की खोज करने लायक सबसे बेहतरीन जगह हो सकते हैं. 

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यूरोपा के चारों तरफ 50 चक्कर लगाएगा नासा का क्लिपर

अमेरिका का यूरोपा क्लिपर सिर्फ यूरोपा के लिए फोकस कर रहा है. वह यूरोपा के चारों तरफ 50 चक्कर लगाएगा. जबकि JUICE स्पेसक्राफ्ट गैनीमेडे के चारों तरफ 12, कैलिस्टो के चारों तरफ 21 और यूरोपा के पास से दो बार फ्लाई बाई करेगा. यानी बगल से गुजरेगा. माना जाता है कि यूरोपा के समुद्र का संबंध उसके पथरीले समुद्री तलहटी से है. यानी वहां पर केमिकल रिएक्शन होते होंगे. हाइड्रोथर्मल वेंट्स भी होंगे. जैसे धरती के समुद्र में हैं. 

गैनीमेडे चांद सौर मंडल के बुध ग्रह से भी बड़ा है. सौर मंडल का इकलौता चंद्रमा है, जिसके पास अपनी मैग्नेटिक फील्ड है. साथ ही सौर मंडल का सबसे बड़ा चांद है. जूस इसके पर्मानेंट ऑर्बिट में 2034 में प्रवेश करेगा. 

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