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पेस्टिसाइड्स की वजह से मादा कॉकरोच ने खोया मीठे का स्वाद, प्रजनन पर पड़ा बुरा असर

कॉकरोच के प्रजनन के तरीके में बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिससे कॉकरोच की जन संख्या पर बुरा असर पड़ रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका कारण यह है कि मादा कॉकरोच को अब मीठे से परहेज है. जानिए मीठे का जनसंख्या से क्या संबंध है.

कॉकरोच कर रहे हैं मीठे से परहेज (Photo: Unsplash) कॉकरोच कर रहे हैं मीठे से परहेज (Photo: Unsplash)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 30 मई 2022,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST
  • कॉकरोच की रुचि ग्लूकोज़ में कम हो गई
  • ग्लूकोज़ से नर कॉकरोच मादा को आकर्षित करते हैं

हाल ही में एक शोध से वैज्ञानिकों को पता चला है कि मादा कॉकरोच (Female Cockroach) को अब मीठा पंसद नहीं आता. मीठे के परहेज की वजह से मादा कॉकरोच का प्रजनन (Reproduction) की तरफ झुकाव कम हुआ है, जिससे इनकी जनसंख्या (Population) पर असर पड़ने लगा है. 

तो पहले यह समझ लेते हैं कि कॉकरोच में संभोग की प्रक्रिया में मीठा क्यों अहम है. दरअसल, मादा कॉकरोच को अपनी तरफ आकर्षित करके उसके साथ संभोग (Mating) करने के लिए, नर कॉकरोच (Male Cockroach) एक तरीका आज़माते हैं.

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कैसी होती है कॉकरोच की संभोग प्रक्रिया 

नर कॉकरोच अपने पिछले हिस्से को मादा की तरफ घुमाते हैं, अपने पंख खोलते हैं और अपनी टर्गल ग्रंथि (Tergal gland) से शुगर और फैट निकालते हैं. मादा जैसे ही उसे खाने के लिए जाती है, नर कॉकरोच एक लिंग से मादा को खुद के साथ जोड़ लेता है और दूसरे लिंग से स्पर्म मादा में डालता है. अगर सब ठीक चलता है, तो ये प्रक्रिया 90 मिनट तक चल सकती है. लेकिन पेस्टिसाइड्स की वजह से कॉकरोच के प्रजनन के तरीकों में तेजी से बदलाव आया है, जिससे कॉकरोच की जनसंख्या घटने लगी है.

 

जर्मन कॉकरोच ऐसी प्रजाति है जो अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप में मिलती है. 1993 में नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी (North Carolina State University) के वैज्ञानिकों ने इन कॉकरोच में एक लक्षण (Trait) का पता लगाया था. इन कॉकरोच को ग्लूकोज में कोई रुचि नहीं थी, जो बड़ा अजीब था, क्योंकि पहले कॉकरोच को मीठा बहुत पसंद था.

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सेहत को लेकर कॉकरोच इतने फिक्रमंद कैसे हो गए?

दरअसल कॉकरोच को मीठे में जहर मिलाकर ही मारने की कोशिशें की जाती रही हैं. जिन कॉकरोच को मिठाई पसंद थी उन्होंने जहर खाया और मर गए, जबकि वे कॉकरोच जिन्हें मीठे में रुचि नहीं थी, वे बच गए, इसी वजह से उन्होंने लंबे समय तक प्रजनन किया. उनका यही लक्षण या विशेषता (Trait) उनकी अगली पीढ़ी में चली गई. 

कॉकरोच की रुचि ग्लूकोज में कम हो गई, जिससे प्रजनन पड़ा असर (Photo: Getty)

मीठे की वजह से ही संभोग से दूरी

नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी की कीटविज्ञानी (Entomologist) डॉ. अयाको वाडा-कत्सुमाता (Dr. Ayako Wada-Katsumata) और उनके सहयोगियों ने कॉकरोच के बारे में कुछ और खास बातें भी बताई हैं. जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी (Communications Biology) में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, जिस लक्षण की वजह से मादा कॉकरोच मीठे स्वाद वाले जहर से बचने में कामयाब हुईं, उसी लक्षण की वजह से उनमें नर कॉकरोच के पास जाने और उनसे संभोग करने की संभावना कम हो रही है. 

ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉकरोच की लार जटिल शुगर को तेजी से तोड़ने में सक्षम है. नर इसी शुगर को ग्लूकोस में बदलते हैं और इसी से मादा को ललचाते हैं, लेकिन जब मादा इसे खाती है तो उसका मुंह कड़वा हो जाता है. और इससे पहले की नर आगे कुछ कर पाए, मादा चली जाती है.

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अब नर कॉकरोच भी खुद को बदल रहे हैं

शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्लूकोज पसंद नहीं करने वाली मादा, जंगली कॉकरोच की तुलना में ग्लूकोज पसंद नहीं करने वाले नर की तरफ ज्यादा ध्यान देती हैं. उन्होंने यह भी पता चला कि ग्लूकोज से परहेज करने वाले नर इसकी भरपाई के लिए तेजी से सेक्स करते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लूकोज से परहेज करने वाली मादा, नर के स्राव पर केवल 3 सेकंड खर्च कर सकती हैं. जंगली नर कॉकरोच इन तीन सेकंड में प्रतिक्रिया नहीं देते, जबकि ग्लूकोज से परहेज करने वाले नर देते हैं. 

 

शोधकर्ताओं के पास ऐसे सबूत भी हैं जो बताते हैं कि ये सभी नए दबाव ग्लूकोज से परहेज करने वाले नर के स्राव की केमेस्ट्री में बदलाव ला रहे हैं, ताकि वह मादा को आकर्षित करना जारी रख सकें.

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