
1995 में लॉन्च हुआ. 2011 में काम करना बंद किया. तब से लेकर धरती का चक्कर लगा रहा था यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) का एक विशालकाय अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट. धीरे-धीरे धरती की ग्रैविटी में फंसकर नजदीक आता जा रहा था. 21 फरवरी 2024 या उससे 9-10 घंटे आगे-पीछे धरती पर गिर सकता है. किसी भी समय उसकी क्रैश लैंडिंग हो सकती है.
इस सैटेलाइट का नाम है ERS-2 Earth Observation Satellite. ईआरएस यानी यूरोपियन रिमोट सेंसिंग-2 ने 16 साल अंतरिक्ष में काम किया. 2011 में काम बंद किया. काम करने के बाद दो महीने के समय में इसके ऑर्बिट को घटाया जा रहा था. उसे धीरे-धीरे धरती के नजदीक लाया जा रहा था. ताकि नियंत्रित तरीके से उसे जमीन पर वापस लाया जा सके.
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लेकिन ऐसा हुआ नहीं. एक समय के बाद उस निष्क्रिय सैटेलाइट ने कमांड लेना बंद कर दिया. इसके बाद स्पेस एजेंसी लगातार उसके रास्ते पर नजर रख रही थी. 18 फरवरी 2024 को एजेंसी ने कहा कि यह सैटेलाइट 21 फरवरी को धरती पर गिर सकता है. इस काम में 9-10 घंटे आगे-पीछे भी हो सकते हैं.
सौर तूफान की वजह से सटीक लैंडिंग टाइम नहीं बता सकते
सटीक समय इसलिए नहीं बताया जा सका क्योंकि इस समय सूरज ज्यादा सक्रिय है. वह सौर तूफान भेज रहा है. जिसकी वजह से सैटेलाइट्स की दिशा में परिवर्तन होता है. वायुमंडल का घनत्व कम हो जाता है. इसलिए धरती के वायुमंडल में उसके आने की सही गणना करना मुश्किल था.
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ERS-2 में बचे हुए फ्यूल को 2011 में ही खत्म कर दिया गया था. ताकि वह अगर नीचे गिरे तो उसकी वजह से किसी तरह का धमाका न हो. न ही किसी को जानमाल का नुकसान हो. तब इसे धरती पर लाने का सुरक्षित तरीका और प्लान तैयार था. ताकि यह अंतरिक्ष में कचरा न फैलाए.
किसी भी तरह के खतरे से बचाने के लिए कराते हैं डीऑर्बिटिंग
स्पेस एजेंसी ने कहा कि किसी सैटेलाइट की डीऑर्बिटिंग कराकर उसे धरती पर गिराने से कई तरह के फायदे होते हैं. पहला तो अंतरिक्ष में जाने वाले यानों और सैटेलाइट्स का रास्ता क्लियर हो जाता है. सैटेलाइट के टक्कर से बचाव मिलता है. कचरा फैलने के चांस खत्म हो जाते हैं.
ERS-2 यूरोप का सबसे एडवांस अर्थ-ऑब्जरवेशन स्पेसक्राफ्ट था. इसका वजन 2294 किलोग्राम है. वैसे तो इसमें कोई फ्यूल नहीं था लेकिन खाली और विशालकाय सैटेलाइट धरती की तरफ अनियंत्रित तरीके से आ रहा है.
यह उम्मीद जताई जा रही है कि धरती की सतह से 80 किलोमीटर ऊपर इस सैटेलाइट का ज्यादातर हिस्सा जलकर खत्म हो जाएगा. कुछ हिस्से वायुमंडल की रगड़ से बच जाएंगे लेकिन वो समंदर में गिरेंगे. उस सैटेलाइट में किसी भी प्रकार का टॉक्सिक या रेडियोएक्टिव पदार्थ नहीं है.